सूखे में हरियाली लाती पानी वाली अम्मा- अमला रूईया

सूखे में हरियाली लाती पानी वाली अम्मा- अमला रूईया

 सूखे में हरियाली लाती पानी वाली अम्मा- अमला रूईया

अमला रुइया एक ऐसी महिला है जिन्होंने वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से चेक डैम बनाकर राजस्थान के सैकड़ों गांवों की तस्वीर बदल दी। इस बदलाव से गांव वालों की लाइफ नये ट्रैक पर आ गयी है। आज सभी गांवों की कुल सालाना आय करीब 300 करोड़ रुपए से ज्यादा है। अमला रुइया का जन्म वर्ष 1946 में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। उनके पुरखे डालमिया थे, जिन्होंने बिहार में डालमिया नगर का निर्माण किया था। उनकी शादी मुंबई के एक धनी परिवार में हुई। उनके पति अशोक रुइया एक मशहूर व्यापारी थे जिनकी पिछले वर्ष जनवरी में मृत्यु हो गयी। 

1999-2000 में अमला रुइया टीवी पर राजस्थान के गांवों में पड़े अकाल की भयावह तस्वीरें देख कर वहां पहुंच गयीं। प्रयोग के तौर पर अपने चैरिटेबल ट्रस्ट आकार फाउंडेशन की मदद से मंदवार गांव में पहला चेक डैम बनवाया। पानी मिलने से गांव के किसान एक साल में तीन-तीन फसलें उगाने लगे। घरों में पशुपालन का काम-धंधा भी शुरू कर दिया। उन्होंने उसी गांव में एक और चेक डैम बनाया। किसानों की आय एक साल में करीब 12 करोड़ रुपए तक पहुंच गयी। उत्साहित होकर उन्होंने प्रदेश के दूसरे गांवों में भी चेक डैम बनवाये। वे अब तक 100 गांवों में 200 डैम बनवा चुकी हैं। अमला रुइया को गांवों के लोग 'पानी माता' के नाम से भी बुलाने लगे हैं। उनकी टीम ने अन्य राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले में चेक डैम बनाना शुरू कर दिया है और बिहार, हरियाणा, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश में विस्तार करने की योजना बनायी है। अमला रुइया की योजना अपने जीवनकाल में कम से कम 3000 चेकडैम बनाने की है।

शक्तिशाली नारी शक्ति 2020 के सर्वे " नारायणी नमः" में फेम इंडिया मैगजीन और एशिया पोस्ट सर्वे द्वारा समाजिक स्थिती , प्रभाव , प्रतिष्ठा , छवि , उद्देश्य , समाज के लिए प्रयास , देश के आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था पर प्रभाव जैसे दस मानदंडों पर किए गए स्टेकहोल्ड सर्वे में देश की प्रमुख 20 शक्तिशाली नारी में अमला रुइया प्रमुख स्थान पर है । अमला रुइया के ट्रस्ट ने पानी के साथ शिक्षा को  भी गंभीरता से लिया है। उन्होंने राजस्थान के रामगढ़ में प्री-प्राइमरी से लेकर हायर सेकंडरी तक ऐसे मॉडल स्कूल स्थापित किये हैं। उन्होंने करीब 800 टीचिंग ऐड्स भी विकसित किये हैं। उन्होंने मुंबई में एक हर्बल गार्डन को एक खूबसूरत जगह में बदल दिया है, जहां स्कूली बच्चों को प्रकृति को करीब से जानने का मौका मिलता है। वर्ष 2011 में, रुइया को सामुदायिक सेवा और सामाजिक उत्थान की श्रेणी में लक्ष्मीपत सिंघानिया, आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2016 में, उन्हें वीमेन ऑफ वर्थ सोशल अवार्ड श्रेणी के लिए नामांकित किया गया था। 2018 में, उन्होंने इंडिया आई इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर अचीवमेंट अवार्ड भी 2018 प्राप्त किया है।