एक किडनी के सहारे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पहला मेडल जीत कर रचा था इतिहास - अंजू बॉबी जार्ज

अंजू बॉबी जार्ज भारत की एकमात्र एथलीट है जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला मेडल प्राप्त किया था। वह एक लॉन्ग जंपर हैं। उन्होंने साल 2003 में पेरिस में आयोजित हुई विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लॉन्ग जंप में कांस्य पदक जीता था, वह पहली ऐसी एथलीट है जिन्होंने कर इतिहास रचने वाली एकमात्र भारतीय एथलीट है। इसके साथ वह पहली ऐसी भारतीय एथलीट थीं, जिसने विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 6.70 मीटर की छलांग लगा कर यह पदक जीता था। इसके बाद साल 2005 में उन्होंने आईएएएफ विश्व एथेलेटिक्स फाइनल में गोल्ड मेडल हासिल किया था, और यह इसे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मानती हैं। साल 2021 में उनको वर्ल्ड एथलेटिक्स की तरफ से साल की सर्वश्रेष्ठ महिला का का सम्मान दिया गया था। उनको यह सम्मान देश में प्रतिभाओं को तराशने और लैंगिक समानता की पैरवी के लिए दिया गया था।
बता दें कि अंजू ने यह सारे पदक सिर्फ एक किडनी के रहते हुए जीते हैं, और वह इन सबका श्रेय अपने पति बॉबी जार्ज को देती हैं। उन्होंने अपने एक किडनी होने की बात कभी सामने नहीं आने दी। उनका मानना है कि अगर मैं उस वक्त यह बतातीं कि मेरे पास सिर्फ एक किडनी है तो लोग मुझ पर दया दिखाते, जिसकी मुझे जरूरत नहीं थी, लेकिन अब लोग मुझसे प्रेरणा लेंगे कि जीवन में चाहे कुछ भी हो हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह साल 2003 में पेरिस चैंपियनशिप के लिए गईं थीं, तो उनको काफी प्रैक्टिस और मेहनत करनी पड़ी जिसकी वजह से प्रतियोगिता के ठीक बीस दिन पहले उनको बहुत थकान और कई परेशानियां होने लगीं थी, डॉक्टर ने तो उनको छह महीने के लिए आराम करने को बोल दिया था लेकिन उनके पति ने उनका साहस बढ़ाया और उन्होंने प्रतियोगिता में ना सिर्फ भाग लिया बल्कि भारत को पहला वर्ल्ड चैंपियनशिप मेडल भी दिलवाया। इसके बाद उसी साल में ही उन्होंने एफ्रो एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अगले साल 2004 में हुए एथेंस ओलंपिक खेलों में भाग लिया और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 6.83 मीटर की छलांग लगा कर वह छठवें स्थान पर पहुंच गईं। साल 2005 में दक्षिण कोरिया में आयोजित 16 वीं एशियन एथलेक्टिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने महिलाओं की लंबी कूद में 6.65 मीटर की छलांग लगाकर गोल्ड मेडल जीत लिया था। इसी साल में उन्हीं आईएएएफ विश्व एथेलेटिक्स फाइनल में 6.75 मीटर की छलांग लगा रजत पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने साल 2006 में दोहा में हुए 15 वें एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था। साल 2008 में उन्होंने दोहा में आयोजित तीसरे एशियाई इनडोर चैंपियनशिप में रजत पदक और कोच्चि में हुए दक्षिण एशियाई एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।
एक आम एथलीट की तरह उनका भी सपना था कि वह भारत के लिए ओलंपिक से गोल्ड मेडल जीतें लेकिन उन्होंने रजत और कांस्य पदक जीतकर देश को कई बार गौरांवित किया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि, ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतना हर एथलीट का सपना होता है। मेरा यह सपना अधूरा रह गया जिसका मुझे अफसोस है, लेकिन मेरी कोशिश यह रहेगी कि मेरे बच्चे जरूर जीतें।
अंजू का जन्म 19 अप्रैल 1977 को केरल के कोट्टायम के चीरनचिरा गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम केटी मार्कोस और मां का नाम ग्रेसी मार्कोस है, उनका एक भाई भी है जिसका नाम अजीत है। जब वह महज पांच साल की थीं तब से उनके पिता उनको घर में ही एथलेटिक्स सिखाते थे। अंजू ने अपनी स्कूली शिक्षा सीकेएम कोरुथोड स्कूल से की है जहां पर उनके प्रशिक्षक ने उनकी एथलेटिक्स में रुचि को बढ़ा दिया और उनको सिखाने लगे। उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन विमला कॉलेज त्रिशूर से पूरी की थी। साल 1991-92 में स्कूल एथलेटिक मीट में, उन्होंने 100 मीटर बाधा दौड़ और रिले जीती और लंबी कूद और ऊंची कूद स्पर्धाओं में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। अंजू की प्रतिभा को राष्ट्रीय स्कूल खेलों में देखा गया जहां उन्होंने 100 मीटर बाधा दौड़ और 4 × 100 मीटर रिले में तीसरा स्थान हासिल किया था। उनकी शुरुवात हेप्टाथलान के साथ हुई थी, लेकिन बाद में उन्होंने कूद की प्रतियोगिताओं पर फोकस करना शुरू कर दिया था। अंजू की शादी रॉबर्ट बॉबी जॉर्ज से हुई है जो कि ट्रिपल जंप में पूर्व राष्ट्रीय चैंपियन और उनके कोच भी रहे चुके हैं। un दोनों की मुलाकात ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के एक प्रशिक्षण शिविर में हुई थी, जहां पर नेशनल कोच पीटी जोसेफ दोनों को ट्रेनिंग दे रहे थे। ट्रेनिंग के बीच में ही दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे। साल 2008 में अंजू का एशियाई खेलों में चयन नहीं होने की वजह से वह काफी दुखी हो गई थी, इस समय बॉबी ने उनका बहुत ध्यान रखा और उनको खूब प्रोत्साहन दिया, और ऐसी ही दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया। बॉबी एक ऐथलीट होने के साथ ही एक मैकेनिकल इंजीनियर भी हैं। उन्होंने अंजू का पूर्णकालिक कोच बनने के लिए साल 1998 में अपने करियर को खत्म कर दिया था। बॉबी एक प्रतिष्ठित खेल परिवार से हैं और उनके छोटे भाई जिम्मी जॉर्ज एक प्रसिद्ध वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं। अंजू और बॉबी के एक बेटा आरोन और एक बेटी एंड्रिया जार्ज है। साल 2002-2003 में भारत सरकार ने उनको प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से, और 2002-2004 में विश्व एथलेटिक मीट में उनकी सफलता के बाद उनको खेल के सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा साल 2004 में उनको भारत सरकार ने पद्मश्री से नवाजा था। 12 फ़रवरी 2007 को, एथलेटिक्स फेडरेशन के अंतरराष्ट्रीय संघ (आइएएएफ) की रैंकिंग में उनको 28 वां स्थान मिला था।
अंजू अब कस्टम विभाग में कार्यरत, और बेंगलौर में रहती हैं । उनकी उपलब्धियों को देखते हुए चेन्नई कस्टम्स हाउस ने उनको पदोन्नति दी है। दो बार की ओलिम्पियन अंजू को सीमा शुल्क विभाग में अधीक्षक स्तर पर पदोन्नति दी गई थी। उन्होंने साल 2016 में अंजू बॉबी स्पोर्ट फाऊंडेशन की शुरुवात की थी, जिसमें वह 14- 16 और 17- 19 साल के बच्चों को ट्रेनिंग देती है और खासतौर पर इस माध्यम से वह भारत में लड़कियों को खेलों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।