उत्कृष्ट नेतृत्व तथा मजबूत रणनीति के स्तंभ माने जाते हैं श्री अर्जुन मुंडा

उत्कृष्ट नेतृत्व तथा मजबूत रणनीति के स्तंभ माने जाते हैं श्री अर्जुन मुंडा

श्री अर्जुन मुंडा झारखंड राज्य के बीजेपी पार्टी के एक प्रमुख नेता के रूप में जाने जाते हैं। उनको उनके सरल व्यवहार तथा उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए जाना  जाता है। वर्तमान में केंद्रीय सरकार में अर्जुन मुंडा "जनजातीय मंत्रालय" के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहें हैं। 1980 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व "झारखंड आंदोलन" से अर्जुन मुंडा ने काफी कम आयु में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था। इस आंदोलन के पीछे अर्जुन मुंडा का विचार बिहार राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में एक आदिवासी राज्य की स्थापना का था। अर्जुन मुंडा के हृदय में प्रारंभ से ही आदिवासी जनजाति के लोगों के प्रति प्रेम भाव रहा है। झारखंड आंदोलन के समय उनके इसी गुण के कारण उनकी लोकप्रियता आदिवासी जनजाति के लोगों में काफी बढ़ गई। उन्होंने आदिवासी जनजाति तथा पिछड़े लोगों की मदद के लिए बहुत से कायों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

5 मई 1968 को खरंगाझार जमशेदपुर में पैदा हुए अर्जुन मुंडा अपने परिवार के 5 बच्चों में सबसे छोटे थे। 1995 में अर्जुन मुंडा झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार के रूप में खरसावां विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी होकर विधान सभा पहुंचे। 2009 में जमशेदपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए अर्जुन मुंडा को बीजेपी ने नामित किया था।

1995 में अर्जुन मुंडा बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा उन्होंने खरसावा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद में अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2000 तथा 2005 के चुनाव में भी इसी सीट को बरक़रार रखा। आपको बता दें कि वर्ष 2000 में झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी तथा उस समय बीजेपी ने बाबूलाल मरांडी ने नेतृत्व अपनी पहली सरकार का गठन किया था। इस सरकार में अर्जुन मुंडा ने समाज कल्याण मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। वर्ष 2003 में गैर-भाजपा विधायकों ने मरांडी के स्थान पर अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनाने का विचार कियाजो की एक प्रतिष्ठित आदिवासी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा ने झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में अपनी शपथ ली। 12 मार्च 2005 में वे झारखंड के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने परंतु निर्दलीयों का समर्थन न जुटा पाने के कारण 14 मार्च 2006 को उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद में अर्जुन मुंडा झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे।

वर्ष 2009 के आम चुनावों में बीजेपी उन्हें जमशेदपुर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में अर्जुन मुंडा ने करीब 2 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की। बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय महासचिव पद की जिम्मेदारी दी हुई है। 11 सितम्बर 2010 को अर्जुन मुंडा झारखंड के मुख्यमंत्री तीसरी बार चुने गए।