दोस्तों की जबरदस्ती से बैंक का एग्जाम देने वाली अरुंधती भट्टाचार्य बन गई चेयरपर्सन

दोस्तों की जबरदस्ती से बैंक का एग्जाम देने वाली अरुंधती भट्टाचार्य बन गई  चेयरपर्सन

अरुन्धति भट्टाचार्य का नाम भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में गिना जाता है, वह देश के सबसे बड़े बैंक और प्रतिष्ठित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 24वीं चेयरपर्सन रह चुकी हैं। वह ऐसी पहली महिला हैं जिसने भारतीय स्टेट बैंक के इस उच्च पद पर कार्य किया है। श्री प्रताप चौधरी के 30 सितंबर 2013 को रिटायर होने के बाद  उन्होंने 7 अक्टूबर को यह पद ग्रहण किया था, और 7 अक्टूबर 2017 को उनका कार्वकाल खत्म हो गया था। इस पदभार को ग्रहण करने से पहले वह एसबीआई की प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी के तौर पर काम कर चुकी थीं। फोर्ब्स के तरफ से जारी की गई दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में एसबीआई की अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अरुंधती 25वें स्थान पर थीं।
अरुन्धति भट्टाचार्य का जन्म साल 1956 में 18 मार्च को कोलकाता के एक बंगाली परिवार हुआ था। लेकिन उनका बचपन छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर मे बीता था क्योंकि इनके पिता प्रोदयूट कुमार मुखर्जी भिलाई स्टील प्लांट में एक इंजिनियर थे, और उनकी मां श्री कल्याणी मुखर्जी झारखंड के बोकारो शहर मे होम्योपैथी कन्सल्टेंट थी, उनकी एक सिस्टर भी हैं जिनका नाम अदिति बसु है।  अरुन्धति की शुरुआती शिक्षा संत. जेवियर स्कूल बोकारो से पूर्ण हुई थी। इसके बाद वह कोलकाता चली गयी और वहां पर उन्होंने  अरुन्धति भट्टाचार्य की शुरुआती शिक्षा संत. जेवियर स्कूल बोकारो से हुआ। इसके बाद मे वह कोलकाता चली गयी जहाँ पर उन्होंने प्रतिष्ठित लेडी ब्रोबॉन कॉलेज और जादवपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में ऑनर्स किया था। उनको शेक्सपियर की रचनाएं बहुत पसंद थीं, उनका रुझान पहले कभी भी बैंकिंग और फाइनेंस में नहीं था। लेकिन अचानक उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, और वह बैंकिंग में अपने करियर के लिए बढ़ गई। जब वह अंग्रेजी साहित्य की पढ़ाई कर रहीं थीं, उस दौरान उनके कुछ दोस्त जो बैंक की तैयारी कर रहे थे उन्होंने अरुंधति को भी जोर-जबर्दस्ती से बैंक की पीओ परीक्षा देने के लिए राजी कर लिया और इसका नतीजा आज 37 साल बाद सामने है। उन्होंने एक इंटरव्यू में उन दिनों को याद करते हुए कहा था कि, मैंने प्रोबेशनरी ऑफिसर की परीक्षा को उतना गंभीरता से नहीं लिया था, जितना मेरे दोस्तों ने' लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था, और इस वजह से वह एसबीआई की मुखिया थीं जबकि उनके साथ पीओ की परीक्षा देने वाले उनके किसी भी l दोस्त ने बैंक जॉइन नहीं किया था।
उनके पति का नाम प्रीतिमोय भट्टाचार्य है, और वह आईआईटी खड़गपुर में एक प्रोफ़ेसर थे। जब उनकी शादी हुई थी तब उनको खाना बना बिल्कुल भी नहीं आता था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी मां की सहायता से खाना बनाना सीख लिया था। उनकी एक बेटी है जिसका नाम सुक्रिता है और वह मानव संसाधन के क्षेत्र में काम करती हैं। 
जब वह 22 साल की थीं तब उन्होंने अपने करियर की शुरुवात साल 1977 में बतौर प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में एसबीआई से की थी। वह बैंक में अपने 36 वर्षो के कार्यकाल के दौरान उप-प्रबंध निदेशक और कार्पोरेट विकास अधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक (बेंगलुरू सर्किल) और मुख्य महाप्रबंधक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुकीं हैं। 
वह एसबीआई के न्यूयॉर्क कार्यालय में बतौर निगरानी प्रभारी पद पर भी काम कर चुकी हैं। इसके अलावा वह एसबीआई की सहायक कंपनी एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड की भी प्रमुख रहीं हैं। वह हमेशा से अपने काम को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाती आई हैं। वह बैंक की नवीन सहायक कंपनियों में से तीन की स्थापना करने में महत्वपूर्ण योगदान दे चुकीं हैं, और तीन कम्पनियों के नाम हैं जेनरल इंश्योरेंस सब्सिडियरी, कस्टोडियल सब्सिडियरी और एसबीआई मैक्वोरी इंफ्रास्ट्रक्चर फंड। जब उनका नाम नए चेयरपर्सन के लिए दिया गया था तो उनके अतिरिक्त बैंक के अन्य तीन मैनेजिंग डायरेक्टर हेमंत कान्ट्रैक्टर, ए कृष्णकुमार व एस विश्वनाथन भी इस पद के लिए उम्मीदवार थे, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की अध्यक्षता में बनी चयन समिति ने इस उच्च पद के लिए अरुंधति का चयन किया था। भारतीय स्टेट बैंक जैसे प्रतिष्ठित बैंक की चेयरपर्सन बनने के साथ ही एक साथ उनके साथ और कई उपलब्धियां जुड़ गई थीं। भारतीय स्टेट बैंक के दो शताब्दियों के इतिहास में इस बैंक के सर्वोच्च पद पर काम करने वाली वह प्रथम महिला थीं।
वह भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला हैं, जो कि फार्च्यून 500 लिस्ट में शुमार होने वाली किसी भी भारतीय कंपनी का नेतृत्व करती हैं, और यदि सिर्फ बैंकिंग क्षेत्र की बात की जाए तो वह विश्वभर में एकमात्र महिला हैं, जो फार्च्यून 500 लिस्ट में आने वाले किसी भी बैंक का नेतृत्व करती हैं। एसबीआई की  15000 से ज्यादा शाखाएं हैं तथा संपूर्ण भारत के बैंक डिपोज़िट में 22% हिस्सेदारी के साथ काम करने वह यह भारत का सबसे बड़ा बैंक है और इसकी मुखिया होने की वजह से वह भारत की सर्वाधिक शक्तिशाली महिलाओं में से एक हैं। उनका नाम साल 2016 में फोर्ब्स द्वारा जारी की गई 25 सशक्त महिलाओं में भी सम्मिलित किया जा चुका है। 
एसबीआई में उनके दशकों के लंबे करियर में, उन्होंने कई क्रांतिकारी बदलाव किए थे जिससे बैंक को बहुत फायदा मिला था। उन्होंने एसबीआई कर्मचारियों के लिए कई महिला समर्थक नीतियों की भी शुरुवात की गई थी, जिसने काफी प्रशंसा बटोरी थी। वह एसबीआई में कार्यरत रहते हुए खुदरा, कॉर्पोरेट, बड़े कॉर्पोरेट, कोषागार, मानव संसाधन, और निवेश बैंकिंग सहित एसबीआई के विभिन्न विभागों में सेवा दे चुकीं हैं। उन्होंने एसबीआई में विभिन्न महत्वपूर्ण सुधार किए थे। उनके नेतृत्व में, एसबीआई एक राज्य-संचालित ऋणदाता से ग्राहक-अनुकूल बैंक में बदल गया था। उनको साल 2018 में हुए एशियन अवार्ड्स में 'बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर' का खिताब दिया गया था। वह 17 अक्टूबर 2018 को रिलायंस इंडस्ट्रीज में एडिशनल डायरेक्टर और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में शामिल हो गई थीं। 
वह महिलाओं के लिए एक रोल मॉडल हैं, जिन्होने कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन अपने काम को कभी नहीं छोड़ा। एक आम लड़की की तरह उनकी शादी के और बच्चा होने के बाद कई अड़चने आई लेकिन वह सबका सामना डट कर करती रहीं।