एक ऐसी महिला अधिकारी जिसकी बहादुरी पर न केवल पुलिसकर्मियों को बल्कि देश की हर महिला को गर्व है

भारत में कई होनहार और जांबाज पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने भारतीय महिलाओं की पूरे विश्व में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। आज महिलाएं राष्ट्र, समाज की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर दिखाई देती हैं। पुलिस विभाग में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या पुरुषों की तुलना में कम हो लेकिन निष्ठा और काम की जिम्मेदारी में वह किसी भी पुरुष से पीछे नहीं हैं। काम के लिए समर्पित इन महिलाओं में डी रूपा का भी नाम शामिल है।
बता दें कि डी रूपा ने कई उपलब्धियां हांसिल की हैं। उनकी बहादुरी पर न केवल पुलिसकर्मियों को, बल्कि देश की हर महिला को गर्व है। उनसे नाम से अपराध और अपराधी दोनों थरथर कांपते हैं, उनके 20 साल के कार्यकाल में 40 बार ट्रांसफर हो चुका है।
आईपीएस डी रूपा का पूरा नाम रूपा दिवाकर मोदगिल है। उनका जन्म कर्नाटक के दावणगेरे जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम जे एच दिवाकर है जो एक रिटायर इंजीनियर हैं। रूपा ने कर्नाटक के ही कुवेम्पु विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है, उन्हें गोल्ड मेडल भी मिल चुका है। रूप ने बाद में बेंगलुरु के विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में एमएससी किया हुआ है।
डी रूपा ने साल 2000 में यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 43 हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी से ट्रेनिंग ली थी। ट्रेनिंग के दौरान रूपा की अपने बैच में 5वीं रैंक आई थी, जिसके बाद वह कर्नाटक कैडर में शामिल हो गई थी। रूपा की पहली पोस्टिंग कर्नाटक के धारवाड़ जिले में बतौर एसपी थी। इसके बाद वह गदग जिले, बीदर और यादगीर जिले में भी कार्यरत रह चुकी हैं। उन्होंने साल 2003 में आईएएस अधिकारी मुनीश मौदगिल से शादी कर ली थी।
रूपा के काम करने का तरीका काफी अलग था, अपराधियों में उनका बहुत खौफ था, लेकिन वह उस समय सुर्खियों में आई जब उन्होंने साल 2007 में मध्य प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती को गिरफ्तार कर लिया था, उनके इस कारनामे के कारण उनके नाम की चर्चा दूर – दूर तक हुई थी। इसके एक साल बाद 2008 में उन्होंने पूर्व मंत्री यावगल को भी गिरफ्तार किया था। इसके अलावा उन्होंने इसी मामले में अपने विभाग के डीएसपी श्री मासुटी को भी सस्पेंड कर दिया था। रूपा अपने काम को लेकर हमेशा ही सजग रहीं हैं, उन्होंने अपने कार्यकाल में हमेशा ही निडर होकर काम किया है। रूपा को अपने करियर में कई बार ट्रांसफर देखना पड़ा। उनके कार्यकाल का सफर काफी परेशानियों भरा रहा है, उन्होंने कई अपराधियों की धमकियां भी सुननी पड़ी। उन्होंने अपने ही विभाग के घोटालेबाज वरिष्ठ और अधीनस्थ कर्मचारियों को भी नहीं छोड़ा, उनके नाम भी उजागर कर दिए। तमिलनाडु की उस समय की मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी वी के शशिकला पर कर्नाटक जेल के अधिकारियों के साथ अधिमान्य व्यवहार के आरोप लगाए थे। रूपा पहली महिला थीं जो अपने राज्य में गृह सचिव के पद पर आसीन हुईं थीं। इसके अलावा वह देश की पहली महिला पुलिस अधिकारी भी हैं, जिनको पुलिस डिविजन में साइबर क्राइम की कमान दी गई थीं। वह अपने काम के लिए हमेशा ही तत्पर रहीं है, उनको उनके काम के लिए हमेशा ही प्रोत्साहन भी खूब मिलता रहा।