सांसद, पर्यावरणविद् और जानवर प्रेम के लिए जानी जाती है मेनका गांधी

सांसद, पर्यावरणविद् और जानवर प्रेम के लिए जानी जाती है मेनका गांधी

मेनका गांधी इंदिरा गांधी की छोटी बहू और संजय गांधी की पत्नी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं । मेनका गांधी पर्यावरणविद्, जानवरों के प्रति प्रेम और राजनेता के तौर पर बेहद मशहूर हैं। शुरुआती दौर में मेनका गांधी को मॉडलिंग का शौक था साथ ही लेखन के कार्य में इनकी रूचि से सभी वाकिफ हैं । मेनका गांधी किसी भी सब्जेक पर सोच विचार कर अपना बयान देने के लिए जानी जाती है । 


मेनका गांधी का जन्म एक सिख परिवार 26 अगस्त 1956 को दिल्ली में हुआ । इनके पिताजी आर्मी में 
ऑफिसर थे । इनकी  शुरुआती शिक्षा लॉरेंस स्कूल, सनवार में हुई । इसके बाद इन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से  पढ़ाई की इसके दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से जर्मन भाषा की पढ़ाई की । स्वभाव से गंभीर लेकिन गलतियों को पर जीरो टॉलरेंस मेनका गांधीअपने पति संजय गांधी के असमय निधन के बाद राजनीति में आई ।  उन्होंने 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रचार में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान मेनका एक राजनीतिक पत्रिका ‘सूर्या’ की संस्थापक बनी।  इस पत्रिका में इंदिरा गांधी का एक इंटरव्यू छपा था। जिससे कांग्रेस पार्टी को आम जनता के बीच अपनी छवि सुधारने में मदद मिली थी।  संजय गांधी की मृत्यु के बाद मेनका ने 1982 में राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर कर दिया। मेनका गांधी परिवार के साथ सारे संबंध तोड़ कर प्रधानमंत्री हाउस से बाहर निकल गई और फिर राजनीतिक पार्टी के लिए कार्य करना शुरू कर दिया। 
 मेनका ने अपनी खुद की एक राजनीतिक पार्टी ‘संजय विचार मंच’ के नाम से शुरू की ।इस पार्टी ने आंध्रप्रदेश राज्य से चुनाव लड़ा और चार सीटों पर जीत हासिल की ।1988 में ‘संजय विचार मंच’ पार्टी का जनता दल के साथ गठबंधन हो गया और मेनका गांधी को इसके महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।. पार्टी ने 1989 में अपना पहला चुनाव जीता। तब मेनका को पर्यावरण मंत्री के रूप में नियुक्ति मिली और 1989 से 1991 तक वे पर्यावरण मंत्री रहीं । अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने पशु कल्याण के लिए एक अलग विभाग बना।1996 में मेनका ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। मेनका ने 1998 में भी चुनाव में जीत हासिल की। 1999 में मेनका ने बीजेपी का समर्थन किया, हालांकि वे उस समय इसमें शामिल नहीं हुईं थी. किन्तु उस दौरान मेनका गांधी जी को सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। इसके बाद  मेनका ने गोद लेने से सम्बंधित कानूनों को आसान बनाया था और साथ ही सड़कों में रहने वाले बच्चों के लिए उस दौरान उन्होंने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया था.
2004 में मेनका गांधी पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई और उन्होंने पीलीभीत से फिर से आम चुनाव लड़ा और जीत अपने नाम की. पीलीभीत में मेनका ने काफी विकास कार्य किये जिसके चलते लोगों ने उन्हें काफी पसंद किया और उन्हें वोट दिए जिसके चलते ही उन्हें यह जीत मिली ।  2009 मेनका ने लोकसभा चुनाव लड़ कर फिर से जीत हासिल की और इस बार उन्होंने  2014 तक कार्य किया।  2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मेनका ने फिर से पीलीभीत से ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। मोदी सरकार सत्ता में आई, तब मेनका गांधी जी उनकी कैबिनेट में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में नियुक्त हुई।  फिलहाल मेनका गांधी सुल्तानपुर से सांसद हैं ।

मेनका गांधी  को पर्यावरण एवं जानवरों के प्रति काफी प्रेम था। इसलिए वे अक्सर उनके कल्याण के लिए कार्य किया करती थी। इसलिए उन्हें पर्यावरण विद के रूप में भी जाना जाता है। मेनका ने पशु अधिकारों के मुद्दे को सबसे आगे लाने में अहम भूमिका निभाई है। 1995 में वे जानवरों पर प्रयोगों के नियंत्रण और उनकी देखभाल के उद्देश्य के लिए कमिटी की अध्यक्ष बनीं। समिति के सदस्यों ने प्रयोगशालाओं में जांच करना शुरू की, जहां जानवरों पर रिसर्च की जाती थी। मेनका ने जानकारों के कल्याण के लिए ‘पीपल फॉर एनिमल’ नाम की संस्था की शुरुआत की।

मेनका गांधी को उनकी उपल्बधियों के लिए कई अवार्ड भी मिले । मेनका को सबसे पहले ‘सुप्रीम चिंग है इंटरनेशनल एसोसिएशन’ से  20,000 डॉलर के चेक के साथ शाइनिंग वर्ल्ड कम्पैशन अवार्ड मिला । इतना ही नहीं उन्होंने 1992 RSPCA की ओर से लार्ड एर्स्किन अवार्ड मिला । फिर मेनका को 1994 में साल की पर्यावरणविद और शाकाहारी के रूप में पुरस्कार दिया गया था.इसके 2 साल बाद यानी 1996 में मेनका गांधी जी को ‘प्राणी मित्र’ पुरस्कार से नवाजा गया था।1999 में मेनका ने वीनू मेनन एनिमल एलाइज फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड  हासिल की । मेनका ने  2001 में चेन्नई में अंतर्राष्ट्रीय महिला एसोसिएशन वुमन ऑफ़ द ईयर का अवार्ड भी अपने नाम किया। उन्हें साल 2001 में दीनानाथ मंगेशकर आदिशक्ति पुरस्कार एवं रुक्मिणी देवी अरुंडेल एनिमल वेलफेयर अवार्ड प्रदान किया गया, फिर 2008 में इसी क्षेत्र में उन्हें एसीजी जयकार अवार्ड भी दिया गया.।

इसके अलावा सुल्तानपुर से बीजेपी सांसद मेनका गांधी का लेखन में भी शानदार करियर रहा है, उन्होंने 
द पेंगुइन बुक ऑफ़ हिन्दू नेम्स, द पेंगुइन बुक ऑफ़ हिन्दू नेम्स फॉर गर्ल्स और ब्रह्मा’स हेयर जैसी कई किताबें लिखी हैं । मेनका गांधी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वो हर रोज कुछ नया करने में विश्वास रखती है और गलतियों पर बोलने में जरा भी नहीं हिचकती है ।