सैकड़ों बच्चों की ममतामयी मां- सिंधुताई सपकाल
सैकड़ों बच्चों की ममतामयी मां- सिंधुताई सपकाल
केबीसी के 'कर्मवीर स्पेशल एपिसोड' में एक अनोखा दृश्य दिखा। जब गेस्ट पार्टिसिपेंट ने स्टेज पर कदम रखा तो सुपरस्टार होस्ट ने उनका स्वागत उनके पैर छूकर किया। ये मेहमान समाजसेवी सिंधुताई सपकाल थीं । महाराष्ट्र की मदर टेरेसा के नाम से मशहूर इन समाजसेवी महिला ने अपनी गरीबी और परेशानियों के बावजूद सैकड़ों अनाथ बच्चों को सहारा दिया। सिंधुताई के जीवन की कहानी बेहद दर्दनाक है। उनका जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में पिपरी मेघे गांव में हुआ था। उनके पिता अभिमान साठे एक चरवाहा थे और उनकी परिवरिश एक अनचाही संतान के तौर पर हुई। हालांकि उनके पिता ने उन्हें स्कूल भेजा और प्राथमिक शिक्षा दिलवायी, परन्तु महज दस वर्ष की उम्र में उनका विवाह एक तीस वर्ष के व्यक्ति के साथ कर दिया गया। शादी के कुछ वर्षों बाद उन्होंने गाँव के मुखिया की शिकायत जिलाधिकारी से कर दी , अपमान का बदला लेने के लिए उस मुखिया ने सिन्धु के पति पर दबाव डाल कर उन्हें घर से निकलवा दिया , उस समय वे गर्भवती थीं। उन्होंने एक गौशाला में शरण ली जहां उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। सिन्धुताई अपनी बेटी के साथ रेलवे स्टेशन पर रहने लगीं। वे दिन भर भीख माँगती और रात को सुरक्षित रहने के लिये शमशान में रहती थीं। बाद में उन्होंने अपनी बेटी को पुणे के 'श्री दगडुशेठ हलवाई ट्र्स्ट को गोद दे दिया। बेटी को छोड़ने के बाद उन्हें रेलवे स्टेशन पर जब एक निराश्रित बच्चा मिला तो उनके मस्तिष्क में विचार कौंधा कि ऐसे हजारों बच्चे और भी हैं, उनका क्या होगा? इसके बाद शुरू हुआ यह अंतहीन सिलसिला जो आज महाराष्ट्र की पांच बड़ी संस्थाओं में तब्दील हो चुका है। इन संस्थाओं में हजारों बेसहारा बच्चे , विधवा व परित्यक्ताओं को आसरा मिला हुआ है। उनके अनाथाश्रम पुणे, वर्धा, सासवड (महाराष्ट्र) में स्थित हैं।
सिन्धुताई को कुल 270 से भी अधिक राष्ट्रीय और आंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं जिनमें महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला बहुप्रतिष्ठित 'अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार' भी शामिल है।
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