नेफियू रियो: उत्कृष्ट राजनितिक योगदान की वजह से मिला मदर टेरेसा मिलेनियम पुरस्कार

नेफियू रियो भारत के बेहद छोटे राज्य नागालैंड में मुख्यमंत्री हैं। इस राज्य से वह 3 बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वह कोहिमा जिले के तुफेमा गांव के स्वर्गीय गुलहॉली रियो के बेटे हैं और अंगामी नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बैप्टिस्ट इंग्लिश स्कूल, कोहिमा और सैनिक स्कूल, पुरूलिया, पश्चिम बंगाल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की हुई है। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, दार्जिलिंग में कॉलेज में दाखिला लिया और बाद में उन्होंने कोहिमा आर्ट्स कॉलेज से स्नातक किया हुआ है। अपने स्कूल और कॉलेज के दिनों से ही वह सक्रिय छात्र नेता रहे हैं और अपनी इस रुचि को बढ़ाते हुए वह बहुत ही उम्र में ही राजनीति में आ गए थे। साल 1974 में इन्हें यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की युवा शाखा का अध्यक्ष बनाया गया था। वहीं से इन्होंने अपने राजनीति करियर को और कामयाब बनाया।
वर्ष 1989 में रियो ने पहली बार नागालैंड विधानसभा का चुनाव लड़ा था और इन्होंने यह चुनाव कांग्रेस पार्टी की तरफ से लड़ा था। कांग्रेस पार्टी ने रियो को उत्तरी अंगामी- II चुनाव क्षेत्र से अपना उम्मीदवार खड़ा किया था जिसमें उनको जीत हासिल हुई और उनको खेल एवं शिक्षा मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद, रियो को कला एवं संस्कृति की उच्च तकनीकी शिक्षा के लिए राज्यमंत्री का पदभार सौंपा गया।
साल 1993 में, रियो कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में दोबारा चुनाव लड़े और जीत गए, इस बार उन्हें कार्य और आवास प्रबंध के मंत्री पद पर नियुक्त किया गया था। इसके अलावा इन्होंने नागालैंड की रेड क्रॉस सोसाइटी में भी कुछ समय तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साल 1998 में नेफियू रियो ने फिर से उत्तरी अंगामी क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जनता ने उनका साथ दिया और इन्हें गृह मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। रियो ने साल 2002 के सितंबर में मंत्रालय व उसी नवंबर में नागालैंड विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, इसके साथ उन्होंने कांग्रेस पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। बताया जाता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री एससी जमीर पर विवादित नागा के समझौते को अवरुद्ध करने का आरोप लगाते हुए मंत्रालय से इस्तीफा दिया था।
इसके बाद रियो नागा पीपुल्स फ्रंट में शामिल हो गए, जिसने उनके नेतृत्व में अन्य नागा क्षेत्रीय दलों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य शाखा के साथ मिलकर उन्होंने डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नागालैंड (डीएएन) का गठन किया , जो कि एक गठबंधन था, जिसने 2003 में चुनाव लड़ा और जीता भी। रियो ने राज्य में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 10 साल लंबे शासन खत्म करके 6 मार्च 2003 को मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण किया था। लेकिन उनके पहले कार्यकाल पूरा होने से पहले, 3 जनवरी 2008 को नागालैंड में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था जिस वजह से रियो को मुख्यमंत्री के रूप में बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आगामी चुनाव लड़ कर जीत हासिल की, इस चुनाव में उनकी पार्टी डीएएन सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। इसके साथ ही ऊंचे12 मार्च 2008 को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसमें उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर पदभार संभाला। 2013 के नागालैंड राज्य चुनावों के दौरान, रियो की पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की और उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।
रियो राजनीति के अलावा पर्यावरण संरक्षण और जैव-विविधता की सुरक्षा के क्षेत्र में भी कार्य कर चुके हैं। वह हमेशा से युवा सशक्तिकरण, संगीत, संस्कृति और खेल को बढ़ावा देने में रुचि लेते आए हैं, इसके अलावा वह रचनात्मक क्षेत्रों विशेष रूप से कला के भी समर्थक हैं। उनको शगल खेल, पढ़ना, बागवानी, संगीत और यात्रा करना बेहद पसंद है। 30 मई 1995 को नागालैंड में दीमापुर में जानलेवा हमले में बच गए जब कुछ सशस्त्र लोगों ने उनकी मोटरसाइकिल पर हमला किया था। वह उस समय नागालैंड के पीडब्लूडी मंत्री के रूप में कार्यरत थे। इस हमले में उनके चालक की मृत्यु हो गई थी व उनके कई सशस्त्र बाॅडीगार्ड घायल हो गए थे।
बता दें कि रियो ने देश में पहला संगीत उद्योग, 'संगीत कार्य बल' स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साल 2007 में उनको कोलकाता में उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और राजनीति में योगदान के लिए मदर टेरेसा मिलेनियम पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। रियो की शादी साल 1975 में कैसा रियो से हुई थी और इनके कुल छह बच्चे हैं, जिनमें से एक बेटा व अन्य बेटियां हैं। इनकी पत्नी हैंडलूम व्यापारी हैं।