निर्मला सीतारमण का मदुरई की एक आम लड़की से वित्त मंत्री बनने का अलौकिक सफर

निर्मला सीतारमण एक भारतीय राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ वर्तमान में वित्त मंत्री के पद पर कार्यरत हैं, इसके साथ वह भारत के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य कर रही हैं। वह पहले रक्षा मंत्री, वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री (वित्त मंत्रालय) और वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वह दक्षिण पंथी विचारधारा की नेत्री हैं और लम्बे समय से भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहीं हैं। 2014 के लोकसभा में भाजपा के जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनको अपने कैबिनेट में शामिल कर लिया था। देश के कैबिनेट में आ जाने के साथ ही उनको पार्टी का प्रवक्ता भी बना दिया गया, जिस वजह से उनको कई टीवी चैनलों के डिबेट में पार्टी के पक्ष से बोलते हुए देखा गया जिसमें उन्होंने बड़ी बेबाकी से पार्टी का पक्ष रखा। सुषमा स्वराज के बाद वह पार्टी की दूसरी महिला नेता हैं जो किसी भी मुद्दे पर बिना हिचकिचाए हुए बात कर सकती थी। वह भारतीय जनता पार्टी के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली से उम्मीदवार बन कर खड़ी हुई और चुनाव जीती। पार्टी में उनको साल 2014 में रक्षा मंत्री का कार्यभार दिया, जिसको इन्होंने बहुत ही बेहतरीन तरीके से संभाला था। साल 2019 में जब फिर से नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो निर्मला को देश का वित्त मंत्री का पदभार सौंपा गया। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के बाद वह पहली महिला हैं जिनको वित्त मंत्रालय जैसा प्रमुख मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौपा गया। उनके पहले यह पद अरुण जेटली के पास था। परन्तु ख़राब स्वास्थ की वजह से उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्टी लिखकर यह कहा कि सरकार द्वारा बनाये जाने वाले मंत्रिमंडल में उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौपी जाए। जिसके बाद अरुण जेटली के जी सुझाव पर ही निर्मला को इस विभाग के लिए चुना गया था।
अपने जीवन को याद करते हुए उन्होंने एक बार कहा था कि, “मैं उस लड़की से ईर्ष्या करती हूं जो मैं एक बार थी। सबसे अच्छी सलाह मुझे यह मिली हैं कि हमेशा बीच का रास्ता चुनें और समरसता बनाए रखने की कोशिश करें। दूसरे शब्दों में, कभी भी किसी अति पर मत जाओ। बहुत अधिक मत बनो क्योंकि आप अपनी गरिमा खो देंगे और जब भी अति आत्मविश्वास और आक्रामक होंगे या आप अंततः अपना मैदान खो देंगे। संतुलित बने रहें”।
निर्मला का जन्म साल 1959 में 18 अगस्त को तमिलनाडु के मदुरई के तमिल आयंगर ब्राम्हण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री नारायण सीतारमण और मां का नाम सावित्री देवी है। उनके पिता भारतीय रेलवे कर्मचारी थे। उन्हें बचपन से ही देश की राजनैतिक व्यवस्था को समझने की ललक थी। उनका बचपन तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में बीता हुआ है क्योंकि उनके पिता की नौकरी हस्तांतरणीय थी। इस तरह अलग - अलग जगहों में रहने की वजह से नई जगह को अपने अंदर से अपनाने और उसमें ढल जाने की कला समायी हुई है।
निर्मला ने अपनी स्कूली शिक्षा मद्रास और तिरुचिरापल्ली से पूरी की था और उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सीतालक्ष्मी रामास्वामी कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से अर्थशास्त्र में कला स्नातक की डिग्री पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से साल 1980 में इकोनॉमिक्स में एमए की डिग्री प्राप्त की थी, इसके बाद इन्होने यहीं से एमफील की डिग्री भी हासिल की थी। निर्मला का पसंदीदा विषय वैश्वीकरण और विकासशील देशों पर इसका प्रभाव था, इसी वजह ने उनको भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री बनने के लिए प्रेरित किया था।
निर्मला के प्यार की शुरुवात इसी कॉलेज से हुई थी। दरअसल यहीं पर इनकी मुलाकात अपने पति परकला प्रभाकर से हुई थी, ये दोनों एक साथ पढ़ते थे। जहां निर्मला का झुकाव भारतीय जनता पार्टी की तरफ था, तो वहीं उनके पति डॉ परकला प्रभाकर एक कांग्रेसी परिवार से थे। उनकी मां आन्ध्रप्रदेश में कांग्रेस की तरफ से विधायक रह चुकी हैं, और पिता साल 1970 में आन्ध्रप्रदेश की कांग्रेसी सरकार में मंत्री रह चुके थे। परकला प्रभाकर ने आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू के संचार सलाहकार के रूप में कार्य किया हुआ है। इन दोनों की शादी साल 1986 में हो गई थी। उसके बाद दोनो लंदन चले गए थे, और वहां पर वह कॉरपोरेट जगत में काफी सफल हुई और साल 1991 में भारत वापस आ गईं। उस समय निर्मला गर्भवती थीं, इसलिए वह अपनी मेडिकल के लिए मद्रास आई हुई थीं की इसी बीच राजीव गांधी की हत्या हो गई थी, जिससे उनको काफ़ी गहरा सदमा लगा और वह लगातार एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में एडमिट रहीं। उन्हें इसके बाद एक बेटी हुई जिसका नाम उन्होनें परकला वांगमयी रखा और फिर उनका परिवार हैदराबाद में रहने लगा।
निर्मला ने अपने करियर के शुरुवाती समय में प्राइसवाटरहाउस कूपर में सीनियर मेनेजर के पद पर कार्य किया था। इसके बाद उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में भी कार्य किया हुआ है। इसके अलावा जब वह लंदन में थीं तो उन्होंने एक होम डेकोर स्टोर में बतौर सेल्सपर्सन के रूप में काम किया था। बता दें कि वह हैदराबाद के प्रणव स्कूल के संस्थापकों में से एक हैं, और वह नेशनल कमीशन ऑफ़ वीमेन’ की सदस्य भी रह चुकी हैं। उन्होंने साल 2003 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की सदस्य के रूप में भी कार्य किया है, और इसी दौरान वह भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के संपर्क में आईं। सुषमा उनके गरिमामय व्यक्तित्व और मुखर विचारों से बहुत प्रभावित हुईं, और उनके इन विचारधाराओं को देखते हुए उन्होंने पार्टी को निर्मला को जिम्मेदारी देनें की सिफारिश की। इसके बाद पार्टी ने उन्हें आंध्रप्रदेश से राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी नियुक्त कर दिया था। भाजपा के प्रमुख गठबंधन सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी ने उनको सीट की पेशकश की था और वह वर्तमान में कर्नाटक से राज्यसभा सांसद हैं।
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान निर्मला ने एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। उन्होंने ही भारत के होने वाले प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी ली थी, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया। यह कहा जाता है कि उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण की वजह से ही उनको 2014 में मोदी के मंत्रिमंडल में बतौर मंत्री पद मिला। साल 2016 में राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से निर्मला को भी प्रत्याशी बनाया गया था। उस चुनाव में जीत हासिल कर वह कर्नाटक की तरफ से राज्यसभा सदन पहुंची। 3 सितम्बर 2017 को निर्मला सीतारमण ने देश की पहली रक्षामंत्री के रूप में शपथ ली थी, और साल 2019 में उनको वित्त मंत्रालय सौंप दिया गया।
एक अच्छी राजनीतिज्ञ होने के अलावा निर्मला एक बहुत अच्छी पाठक भी हैं। इनको किताबे पढना बहुत पसंद है। इसके साथ उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी काफ़ी रूचि हैं। खाली समय में वह अक्सर भगवन श्रीकृष्ण के भजन सुनतीं रहती हैं और उनके पास बहुत ही अच्छा भजन संग्रह भी है। राजनीती से अलग वह अपने परिवार को भी काफ़ी समय देती हैं। उन्होंने अपने करियर और परिवार दोनों में काफ़ी बेहतर संतुलन बनाया हुआ है।