अपनी काबिलियत से सिक्किम की पूरी राजनीति ही बदल दी पी एस गोले ने

अपनी काबिलियत से सिक्किम की पूरी राजनीति ही बदल दी    पी एस गोले ने

पी एस गोले जिनका वास्तविक नाम प्रशांत सिंह तमांग है जिन्होंने अपनी काबिलियत से सिक्किम की पूरी राजनीति ही बदल दी और 25 साल पुरानी सरकार को हराकर एक नए युग की शुरुवात की। देश के सबसे छोटे शहर और सबसे कम आबादी वाले राज्य सिक्किम में लगातार पांच बार शासन करने वाली सिक्किम डेमोक्रेटिक फंड (एसडीएफ) को मात्र  छह साल में ही सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी व उनके मुख्य नेता पी एस गोले ने धराशायी कर दिया। उन्होंने विधानसभा की कुल  32 में से 17 सीटी पर अपना कब्जा जमाकर यह कायापलट की थी। 
गोले का जीवन बड़ा ही उतार चढ़ाव भरा रहा है, बता दें कि गोले कभी चामलिंग के बेहद खास थे, एक बार के अलावा वह चामलिंग की हर एक सरकार में विधायक रहे और कई मंत्री पदों का कार्यभार संभाला। वह एसडीएफ के उपाध्यक्ष व प्रदेश युवा संयोजक भी रह चुके हैं। वह 2009 में चामलिंग और उनकी पार्टी से अलग हो गए और बगावत पर उतर आए। उन्होंने चामलिंग की सरकार पर भाई - भतीजावाद व प्रशासनिक नाकामी का आरोप लगाया और 4 फरवरी 2013 को अपना एक अलग दल सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा बना लिया। 
गोले द्वारा उठाए गए मुद्दों को जनता ने खूब सराहा व उनके प्रचार अभियान को भी खूब समर्थन दिया, इस वजह से गोले की पार्टी ने बनने के एक साल बाद हुए चुनाव में 10 सीटें हासिल कर ली, जिससे चामलिंग को अंदाजा हो गया था कि उनके हाथ से सियासत जाने वाली है जिसकी पुख्ती सरकारी धन के दुरुप्रयोग के मामले की जांच से हो गई थी। यह मामला 9.5 लाख रुपये के फंड का था जो कि राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को गाय बांटने के लिए था। इस मामले की जांच वर्ष 2010 की है। यह मामला अदालत में गया और गोले को जुर्माना भरने के साथ और जेल की सजा भी काटनी पड़ी। लेकिन जब वह 2018 में जेल से बाहर आए तो लोगों ने उनका स्वागत एक नायक की तरह स्वागत किया गया। 
मुख्यमंत्री पी एस गोले सिक्किम में कई प्रगतिशील कार्यों की शुरुवात कर चुके हैं, वह जनता तक हर एक सुविधा पहुंचाने की हर कोशिश करते हैं और अपने दायित्वों का निर्वाहन बहुत अच्छी तरह से कर रहे हैं। 
पी एस गोले का जन्म 5 फरवरी 1968 को हुआ था। उनके पिता का नाम कालू सिंह व मां का नाम धनमाया है। गोले ने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से स्नातक किया और अपने करियर के शुरुवाती बतौर शिक्षक एक सरकारी स्कूल से की। गोले को लोगों की परेशानियों को सुलझाने और उनकी मदद करने में बहुत रुचि थी जिसके चलते उन्होंने सरकारी स्कूल की नौकरी को तीन साल के बाद छोड़ दिया और बाद में एसडीएफ में शामिल हो गए। गोले 1994 से लगातार 5 बार सिक्किम विधानसभा के लिए चुने गए थे और 2009 में उनको एसडीएफ की  सरकार में मंत्री का कार्यभार दिया गया। एसडीएफ सरकार के चौथे कार्यकाल (2009-14) में चामलिंग ने उनको कोई भी  मंत्री पद देने से इंकार कर दिया। जिसके बाद गोले ने पार्टी उनकी पार्टी छोड़ दी और अपना एक अलग दल बना लिया । उन्होंने सभी एसडीएफ सरकार के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी एसकेएम के प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी संभाली।