दमदार शख्सियत वाले असरदार सांसद है - सीआर पाटिल

दमदार शख्सियत वाले असरदार सांसद है - सीआर पाटिल

दमदार शख्सियत वाले असरदार सांसद है - सीआर पाटिल

चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल यानि सीआर पाटिल एक अनोखे सांसद हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र में कई ऐसे सुधार कार्यों को वास्तविकता के धरातल पर उतारा है जिनकी अबतक बस कल्पना ही की गयी थी। एक बेहद लोकप्रिय व दूरदर्शी समाजसेवी होने के अलावे वे एक पत्रकार और व्यवसायी भी हैं।16 मार्च 1955 को महाराष्ट्र में अदिलाबाद, जलगांव के पिंपरी अकारौत गांव में जन्मे चंद्रकांत का परिवार गुजरात के सूरत में आकर बस गया था। उन्होंने दसवीं तक की स्कूली पढ़ाई करने के बाद आईटीआई से तकनीकी शिक्षा में डिप्लोमा हासिल किया। उन्होंने अपने करीयर की शुरुआत वर्ष 1975 में गुजरात पुलिस के एक कॉन्सटेबल के तौर पर की, लेकिन कुछ ही वर्षों में पुलिस की नौकरी छोड़ दी। उन्होंने व्यवसाय व समाजसेवा साथ-साथ शुरु की। 1989 मेंउन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की और जल्दी ही संगठन के कार्यों में सक्रियता से जुट गये। वर्ष 1991 में उन्होंने एक अखबार का प्रकाशन भी शुरू किया जिसका नाम रखा नव गुजरात टाइम्स। कई वर्षों तक सक्रिय राजनीति में रहने के बाद वर्ष 2008 में उन्हें पार्टी ने सूरत इकाई का कोषाध्यक्ष नियुक्त किया। वर्ष 2009 में उन्होंने पार्टी के टिकट पर नवसारी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराया। सीआर पाटिल ने समय के साथ-साथ न सिर्फ अपने वोटों का आधार बढ़ाया है बल्कि अपनी लोकप्रियता में गुणात्मक वृद्दि की है। वर्ष 2009 में उन्हें लगभग 56 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे और वे करीब 1 लाख 32 हजार वोटों से जीते थे। वर्ष 2014 के अगले आम चुनाव में उन्हें करीब 71 प्रतिशत वोट मिले और उन्हें 5 लाख 58 हजार वोट से जीत हासिल हुई। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 74 प्रतिशत से भी अधिक वोट मिले और वे रिकॉर्ड 6,89,668 वोटों से जीत कर सांसद बने। सीआर पाटिल ने अपने चुनाव क्षेत्र के एक गांव 'गणदेवा' को गोद लेकर उसमें कई सुधार कार्य करवाये। सूरत से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में लगभग 2200 घरों में करीब 7000 लोगों की आबादी रहती है। कुछ साल पहले तक यहां के अधिकतर लोग उपलों और लकड़ियों का ही इस्तेमाल करते थे, लेकिन कुछ ही वर्षों में ये गांव पूरी तरह धुंआ रहित हो गया और आज यहां हरेक घर में गैस स्टोव पर ही खाना बनता है। इसी प्रकार अगले कार्यकाल यानि वर्ष 2014 में उन्होंने चिकली गांव को गोद लिया तो वहां स्ट्रीटलाइट लगी पक्की सड़कें बनवायीं और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के अधीन 380 टॉयलेट का निर्माण करवाया। अब ये गांव पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त है और  स्वच्छ भी। सीआर पाटिल देश के पहले ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपने ऑफिस के लिये आएसओ-9001 सर्टिफिकेशन हासिल किया है। पूरी तरह वैज्ञानिक और आधुनिक सुविधाओं से संपन्न इस ऑफिस में क्षेत्र के हर आने-जाने वाले का हिसाब रखा जाता है और उसकी किस मांग पर कब क्या कार्रवाई हुई ये भी कंप्युटर में दर्ज हो जाता है। सीआर पाटिल छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व से खासे प्रभावित हैं और उनकी प्रतिमा स्थापित करने की समिति में सक्रिय भूमिका में हैं। वे सूरत की करीब एक दर्जन संस्थाओं के अध्यक्ष या प्रशासक मंडल के महत्त्वपूर्ण सदस्य हैं। उन्होंने शिवाजी के जीवन पर आधारित एक नाटक 'जनता राज' तैयार करवाया है जिसका मंचन कई जगहों पर करवाया गया है। बेटी बचाओ आंदोलन से भी जुड़े हैं और गुजराती-मराठी संस्कृतियों के आपसी मेल-जोल को बढ़ावा देने में जुटे हैं। उन्होंने सूरत के गोविंदा उत्सव को संरक्षण दिया और मोदी समर्थक महिला मंडल से 70 हजार महिलाओं को जोड़ने का अद्भुत प्रयोग किया है।