समाज में सकारात्मक बदलाव की बुलंद आवाज है डॉ अच्युत सामंत
समाज में सकारात्मक बदलाव की बुलंद आवाज है डॉ अच्युत सामंत
अपने लिए पढ़ना और फिर दूसरों को पढ़ाने और उनकी जिंदगी रोशन करने का जज़्बा रखना, बहुत कम देखने को मिलता है। ऐसी ही एक बेजोड़ शख्शियत का नाम है डॉ अच्युत सामंत। ओडिशा के कंधमाल से लोकसभा सांसद अच्युत सामंत ने वो काम कर दिखाया है जो सोच से परे है उनकी जिजीविषा और कर्मठता ही है जो आज कई साधन विहीन बच्चों को उनके सपनों को पूरा करने में मदद करती है। 20 जनवरी 1964 को ओड़िशा के कटक जिले के कलारबंका गाँव में जन्मे अच्युत के सर से मात्र 4 साल की उम्र में ही पिता का साया उठ गया। भारी अभाव और गरीबी के बावजूद उन्हें और उनके सात भाई-बहनों को की माँ निर्मला रानी ने हिम्मत के साथ पाला। उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एएसससी की और भुवनेश्वर के महर्षि महाविद्यालय में पढ़ाने लगे। वर्ष 1992-93 में मात्र 5000 रुपये के साथ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान शुरू करने सपनें को साकार करने उन्होंने संकल्प लिया जिसे कोई भी कठिनाई डगमगा नहीं सकी। इस तरह शुरुआत हुई कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) की। आज ये संस्थान एक विश्वविद्यालय का रूप ले चुका है और भारत के सबसे नामी शिक्षा केंद्रों में से एक है। ये अच्युत सामंत की मेहनत ही है जो इसे भारत के अन्य प्रसिद्ध और लोकप्रिय संस्थानों से अलग ऊंचाइयों पर ले जा सके। इस संस्थान में लगभग 60,000 आदिवासी बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ आवास, व्यवसाय और खेल में कैरियर बनाने के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करवाती है। यहाँ बालवाड़ी से पोस्ट ग्रेजुएशन तक नि: शुल्क शिक्षा दी जाती है। उन्होंने कलारबंका को विकसित किया। 15 मंदिरों, सामुदायिक हॉल, डाकघर, पुलिस चौकी, संपर्क सड़कों के साथ, राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ एटीएम और लॉकर की सुविधा, पीने का पानी, और स्ट्रीटलाइट्स गाँव में शहर की सुख-सुविधाओं को लाने के लिए काम किये है। उन्होंने कलारबंका में पढ़ाई और साक्षरता दर को आगे बढ़ाने के लिए एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल और एक बोर्डिंग स्कूल खोला है। उन्होंने आदिवासियों के पुनर्वास और मुख्यधारा में लाने के लिए काम करना शुरू किया जिसमें उन्हें अच्छी सफलता मिली और इसी के बदौलत वो अपनी जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे। डॉ. अच्युत सामंत ने बतौर सांसद अपने लोकसभा क्षेत्र की सूरत बदल दी है। एमडीएच के साथ मसालों को लेकर समझौता किया है जिससे मसाला स्थानीय व्यापार में तेजी आ सके। गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत उनका उद्देश्य लोगों को साक्षर करके स्वालम्बी करना है। डॉ. सामंत ने केआईआईटी विश्वविद्यालय की सहायता से, गाँव-गाँव में वाई-फाई, महिलाओं के लिए 100 बिस्तरों वाला एक हॉस्पिटल एक नॉलेज सेंटर और सेल्फ सहायता ग्रुप बनाया, जो 1000 से अधिक लोगों को बेहतर जीवन रोजगार प्रदान करने के लिए सहायता प्रदान करता है। अपने गाँव को आदर्श बनाने के बाद, ओडिशा के कटक जिले में मानपुर की पूरी ग्राम पंचायत, 6 गाँवों को मिलाकर और सुविधाओं का विस्तार करके मॉडल पंचायत में तब्दील करवाया है। मॉडल पंचायत के रूप में विकसित होने वाला यह देश का पहला पंचायत है। डॉ. अच्युत सामंत ने वर्ष 2010 के आम चुनाव में कंधमाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। वे पहली बार चुनाव जीतकर 17वीं लोकसभा में पहुंचे है। इससे पहले वो राज्यसभा के सदस्य थे। 17वीं लोकसभा में डॉ. सामंत ने 6 डिबेट में हिस्सा लिया। उन्होंने 24 प्रश्न रखे और सदन में उनकी कुल उपस्थिति 92% रही।