सहज सुलभ प्रभावशाली सांसद है- डॉक्टर किरीट प्रेमजी भाई सोलंकी
सहज सुलभ प्रभावशाली सांसद है- डॉक्टर किरीट प्रेमजी भाई सोलंकी
डॉक्टर किरीट प्रेमजी भाई सोलंकी ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपने नाम के मुताबिक ही हर क्षेत्र में मानों ऐसे ऊंचे पैमाने तय कर दिये हैं जो दूसरे सांसदों को वहां तक पहुंचने की चुनौती दे रहे हों। चाहे संसदीय परंपरा के निर्वहन की बात हो, या फिर अपने लोकसभा क्षेत्र तक विकास कार्यों का प्रवाह ले जाना, वे हर मामले में अव्वल रहते आये हैं।
गुजरात में पाटन जिले के कमबोई गांव में 17 जून 1950 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे किरीट भाई की शुरुआती पढ़ाई गुजरात में ही हुई और उन्होंने अहमदाबाद के विख्यात एनएचएल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। अहमदाबाद ही नहीं, बल्कि पूरे गुजरात में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के क्षेत्र में उन्हें एक सम्मान हासिल है। वे गुजरात स्टेट सर्जन्स एसोशिएसन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। देश में हेल्थ सेक्टर का सबसे प्रतिष्ठित बी. सी. रॉय अवॉर्ड भी उन्हें मिल चुका है। वर्ष 2009 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. किरीट सोलंकी को भाजपा ने सक्रिय राजनीति में उतरने का निमंत्रण दिया। डॉ. सोलंकी संघ और भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक तो थे, लेकिन राजनिति से उनका दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था। एक डॉक्टर के तौर पर उनकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि पार्टी को नवगठित अहमदाबाद के लिये वे सबसे उपयुक्त उम्मीदवार लगे। वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनाव के दौरान उनके क्षेत्र की जनता ने उन्हें अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुनकर भेजा। केंद्र में यूपीए सरकार होने के बावजूद उन्होंने विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। क्षेत्र वासियों ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दुबारा सांसद चुनकर संसद में भेजा। वर्ष 2019 में किरीट सोलंकी ने जीत का हैट्रिक लगाते हुए 17वीं लोकसभा में प्रवेश किया तो उनका प्रदर्शन और निखरा। उन्हें अनुसूचित जाति व जनजाति मामलों की स्टैंडिंग कमेटि का अध्यक्ष और व्यापक प्रयोजन व वित्त मामलों की स्टैंडिंग कमेटियों का सदस्य बनाया गया है।
बतौर सांसद उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास और कामयाबी की एक ऐसी मिसालें कायम की हैं जो उनके साथी सांसदों के लिये प्रेरक का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पाटण में कासा-भीलड़ी रेलवे लाइन के मार्ग में आ रही उस बड़ी समस्या को सुलझा लिया है जो पुरातत्व विभाग और रेलवे के बीच 566 वर्गमीटर जमीन के विवाद के कारण 1955 से उलझी हुई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने अहमदाबाद में रेलवे की खाली पड़ी जमीन का मेट्रो के लिये उपयोग करवा कर शहर के सैंकड़ों घरों को उजड़ने से बचा लिया। सरखेज-गांधीनगर-चिचौड़ा के लिये बनने वाले नैशनल हाइवे 8 के नये रूप यानी एनएच-147 में शहर के व्यस्त हिस्सों में फ्लाइओवरों की मंजूरी दिलवाना भी उनकी एक अहम उपलब्धि रही। इससे अहमदाबाद नगर इस महत्त्वपूर्ण विकास पथ से बिना किसी तरह बाधित हुए जुड़ रहा है।
बतौर सांसद उन्होंने 17वीं लोकसभा के महज दो सत्रों में 46 बहसों में सक्रिय भागीदारी की जिनमें से 32 विशेष उल्लेख के विषय थे। उन्होंने स्वास्थ्य, पॉवर, रेलवे, कृषि, आदिवासी कल्याण आदि विषयों से संबंधित 73 प्रश्न पूछे। उन्होंने नैशनल मेडिकल कमीशन के गठन औऱ ट्रांसजेंडर लोगों की सुरक्षा के लिये दो सरकारी विधेयक सदन में पेश किये हैं। इसके अलावे आदिवासियों, असंगत कानूनी पचड़ों मे फंसे लोगों, प्रतिपूरक वन क्षेत्रों और वन्य जीव संरक्षा में सुधार के लिये चार प्राइवेट बिल भी सदन के पटल पर रखे हैं।