जज्बा - भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ बेहद जज्बाती अधिकारी हैं जितेंद्र नारायण

जज्बा - भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ बेहद जज्बाती अधिकारी हैं जितेंद्र नारायण

जज्बा - भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ बेहद जज्बाती अधिकारी हैं जितेंद्र नारायण

1990 बैच के आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण की पहचान एक ऐसी शख्सियत की है जिसने अपनी दूरदर्शिता व योग्यता से हर जगह सुधारवादी मुहिम छेड़ी और कामयाब रहे। जितेंद्र नारायण लंबे अरसे तक दिल्ली और केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर तैनात रहे। अरुणाचल सरकार की तरफ से भी उन्हें दिल्ली में ही पदस्थापित किया गया है। बिहार के बेगूसराय में प्रतिष्ठित राय बहादुर परिवार में 19 अक्टूबर 1966 को जन्मे जितेंद्र नारायण की स्कूली शिक्षा दार्जिलिंग के सेंट पॉल स्कूल में हुई।  दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफन्स कॉलेज के छात्र रहे नारायण ने इतिहास में बीए व एमए किया। वे 1 जुलाई 1990 को भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और उन्हें केंद्र शासित प्रदेश कैडर प्राप्त हुआ। दिल्ली में उनकी पोस्टिंग सदैव भ्रष्टाचारियों और उन्हें संरक्षण देने वाले राजनेताओं के लिये चिंता का विषय रही । कई दशक पहले चंद्रास्वामी के आश्रम पर रेड करने वाले हिम्मती अधिकारी के तौर पर उनकी पहचान बनी। शीला दीक्षित के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्होंने कुछ हाई-प्रोफाइल एडॉप्शन हाउसों पर छापा मार कर सनसनी फैला दी थी। जब उन्हें दिल्ली नगर निगम भेजा गया तो उन्होंने गाजीपुर स्लॉटर हाउस के टेंडर में कड़ाई से पारदर्शिता लागू कर भ्रष्टाचारियों की नाक में दम कर दिया था। उन्होंने श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली दिल्ली की एक बड़ी बिल्डर कंपनी को सील कर दिया। एक पावरफुल पूर्व केंद्रीय खाद्य मंत्री के समय उन्होंने 11800 करोड़ रुपये के कंप्युटराइज्ड टीपीडीएस टेंडर को महज 300 करोड़ में एनआईसी को देने की सिफारिश कर तहलका मचा दिया था।  27 वर्ष के सेवाकाल के दौरान जितेंद्र नारायण ने  बेहतरीन योजनाकार और  नीति-निर्माता के रूप में प्रशासनिक हलकों में अपनी विशेष पहचान स्थापित कर लिया हैं। वे दिल्ली के शुरुआती प्रशासनिक अधिकारियों में से थे जिन्होंने राजधानी को नौ जिलों में बांटने में अहम भूमिका निभायी। अंडमान के नील द्वीपसमूह में पहली बार मतदाता पहचान पत्र शुरू करने का काम उन्होंने ही शुरू करवाया। उन्हें प्रतिष्ठित कॉमनवेल्थ एसोशिएसन फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड मैनेजमेंट रिकॉगनिशन भी प्राप्त हो चुका है। उनके ऑफिस मैनेजमेंट ‘कर्मोदय’ को भारत सरकार के प्रशासनिक विभाग ने सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से माना।