उत्तर पूर्व में खासी शोहरत प्राप्त आईएएस हैं संजय लोहिया

उत्तर पूर्व में खासी शोहरत प्राप्त आईएएस हैं संजय लोहिया

उत्तर पूर्व में खासी शोहरत प्राप्त आईएएस हैं संजय लोहिया

असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल के प्रिंसिपल सेक्रेटरी संजय लोहिया की पहचान एक गंभीर और अनुभवी अधिकारी की है। 1994 बैच के असम-मेघालय कैडर के लोहिया पीएमओ, कृषि, टैक्सेशन और सामान्य प्रशासन के विशेषज्ञ माने जाते हैं। वे मुख्यमंत्री के विश्वस्त और असम के लोकप्रिय अधिकारियों में से एक हैं और उन्हें सरकार में काफी प्रभावशाली अधिकारी माना जाता है। संजय लोहिया मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं और उन्होंने भौतिकी से स्नातक की पढ़ाई की है। 30 अगस्त 1969 को जन्मे संजय ने युवावस्था में ही आईएएस की परीक्षा में सफलता  हासिल कर 1994 में असम-मेघालय कैडर ज्वाइन किया। इन प्रदेशों के लोगों की समस्याओं को समझने और उनसे करीबी संपर्क रखने के लिये उन्होंने हिन्दी और अंग्रेजी को अलावे असमिया और बंगाली भाषा में भी दक्षता हासिल की।  वे प्रदेश के तेज-तर्रार प्रशासनिक अधिकारियों में शामिल रहे हैं। जब वर्ष 2013 में प्रदेश के बोगईगांव में उल्फा उग्रवादियों ने चार बिहारी मजदूरों को मौत के घाट उतार दिया था तब वे गुवाहाटी के म्सुनिसिपल कमिश्नर थे। उनकी प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए उन्हें विशेष रूप से वहां के जिलाधिकारी का कार्यभार भी सौंपा गया। संजय लोहिया को पूर्वोत्तर भारत के कई संवेदनशील जिलों में सफलता-पूर्वक प्रशासन संभालने का पुराना अनुभव है। वे नलबाड़ी में बतौर एडीएम तैनात रह चुके हैं। दरांग, डिब्रूगढ़ व तिनसुकिया में बतौर जिलाधिकारी वे सफल प्रशासन की कमान संभाल चुके हैं। वे प्रदेश  के कृषि सचिव भी रहे और असम में खेती-किसानी के विकास के लिये उन्होंने कई प्रमुख योजनाएं तैयार की और उन्हें लागू भी करवाया। आज भी मौजूदा मु्ख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को कृषि संबधित कोई भी नीति तैयार करनी होती है तो संजय लोहिया को सलाह के लिये अवश्य रखा जाता है। उनकी क्षमताओं की वजह से उन्हें वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में उन्हें विशेष तौर पर पीएमओ में डायरेक्टर बनाया गया था। इसके बाद वे भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के प्रमुख उपक्रम आईसीसीआर से जुड़े। दाल के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का रोडमैप संजय लोहिया ने ही तैयार किया था। वर्ष 2016 से वे असम कैडर की नियुक्ति पर वापस लौट गये और तब से प्रदेश के विकास में संलग्न हैं।शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता जैसे मुख्य बिंदुओं पर किये गये फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट के वार्षिक सर्वे 'असरदार ब्यूरोक्रैट्स -2019' में संजय लोहिया प्रमुख स्थान पर हैं।