बेहतरीन कार्यक्षमता के बेजोड़ सांसद- नामा नागेश्वर राव

बेहतरीन कार्यक्षमता के बेजोड़ सांसद- नामा नागेश्वर राव।

बेहतरीन कार्यक्षमता के बेजोड़ सांसद- नामा नागेश्वर राव

कहते हैं फलदार वृक्ष ही झुकते हैं और जिन्हें झुकना नहीं आता वे हवा के मामूली झोंके में उखड़ जाते हैं। ऐसे ही विनम्र और मृदुभाषी स्वभाव के हैं देश के सबसे धनाढ्य राजनेताओं में से एक नामा नागेश्वर राव। 15 मार्च 1957 को महबूबाबाद के बालापाल में जन्मे नामा नागेश्वर राव की शिक्षा-दीक्षा स्थानीय स्कूल से हुई। इंटरमीडिएट करने के बाद उन्होंने व्यापार में भाग्य आजमाया और मधुकॉन प्रोजेक्ट्स के नाम से इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी शुरू की। उनका कारोबार चल निकला। राजनीति की शुरुआत तेलगूदेशम पार्टी के साथ की जिसके बैनर पर वर्ष 2004 में 15वीं लोकसभा का चुनाव खमम सीट से तत्कालीन सांसद रेणुका चौधरी के खिलाफ लड़ा। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिली, लेकिन अगली बार यानी वर्ष 2009 में उन्हें जीत हासिल हुई और 15वीं लोकसभा के सदस्य बने। तब उन्हें देश के सबसे धनी सांसद के तौर पर पहचान मिली थी। उन्होंने अपनी निजी संपत्ति 113 करोड़ रूपये की घोषित की थी। नामा नागेश्वर राव ने वर्ष 2009 से लेकर 2014 तक खम्मम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे टीडीपी से पन्द्रह वर्षों से जुड़े रहे और लोकसभा में उन्होंने टीडीपी संसदीय दल के नेता के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। उनका लोकसभा क्षेत्र खम्मम तेलंगाना में पड़ता है और राज्य विभाजन के बाद वहां तेलगुदेशम पार्टी की लोकप्रियता लगभग नगण्य हो गयी थी। संभवतः इसी कारण से उन्होंने वर्ष 2019 आते-आते टीडीपी की गतिविधियों से किनारा कर लिया था और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की की पार्टी टीआरएस ज्वॉइन कर ली। उन्होंने अपने क्षेत्रवासियों से संपर्क हमेशा कायम रखा। पार्टी आलाकमान ने उनकी लोकप्रियता और प्रभाव देखते हुए खम्मम से निवर्तमान संसद पी. श्रीनिवास रेड्डी की जगह नामा नागेश्वर राव को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर उतारा। वे भारी मतों से विजयी हुए। नामा नागेश्‍वर राव का समाज सेवा के क्षेत्र में बड़ा योगदान है। उन्‍होंने नामा मुथैया मेमोरियल ट्रस्ट के अंतर्गत खमम के कई शहरी क्षेत्रों और आसपास के ग्रामीण में पीने का पानी पहुंचाने का काम किया। इसके अलावा पीने के पानी के पैकेट, किसानों के लिये बोरवेल, आदि की व्‍यवस्‍था करवाते हैं तथा खास तौर पर सूखे की चपेट में आने वाले गांवों को प्राथमिकता देते हैं। बतौर सांसद वे खासे सक्रिय हैं। उन्होंने पहले दो सत्रों में ही लोकसभा की 18 बहसों में सक्रिय भागीदारी निभायी। उन्होंने सदन में कुल 27 प्रश्न पूछे जो मुख्यतः जलशक्ति, स्वास्थ्य, वानिकी व पर्यावरण, सामाजिक न्याय और रेलवे आदि से संबंधित रहे। उन्होंने लोकसभा में छह सरकारी विधेयक प्रस्तुत किये हैं। उन्हें संसद की लाइब्रेरी कमेटि का अध्यक्ष बनाया गया है। वे सामान्य उद्देश्य और सहायक कानून की संसदीय समितियों के सदस्य भी बनाये गये हैं। दोनों सत्रों को मिलाकर सदन में उनकी उपस्थिति 97 प्रतिशत रही।