संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए जागरूक रहती है पूनमबेन माडम
संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए जागरूक रहती है पूनमबेन माडम

एक महान विरासत को आगे बढ़ाकर विस्तृत पटल पर फैलाने की कला कम लोगों में ही होती है। गुजरात की लोकप्रिय सांसद पूनमबेन माडम इसका जीता जागता उदाहरण हैं जिन्होंने अपने पिता की लोकप्रियता को एक नयी पहचान दी। पुनमबेन माडम का जन्म एक राजनीतिक परिवार में 23 सितंबर 1974 को गुजरात के जामनगर में हुआ था। उनके पुरखे अहीर समुदाय से थे और उत्तर प्रदेश से गुजरात के खंभालिया में जाकर बस गये थे। खंभालिया भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका का ही एक इलाका है जहां अहीर समुदाय का खासा बोलबाला है। पूनम के दादा ने इलाके में शिक्षा की अलख जगायी थी इस वजह से उनके पिता हेमतभाई माडम को इलाके में काफी लोकप्रियता हासिल थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1972 से 1990 के बीच खंभालिया के चार बार विधायक रहे, वो भी निर्दलीय। पूनम की शिक्षा-दीक्षा गुजरात में ही हुई और उन्होंने गुजरात विश्वविद्यालय से बी कॉम किया। उनकी शादी डिफेंस अधिकारी परमिंदर महाजन से हुई और उसके बाद वे दिल्ली में रहने लगीं। वर्ष 2009 तक वो दिल्ली में ही रहीं. लेकिन बाद में अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभालने के लिये खंभालिया आ गयीं।
पूनम माडम के राजनीतिक सफर की कहानी किसी हिन्दी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। चाचा विक्रम माडम कांग्रेस के बड़े नेता हैं और जामनगर से कांग्रेस के सांसद भी रह चुके हैं। कहते हैं पूनम माडम के राजनीति में उतरने से विक्रम माडम खुश नहीं थे और जब वर्ष 2012 में गुजरात विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस खंभालिया सीट पर पूनम को उतारने की तैयारी में थी तब उनके चाचा ने हेभा भाई कुमार की उम्मीदवारी के लिये लॉबिंग कर डाली। पूनम ने भाजपा के टिकट पर वहां से चुनाव लड़ा और जीत भी गयीं। वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनाव हुए तो बीजेपी ने जामनगर सीट पर पूनम माडम को टिकट दिया और उन्होंने अपने उसी चाचा को हरा दिया जिन्होंने उनके खिलाफ लॉबींग की थी। वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा के चुनाव में भी उन्हें जोरदार जीत मिली। संसदीय परंपरा में पूनम मा़डम को पूरा भरोसा है और वे गंभीर सासंदों में गिनी जाती हैं। उन्होंने प्रारंभिक दो सत्रों में उनकी उपस्थिति 95 प्रतिशत रही है और उन्होंने वस्त्र उद्योग, बंदरगाहों की स्थिति, रक्षा, कृषि और स्वास्थ्य आदि विषयों से संबंधित 41 प्रश्न पूछे। उन्होंने पांच बहसों में सक्रिय भागीदारी निभायी जबकि उन्हें सार्वजनिक उपक्रमों और नारी सशक्तिकरण के संसदीय कमेटि का सदस्य बनाया गया है। पूनम माडम कई स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ी हैं और सामाजिक तौर पर काफी सक्रिय हैं। वे अहीर कन्या छात्रालय और अहीर-यादव सेवा समाज, द्वारका की ट्रस्टी हैं। साथ ही वे अपने परिवार के नाम पर चलने वाले एच आर ट्रस्ट की अध्यक्ष रही हैं और इसके माध्यम से इलाके में खेलकूद, स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में जागरुकता फैलाती हैं। वे दुनिया के कई देशों की यात्रा कर चुकी हैं और हिन्दी व अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं की अच्छी वक्ता हैं।