संसदीय और संगठनात्मक कार्यो का लंबा अनुभव रखते हैं राकेश सिंह
मिट्टी से जुड़े और जनसाधारण की नब्ज पर पकड़ रखने वाले राकेश सिंह भारतीय लोकतंत्र की शक्ति का जीता जागता उदाहरण हैं। उन्होंने साबित कर दिखाया है कि हमारा लोकतंत्र हर आम और खास को आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करता है। साधारण से साधारण व्यक्ति भी धरातल से आसमान की ऊंचाइयों तक महज अपनी कोशिशों के दम पर पहुंच सकता है। 4 जून 1962 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में जन्मे राकेश सिंह की प्रारंभिक शिक्षा शहर के गवर्नमेंट स्कूल और साइंस कॉलेज में हुई। राजनीति और सामाजिक गतिविधियों में कॉलेज के दिनों से ही गहरी रुचि थी और वर्ष 1978 में फर्स्ट इयर के दौरान ही कार्यकारिणी सदस्य चुन लिये गये। अगले साल कॉलेज की तरफ से विश्वविद्यालय प्रतिनिधि बने। जब पढ़ाई पूरी कर लकड़ी के कारोबार में उतरे तो टिंबर मर्चेंट एसोशिएसन की कार्यकारिणी में रिकॉर्ड मतों से चुने गये। भरतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर उन्हें 1994 और 1999 के विधानसभा चुनावों में बरगी सीट का पार्टी संचालक बनाया गया। कम लोगों को मालूम है कि कभी भाजपा का राष्ट्रव्यापी अभियान बना नारा "गांव चलो, घर चलो" राकेश सिंह के नेतृत्त्व में ही पार्टी की जबलपुर जिला ग्रामीण इकाई ने शुरू किया था। वर्ष 2004 में राकेश सिंह पहली बार जबलपुर से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतकर 14वीं लोकसभा के सदस्य बने। हालांकि तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, फिर भी उनके द्वारा किये गये कार्यों और क्षेत्र के सबल प्रतिनिधित्व के कारण जबलपुर की जनता का विश्वास इतना जमा कि तब से लगातार चार बार सांसद बनाया है। खास बात यह है कि उन्हें मिलने वाले वोटों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2010 में प्रदेश महामंत्री फिर वर्ष 2018 में प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। उनका प्रयास हवाई सेवा तथा रेलवे के माध्यम से जबलपुर को बडे महानगरों के साथ जोड़ने का था, जिसमें अच्छी सफलता भी मिली और जबलपुर पहली बार दिल्ली और मुंबई से नियमित दैनिक वायु सेवा से जुड़ा। इसी के साथ पर्यटन आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास भी रंग लाया। आज कृषि आधारित उद्योगों के लिये जबलपुर एक सुलभ स्थान है। 17वीं लोकसभा के अबतक के छोटे से कार्यकाल के दौरान भी सदन मेंउनकी सक्रियता काफी रही। उन्होंने 7 बहसों में सक्रिय भागीदारी की है और जलशक्ति, नागरिक उड्डयन, कृषि और रेलवे आदि से संबंधित 25 प्रश्न पूछे हैं। सदन में उनकी उपस्थिति 78 प्रतिशत रही। वे संसद की कोयला व इस्पात कमेटि के अध्यक्ष बनाये गये हैं जबकि जेनरल परपस कमेटि तथा बिजनेस एडवाइजरी की संसदीय कमेटि के सदस्य हैं।