सदन में प्रगतिशील सोच के सक्रिय सांसद है - रवनीत सिंह

सदन में प्रगतिशील सोच के सक्रिय सांसद है - रवनीत सिंह

सदन में प्रगतिशील सोच के सक्रिय सांसद है - रवनीत सिंह

शहादत की विरासत :- कभी उग्रवाद का शिकार रहे पंजाब में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या को पूरे देश ने राष्ट्रवाद पर हमला माना था और देश-विरोधियों से डट कर मुकाबला करने का संकल्प लिया था। ये कुर्बानी व्यर्थ न जाये इस भावना को अपने दिल में लिये समाजसेवा करने वाले इसी परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं रवनीत सिंह उर्फ बिट्टू जिन्हें जनता ने लगातार तीसरी बार अपना प्यार व समर्थन देकर लोकसभा भेजा है।  10 सितंबर 1975 को लुधियाना के कोटली में जन्मे रवनीत सिंह को राजनीति विरासत में मिली है। हालांकि उनका परिवार समृद्ध था, लेकिन उन्होंने पढ़ाई गुरुनानक पब्लिक स्कूस व चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज से ही की। इसके बाद इंटीग्रेटेड लर्निंग इन मैनेजमेंट युनिवर्सिटी के ईस्टर्न इंस्टीच्यूट से बीसीए की डिग्री हासिल की। उनमें युवावस्था से ही समाज सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी थी। वे एक उम्दा खिलाड़ी भी थे और हॉकी और कबड्डी; कई खेलों में स्कूल और कॉलेज का प्रतिनिधित्व स्कूल में स्पोर्ट्स प्रीफेक्ट रह चुके हैं। रवनीत सिंह नेशनल हॉकी टीम के प्लेयर भी रह चुके हैं। 
रवनीत सिंह बिट्टू का जुड़ाव बचपन से ही कांग्रेस से था इसलिये पार्टी की युवा इकाई से शुरुआत की। यूथ कांग्रेस में आंतरिक पार्टी लोकतंत्र लाने के लिये आलाकमान की पहल के बाद, 23 दिसंबर 2008 को पंजाब यूथ कांग्रेस के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए अध्यक्ष बने। देश में आम आदमी को हो रही समस्याओं को जानने के लिये, नवंबर, 2010 को 45 दिन की पदयात्रा शुरू की। इस यात्रा का मुद्दा "जवानी ते किसानी नू बचाई, नवां पंजाब बनैया"; सभी जिलों में, सभी 13 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में और लगभग 72 विधानसभा क्षेत्रों में 1500 किलोमीटर की दूरी तय की गयी। कन्या भ्रूण हत्या के मुद्दे पर भी बड़े पैमाने पर काम किया।वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा के लिये लुधियाना सीट से चुने गये। फिर वर्ष 2014 और 2019 में देश भर में मोदी लहर के बावजूद वे जीत कर क्रमशः 16वीं और 17वीं लोकसभा के लिये हुए चुनावों में अपनी विजय पताका फहरा कर दिखा दिया कि अगर सच्चे मन से जनसेवा की जाये तो जनता दिल से जुड़ती है। रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में, पंजाब के युवाओं में मादक पदार्थों की लत के खिलाफ अभियान शुरू किया। मई 2011 में, 11 कार्यकर्ताओं के साथ 121 घंटे की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के बाद, राज्य सरकार ने ड्रग प्रिवेंशन बोर्ड की स्थापना की थी। इस बोर्ड की मदद से और सभी जिलों में डी-एडिक्शन सेंटर खोलकर, राज्य सरकार नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है और हजारों युवा लाभान्वित हुए हैं। 2013 में, संविधान सभा में डिफरेंटली-एबल्ड सिटिजन्स के लिये शिविरों का आयोजन किया गया, जहां 1631 व्यक्तियों को व्हील-चेयर, ट्राइ-साइकल, कृत्रिम अंग दिए गये। उनकी कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसके बुनियादी ढांचे में बहुत रुचि है। ड्रिप इरीगेशन, प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं, शहरी परिवहन को बढ़ावा देना। वे नेपाल, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका आदि देशों की यात्राएं कर चुके हैं।