जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने में कामयाब रही है रीति पाठक

जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने में कामयाब रही है रीति पाठक

जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने में कामयाब रही है रीति पाठक

अगर बुलंद हों हौसले तो आसमां को भी झुकाना है आसान। ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं मध्यप्रदेश की सीधी लोकसभा सीट से भाजपा सांसद रीती पाठक की सफलता की कहानी पर। एक साधारण परिवार की इस असाधारण बेटी ने दिखा दिया कि अगर सच्चाई के साथ कोशिश की जाये तो बड़ी से बड़ी मंजिल को हासिल करना संभव है।  1 जुलाई 1977 को मध्यप्रदेश के सिंगरौली में जन्मी रीती के पिता रामकरण देव पांडेय वकील और माता श्यामा पांडेय हाउसवाइफ थीं। वे स्कूल कॉलेज में मेधावी छात्रा थीं और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अव्वल आती थीं। सन् 1997 में 20 वर्ष की आयु में उनका विवाह सीधी के रजनीश पाठक के साथ हुआ। उनके ससुराल वालों ने उनकी क्षमता को समझा और उन्हें शिक्षा पूरी करने में सहयोग व बढ़ावा दिया। उनकी उच्च शिक्षा रीवा के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से हुई उन्होंने हिंदी और इतिहास में स्नातक और फिर इतिहास में एमए की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने एलएलबी की डिग्री भी पास की और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। रीती पाठक ने देखा कि राजनीति के जरिये समाजसेवा में सक्रिय योगदान देना संभव है इसीलिये सीधी जिला पंचायत का चुनाव लड़ा। वे अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुईं और उनकी कार्यक्षमता और सक्रियता को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें वर्ष 2014 के सोलहवीं लोकसभा चुनाव में सीधी सीट से प्रत्याशी बनाया। हालांकि उनके मुकाबले कांग्रेस के दिग्गज नेता और मौजूदा सांसद इंद्रजीत कुमार खड़े थे, लेकिन इस बात की परवाह किये बिना रीति ने अपना चुनाव प्रचार शुरू किया। वे अपनी योजनाओं और विचारों को लोगों तक पहुंचाने में सफल रहीं। उन्हें एक लाख से भी अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई। वे संसद के सदन और अपने क्षेत्र की सबसे सक्रिय नेताओं में से एक हैं औऱ कई सत्रों में उनकी शत प्रतिशत उपस्थिति रही है। अपने संसदीय क्षेत्र में उन्होंने विकास के कई कार्य करवाये। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए सन् 2019 में हुए  सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी बनाया और उन्होंने दोबारा जीत कर अपनी योग्यता साबित की।

बतौर सांसद रीती पाठक की सदन में उपस्थिति 99 प्रतिशत रही है जबकि उन्होंने केंद्रीय बजट, रोजगार, कृषि, अन्त्योदय हरित क्रांति, रेलवे और राजमार्ग से जुड़ी सात बहसों में सक्रिय भागीदारी की है। उन्होंने 47 प्रश्न उठाये हैं जो नागरिक उड्डयन, रेलवे, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, टोल प्लाजा आदि से संबंधित हैं। सितंबर 2019 में उन्हें कोयला व इस्पात मंत्रालय की स्टैंडिग कमेटि का सदस्य बनाया गया जबकि अक्टूबर में उन्हें नारी सशक्तिकरण मंत्रालय की स्टैंडिग कमेटि में शामिल किया गया। खास बात यह है कि दोनों ही कमेटियों में वे पिछली लोकसभा के दौरान भी सदस्य रह चुकी हैं।

उन्हें सर्वे में सदन की शालीन और गंभीर सांसद के तौर पर पाया गया है। वे लोकसभा में क्षेत्र और जनकल्याण के मुद्दे उठाती रहती हैं और  उनसे जुड़ी बहसों में हिस्सा जरूर लेती हैं। संसद में उपस्थिति से लेकर अपने लोकसभा क्षेत्र के विकास तक के लिये क्रियाशील रहने का हौसला ही इन्हें श्रेष्ठ सांसद की श्रेणी में ला खड़ा करता है। संसदीय क्षेत्र में उनकी छवि अच्छी है। वे जनता से जुड़ी हुई हैं और क्षेत्र में समाजिक सहभागिता बना कर कुशलता-पूर्वक चल रही हैं।