चर्चित - उड़ीसा के सबसे चर्चित और असरदार ब्यूरोक्रेट है वी कार्तिकेयन पांडियान

चर्चित - उड़ीसा के सबसे चर्चित और असरदार ब्यूरोक्रेट है वी कार्तिकेयन पांडियान

चर्चित - उड़ीसा के सबसे चर्चित और असरदार ब्यूरोक्रेट है वी कार्तिकेयन पांडियान

उड़ीसा में सबसे शक्तिशाली युवा के तौर पर मशहूर वी कार्तिकेयन पांडियन एक बेहद समझदार, दूरदर्शी और मृदुभाषी  अधिकारी हैं। खास बात यह है कि वे उड़ीसा के मूल निवासी न होते हुए भी एक अरसे से प्रदेश की सत्ता और सत्तारूढ़ पार्टी दोनों के सबसे महत्त्वपूर्ण शख्सियत बने हुए हैं। वे प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव हैं और उनकी आंख व कान माने जाते हैं। तमिलनाडु के एक साधारण परिवार में 29 मई 1974 में जन्मे वी कार्तिकेयन पांडियान ने वर्ष 2000 में आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर उड़ीसा कैडर में अपना कार्य शुरू किया। अपनी नौकरी के शुरुआती दिनों में वे रायगड़ा, कालाहांडी और धर्मापुरी के सब कलेक्टर रहे और सुंदरगढ़, मयुरभंज व गंजम जिले के जिलाधिकारी बने। इस बीच वे वर्ष 2004 में  थोड़े समय के लिये मुख्य चुनाव अधिकारी भी बने और इसके बाद  उद्योग विभाग के चीफ जेनरल मैनेजर का पदभार भी संभाला। वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने उन्हें अपना निजी सचिव नियुक्त किया और तब से अबतक वे सरकार के सबसे विश्वासपात्र व प्रमुख अधिकारी बने हुए हैं।  लोगों से कम बातचीत करने वाले इस अधिकारी ने हमेशा पब्लिसिटी से दूर रहकर अपने कार्य पर ध्यान दिया। इसके बावजूद उनकी चर्चा सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही हलकों में की जाती है। हालांकि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हमेशा से सत्ता चलाने के लिए मंत्रियों और विधायकों से ज्यादा नौकरशाहों पर भरोसा किया है, लेकिन कोई भी अधिकारी कभी भी इतनी चर्चा का विषय नहीं रहा है जितना पांडियन रहे हैं। चाहे पार्टी की बैठक हो या सरकार की, वे हर समय मुख्यमंत्री के ऐन पीछे बैठते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे आम तौर पर शांत रहने वाले मुख्यमंत्री से सबसे ज्यादा बातचीत करने वाले शख्स हैं। वे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के लिये योजना बनाने और उनकी तैयारियों में डूब जाते हैं। दिन भर वे मुख्यमंत्री की दिनचर्या में शरीक रहते हैं और उनसे किसकी मुलाकात हो और किसकी नहीं, यह भी पांडियान ही तय करते हैं। कहते हैं, 2011 में मुख्यमंत्री पटनायक के निजी सचिव बनने के बाद से उनकी छाया से भी ज्यादा पक्के बन गये हैं। इस भरोसे के पीछे उनकी कर्मठता, ईमानदारी और दूरदर्शिता का सबसे बड़ा हाथ है, तभी वे सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री के सबसे अधिक दिनों तक जुड़े रहने वाले सहयोगी बन पाये हैं।