सिक्योरिटी एक्सपर्ट हैं कर्त्तव्यनिष्ठ आईपीएस आफिसर अजय आनंद

सिक्योरिटी एक्सपर्ट हैं कर्त्तव्यनिष्ठ आईपीएस आफिसर अजय आनंद

सिक्योरिटी एक्सपर्ट हैं कर्त्तव्यनिष्ठ आईपीएस आफिसर अजय आनंद

जाने-माने सुरक्षा विशेषज्ञ, देश के सबसे बड़े प्रदेश के कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अधिकारी और हर आम और खास की सेवा का कर्तव्य निभाने को तत्पर, ये खूबियां पहचान हैं आगरा जोन के एडीजी अजय आनंद की। उन्हें एक ऐसे अधिकारी के तौर पर जाना जाता है जो अपने अधीन कार्यरत पुलिसकर्मियों में उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर देते हैं। यही कारण है कि किसी भी विपरीत परिस्थिति में सरकार उन्हें संकटमोचक के तौर पर अवश्य याद करती है।  अजय आनंद का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के मुख्यालय आरा में 13 अप्रैल 1965 को हुआ था। उनके पिता श्याम नंदन सिंह सरकारी नौकरी में थे। स्कूली शिक्षा बिहार में पूरी करने के बाद अजय आनंद ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स में ग्रैजुएशन (ऑनर्स) किया। इसके उपरांत उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एमए की डिग्री हासिल की। वर्ष 1992 में यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सर्विसेज की परीक्षा में भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ तो उत्तर प्रदेश कैडर मिला। शुरुआत से ही उनकी कर्मठता ने उन्हें कानून और व्यवस्था का पारंगत बना दिया। वे यूपी के 17 जिलों में एसपी और एसएसपी के पदों पर तैनात रहे हैं। बतौर एसपी सोनभद्र, शाहजहांपुर, रायबरेली, जौनपुर व बलरामपुर में कार्यरत रहे। सहारनपुर, अलीगढ़ और मुज़फ़्फ़रनगर जैसे तीन अति संवेदनशील ज़िलों में उन्हें दोबारा एसएसपी बनाया गया, जो संभवतः अपने आप में एक रिकॉर्ड जैसा है। इसके अतिरिक्त वे प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, फ़िरोज़ाबाद, बुलन्दशहर व झांसी आदि जिलों में एसएसपी के पद पर तैनात रहे। उनकी लोकप्रियता का आलम ये था कि जब भी उनका तबादला हुआ, वहां के लोगों ने मुख्यमंत्री तक से उन्हें वहीं रोकने के लिये गुहार लगायी। वे न सिर्फ बेहतर प्रशासक हैं बल्कि वे अपराधियों पर लगाम कसने के लिये भी जाने जाते हैं। लोगों के प्रति मददगार रवैये ने उन्हें खासा लोकप्रिय बनाया है। अजय आनंद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान लगभग सवा साल बीएसएफ के साथ और छह साल संसद की सुरक्षा से जुड़े रहे। संसद में अपनी तैनाती के दौरान वे तीन साल लोक सभा के सिक्योरिटी डायरेक्टर रहे व तीन साल ज्वाइंट सेक्रेटरी ( सिक्योरिटी) बनाये गये। होम कैडर में वापस आने पर बतौर आईजी उन्होंने इलाहाबाद व उसके बाद मेरठ जोन की कमान संभाली। वे मेरठ में 3 सितंबर 2016 को आईजी पद पर तैनात हुए थे। उनके कार्यकाल में ही सहारनपुर में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी जिसे समझदारी पूर्वक संभालने के लिये हर स्तर पर उनकी प्रशंसा हुई थी। वर्ष 2017 की शुरुआत से वे आगरा जोन के एडीजी हैं। इस जोन में आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी जिले आते हैं और इसे सार्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। जब यूपी विधानसभा में विस्फोटक मिलने से हड़कंप मचा था तो उन्हें विशेष तौर पर सुरक्षा के उपाय सुझाने के लिये लखनऊ बुलाया गया था। उन्हें मई 2008 में डीआईजी रैंक, मई 2012 में आईजी रैंक और जनवरी 2017 में एडीजी रैंक का प्रमोशन प्राप्त हुआ है। प्रदेश में अपराध पर नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने में अजय आनंद के योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 2017 में पुलिस महानिदेशक प्रशंसा चिह्न से सम्मानित किए जाने के लिए चुना गया है। उन्हें वर्ष 2013 में सराहनीय सेवा के लिये राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अतिरिक्त उन्हें दीर्घकालीन सेवा के लिये वर्ष 2020 में राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। हाल ही में प्रदेश के पुलिस महानिदेशक द्वारा उन्हें प्लैटिनम डिस्क से भी सम्मानित किया गया है।

 फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट द्वारा किये गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में उत्तर प्रदेश के एडीजी अजय आनंद, "कर्त्तव्यनिष्ठ" श्रेणी  में प्रमुख स्थान पर हैं।