शेर-ए-कश्मीर से सम्मानित दूरदर्शी आईपीएस हैं जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह

शेर-ए-कश्मीर से सम्मानित दूरदर्शी आईपीएस हैं जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह

शेर-ए-कश्मीर से सम्मानित दूरदर्शी आईपीएस हैं जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह

देश के दूरदर्शी जांबाज आईपीएस अधिकारियों की बात हो तो 1987 बैच के आईपीएस दिलबाग सिंह का नाम जरूर आता है । वर्तमान में वे भारत के सबसे  प्रभावित राज्य जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। एक ओर आतंकवाद पर काबू तो दूसरी तरफ प्रदेश में पुलिस व प्रशासन से जुड़े सुधारों को अंजाम देने का जिम्मा एक साथ इनके कंधे पर है और वे अपनी दूरदर्शिता से सफल भी साबित हो रहे हैं । जम्मू - कश्मीर की जेलों को उन्होंने जितना अभेद्य बनाया उतना ही सजा से अधिक सुधारगृह बनाने पर जोर दिया। 10 अक्टूबर 1967 को पंजाब के तरनतान जिले के छोटे से गांव कोट धर्म चंद खुर्द में जन्मे दिलबाग सिंह की शिक्षा और सफलता की कहानी किसी मिसाल से कम नहीं है। उनके पिता बलबीर सिंह एक साधारण किसान थे और स्थानीय अनाज मंडी में पोर्टर का काम करके अपना परिवार पालते थे। दिलबाग अपने परिवार में शिक्षा पाने वाले पहले थे और शुरू से ही बेहद मेधावी छात्र रहे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के एक सरकारी स्कूल में प्राप्त की और पास के धर्म धरम चंद कलां गाँव के सरकारी हाई स्कूल से मैट्रिक किया। दिलबाग पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता के काम में भी हाथ बंटाते थे।  वर्ष 1985 में उन्होंने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री हासिल की। वे एमफिल कर के प्रोफेसर बनना चाहते थे, लेकिन उनके शिक्षकों ने उन्हें यूपीएससी की परीक्षा पर ध्यान देने की सलाह दी। 1987 बैच में उनका आईपीएस में चयन हुआ और जम्मू-कश्मीर कैडर मिला। दिलबाग सिंह की छवि शुरुआत से ही एक सख्त , अनुशासनप्रिय किन्तु मिलनसार और हर किसी की सहायता को तत्पर रहने वाले अधिकारी की रही। शुरुआत में बतौर एएसपी कुपवाड़ा और डोडा में उनकी तैनाती हुई। वे राज्य में बतौर एसपी  डोडा जिला  , बारामूला जिला और विजिलेंस की कमान संभाल चुके हैं । हर नियुक्ति पर उन्होंने अपनी  काबिलियत सिद्ध की ।  वे जेकेएपी 7 वीं बटालियन के कमांडेंट के साथ ही एडीआईजी अनंतनाग, एडीआईजी बारामूला के बाद राज्य के डीआईजी सुरक्षा का पदभार भी संभाल चुके है। वे डीआईजी जम्मू, निदेशक एसएसजी जम्मू-कश्मीर भी रहे। बतौर आईजीपी दिलबाग सिंह को राज्य के विभिन्न विभागों को संभालने का अनुभव रहा है ।  जिसमें आईजी क्राइम , रेलवे , सीआईडी,  ट्रैफिक, होमगार्ड व नागरिक सुरक्षा, सशस्त्र बल, निदेशक - एसके पुलिस अकादमी के साथ ही उधमपुर और जम्मू जैसे महत्त्वपूर्ण जोन के आईजी का पद शामिल रहा हैं । हर पोस्टिंग में उन्होने अपनी दूरदर्शिता , प्रो पीपुल्स पुलिसिंग , त्वरित निर्णय लेनी की बेहतर क्षमता का प्रदर्शन किया । वे बतौर एडीजीपी  एमडी - पुलिस आवास निगम, एडीजी सुरक्षा, कमांडेंट जनरल- होम, फायर-ब्रिगेड के अतिरिक्त प्रभार आदि पदों पर भी रहे। फरवरी 2018 में उन्हें डीजी जेल व आपातकालीन सेवा के रूप में तैनात किया गया। उन्होंने राज्य की जेलों के सुरक्षा घेरे को कसने के कई उपाय किये और प्रदेश की जेलों से हार्डकोर आतंकवादियों को हटाने सहित कई चीजों को सुव्यवस्थित किया है। वर्ष 2018 के सितंबर माह में जम्मू-कश्मीर में कानून- व्यवस्था में सुधार के लिए दिलबाग सिंह को अंतरिम पुलिस महानिदेशक बनाया गया। अक्टूबर 2018 में उन्हें  डीजीपी का पद सौंप दिया गया। उनके पदभार संभालने के साथ ही पुलिस कई दुर्दांत आतंकवादी को मुठभेड़ में मार गिराया। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने के बाद की बेहद संवेदनशीलता स्थिति को भी सफलतापूर्वक संभालने में सफल रहें हैं। दिलबाग सिंह को वर्ष 2015 में मेधावी सेवाओं के लिये शेर-ए-कश्मीर पुलिस मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। 

फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडों पर किये गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह, दूरदर्शी श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।