पत्रकारिता जगत के चमकते सितारे रजत शर्मा के लिए आसान नहीं रहा है यहाँ तक का सफर
पत्रकारिता जगत के चमकते सितारे रजत शर्मा के लिए आसान नहीं रहा है यहाँ तक का सफर
रजत शर्मा को अगर देश की टीवी पत्रकारिता का जनक कहा जाये तो संभवतः किसी को ऐतराज न होगा। वे ऐसे पहले पत्रकार हैं जिन्होंने न्यूज टीवी को लोकप्रिय मीडिया के तौर पर स्थापित किया है। 1993 में शुरु हुआ उनका कार्यक्रम ‘आप की अदालत’ भारतीय टीवी के इतिहास में सबसे पुराना है, लेकिन आज भी नयी ताजगी से भरपूर है। जब वे कठघरे में आये मेहमान पर मीठी बोली में चुभते सवालों की बौछार करते हुए इस प्रोग्राम को प्रस्तुत करते हैं तो दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देखते रह जाते हैं। उनका चैनल इंडिया टीवी देश के चोटी के चैनलों में शुमार है और हर साल कई सप्ताह तक नंबर वन की पोजीशन पर भी कायम रहता आया है।
रजत शर्मा के जीवन का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वे जितने ग्लैमरस और तड़क-भड़क वाले दिखते हैं, उनका इतिहास उतना ही अंधेरा और मुफलिसी से भरा हुआ है। 18 फरवरी 1957 को दिल्ली के सब्जी मंडी में एक गरीब घर में जन्मे रजत शर्मा का बचपन अपने माता-पिता, छह भाइयों और एक बहन के साथ एक 10×10 के छोटे से कमरे में गुजरा है और वे भारी अभाव में रहे। बचपन में ही वे जान चुके थे पढ़ाई ही एकमात्र हथियार है जो उनकी गरीबी को खत्म करेगा। शुरुआती पढ़ाई स्थानीय सनातन धर्म मिडल स्कूल में की और वे सब्जी मंडी रेलवे स्टेशन पर लगे लैंप पोस्ट की लाइट में पढ़ते थे। उन्हें अपनी योग्यता के दम पर करोल बाग के रामजस स्कूल में दाखिला मिल गया लेकिन वहां पढ़ने के लिये कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था।
उच्च शिक्षा के लिये दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला मिल गया, लेकिन फीस जुटाना एक चुनौती थी। ऐसे में उनके सीनीयर अरुण जेटली ने उनकी मदद की और दोनों ने साथ छात्र राजनीति में भी कदम रखा। बाद में जेपी आंदोलन से जुड़े तो उनकी भाषण देने की कला ने सबको प्रभावित किया। इमरजेंसी के दौरान 11 महीने दिल्ली के तिहाड़ जेल में भी बिताना पड़ा। 1977 में इंदिरा सरकार गिरने के बाद आजाद हुए तो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में जीत कर महामंत्री बने। विजय गोयल उसी यूनियन में अध्यक्ष चुने गये थे।
एम कॉम के दौरान उनकी मुलाकात जनार्दन ठाकुर से हुई जो ‘आनंद बाजार पत्रिका’ छोड़ अपना फीचर सिंडिकेशन शुरू कर रहे थे। बतौर रिसर्चर उन्होंने कई सामग्रियां इकट्ठी कीं जिनका इस्तेमाल नहीं हुआ। रजत शर्मा ने जनार्दन ठाकुर के सुझाव पर कुछ लेख ‘ऑनलुकर’ मैगजीन के लिये लिखा तो उसके संपादक उनसे बेहद प्रभावित हुए। 1982 में उन्हें उसी पत्रिका में कॉरेसपॉन्डेंट की नौकरी मिल गयी। वहीं वे चीफ ऑफ ब्यूरो बने और फिर 1985 में संपादक। उनकी कई चर्चित स्टोरीज की चर्चा आज भी होती है। क्वात्रोच्चि के उपर पहली स्टोरी की और इंटरव्यू भी लिया। चंद्रास्वामी को एक स्टिंग ऑपरेशन के तहत एक्सपोज किया। इंदिरा इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह से बातचीत करने के लिये वे खुद को गिरफ्तार कराके तिहाड़ जेल चले गये और वहां से स्टोरी की। उसके बाद 1987 में वे ‘संडे ऑब्जर्वर’ अखबार के संपादक बने जहां 1992 तक रहे।
1992 में उन्होंने ज़ी टीवी के मालिक सुभाष चंद्रा से एक मुलाकात में अदालत की शक्ल में इंटरव्यू का आइडिया दिया जिसकी शुरुआत 1993 में हुई और इस कार्यक्रम ने एक इतिहास रच डाला। इस कार्यक्रम की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजनीतिक हो या कारोबारी, ग्लैमर वर्ल्ड से हो या फिल्मी दुनिया से, देश की कोई भी ऐसी जानी-मानी हस्ती नहीं है जो इससे ना जुड़ी हो या जुड़ने की तमन्ना ना रखती हो। उन्होंने 1995 में ज़ी टीवी पर देश के सबसे पहले निजी न्यूज़ बुलेटिन की शुरुआत की थी जो एक और ऐतिहासिक कदम था। ज़ी छोड़ने के बाद उन्होंने इंडिपेंडेंट न्यूज सर्विस के नाम से एक प्रोडक्शन हाउस शुरु किया जिसके बैनर तले स्टार न्यूज़ के लिये कई प्रोग्राम बनाये।
रजत शर्मा ने जब सन 2004 में इंडिया टीवी की शुरुआत की तब किसी को अंदाज़ा भी न था कि थोड़े समय में ही ये देश का नंबर वन न्यूज़ चैनल बन जायेगा। आज रजत शर्मा और उनका इंडिया टीवी ‘देश की आवाज़’ माने जाते हैं। रजत शर्मा को कई बार सर्वश्रेष्ठ एंकर के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसमें इंडियन टेलीविज़न एकेडमी का लाइफ़टाइम एचीवमेंट अवार्ड भी शामिल है। भारत सरकार ने रजत शर्मा को पद्म भूषण से भी सम्मानित किया है। इंडिया टीवी पर सबसे पहले दिखायी गयी ख़बरें कभी दूसरे चैनलों पर टॉक शो का विषय बनीं तो कभी बॉलीवुड फ़िल्मों की कहानी। बीबीसी ने इंडिया टीवी पर डाक्यूमेंट्री भी बनायी और न सिर्फ़ ‘टाइम’ मैगज़ीन ने इसके बारे में लिखा बल्कि ‘अमूल’ ने अपने होर्डिंग्स में भी इसका इस्तेमाल किया। फेम इंडिया-एशिया पोस्ट मीडिया सर्वे 2018 में रजत शर्मा भारतीय मीडिया के एक प्रमुख सरताज के तौर पर पाये गये हैं।