सादगी पसंद हैं जन सरोकार से जुड़े आईपीएस अधिकारी संजय सक्सेना

सादगी पसंद हैं जन सरोकार से जुड़े आईपीएस अधिकारी संजय सक्सेना

सादगी पसंद हैं जन सरोकार से जुड़े आईपीएस अधिकारी संजय सक्सेना

महाराष्ट्र के एडीजी संजय सक्सेना जन सरोकार से जुड़े पुलिस ऑफिसर माने जाते हैं। वे ऐसे कर्मठ और सादगी पसंद पुलिस अधिकारी हैं , जिनकी लड़ाई जितनी आतंकियों और अपराधियों से रही, उतनी ही दुश्मनी भ्रष्टाचारियों और कालाबाजारियों से भी रही है। उन्हें क्राइम ब्रांच, ईकोनॉमिक ऑफेंस विंग के साथ-साथ काउंटर टेररिस्ट स्क्वाड फोर्स वन तक का तजुर्बा हासिल है और उन्होंने अपनी हर पोस्टिंग में सफलता हासिल की है। 8 मार्च 1965 को जन्मे संजय सक्सेना का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। वे एक मेधावी छात्र थे, बारहवीं के बाद उन्होंने इंजिनियरिंग की प्रतियोगिता परीक्षा पास की  । उनका दाखिला नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ( एन आई टी ), कालीकट में सिविल इंजीनिरिंग के लिए हुआ । उन्होंने वर्ष 1988 में बीटेक की डिग्री हासिल की और इंजिनियर के तौर पर कार्य किया। परन्तु संजय सक्सेना के मन में बचपन से ही  देश के लिए कुछ करने की चाहत थी , इसलिए उन्होंने सिविल सेवा में जाने का निर्णय लिया ।  1993 बैच में आईपीएस के लिये चयन हुआ और महाराष्ट्र कैडर मिला। शुरुआती पोस्टिंग में संजय सक्सेना ने मनमाड, नासिक ज़िले की कमान संभाली। वहां उनके कार्य की सराहना आज भी की जाती है , वे जन सरोकार से जुड़े कार्यो को प्रधानता देते थे ।‌ वे भिवंडी, ठाणे और मुंबई में भी विभिन्न पदों पर रहे हैं और हर तरह के अपराध को मिटाने के मिशन में जुटे रहे। वे मुंबई में जोन- 8 के डीसीपी भी रहे , जहां की जनता , समाजिक कार्यकर्ता ,पत्रकार आदि उनकी अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, सजगता, व्यवहार कुशलता आदि की चर्चा करते हैं । वे कुछ वर्षों के लिये केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में एसपी और उसके इकोनॉमिक आफेंस विंग में भी पदस्थापित रहे। वर्ष 2008 में महाराष्ट्र वापस लौट कर इकोनॉमिक ऑफेंस विंग, मुम्बई सिटी के अडिशनल सीपी बने। तीन वर्षों में उन्होंने कई हाई प्रोफाइल मामलों का पर्दाफाश किया। इसके बाद वे तीन वर्षों तक नागपुर के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर रहे जहां कानून और व्यवस्था की कमान संभाली। इस दौरान क्राईम कंट्रोल, लॉ एंड आर्डर में सुधार, पीपुल्स फ्रेंडली पुलिसिंग की मिसाल संजय सक्सेना ने कायम की । वर्ष 2014 में संजय सक्सेना को महाराष्ट्र सरकार की काउंटर टेररिस्ट युनिट "फोर्स वन" का चीफ बनाया गया। मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के बाद यह युनिट बनायी गयी थी। करीब दो वर्षों बाद वर्ष 2016 में उन्हें बतौर ज्वाइंट कमिश्नर मुंबई के क्राइम ब्रांच का प्रमुख बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने आईएएस-आईपीएस पोस्टिंग से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया जिसके कारण उन्हें देश भर में प्रसिद्धि मिली। आईपीएस अधिकारी संजय सक्सेना को सिर्फ ईमानदारी के लिए नहीं, अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं। जब वह आर्थिक अपराध शाखा में अडिशनल सीपी थे, तो उन्होंने अपनी सादगीपूर्ण कार्यशैली को स्थापित किया। आर्थिक अपराधों के केसों को डिटेक्ट करने का उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है, इसलिए सीबीआई से लेकर मुंबई आर्थिक अपराध शाखा में उन्हें लंबा कार्यकाल मिला। मुंबई के अलावा विदर्भ में भी उन्होंने काफी समय तक काम किया। वर्ष 2018 से संजय सक्सेना बतौर एडीजी महाराष्ट्र भर के पुलिस की ट्रेनिंग की कमान संभाल रहे हैं। हाल ही में उन्हें विशिष्ट सेवाओं के लिये राष्ट्रपति के पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया है। 

 फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडों -  पर किये गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में वे सरोकार श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।