मजबूत निर्णय लेने वाले दमदार राजनेता अमित शाह

मजबूत निर्णय लेने वाले दमदार राजनेता अमित शाह


भारत के गृह मंत्री अमित शाह अपने मजबूत निर्णय क्षमता की वजह से कठोर छवि वाले राजनेता माने जाते हैं। उनकी राष्ट्रवादी सोच और सख्त फैसले लेने की क्षमता उन्हें कई परंपरागत राजनेताओं से अलग ला खड़ा करती है। एक स्टूडेंट लीडर से शेयर कारोबारी और फिर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के राजनेता बनने के लंबे सफर में उनका कई स्तरों का संघर्ष छुपा है। केवल तीन दशक में ही अपनी उपलब्धियों और खूबियों की वजह से वे पहले गुजरात और फिर देश की राजनीति की सबसे प्रमुख शख्सियतों में से एक बन गये हैं। वे गुजरात के गृहमंत्री से बीजेपी महासचिव बने फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिलहाल देश के गृहमंत्री हैं। ट्रिपल तलाक, धारा 370 और सीएए के मुद्दों पर उनके दृढ़ फैसलों ने उनकी छवि एक ईमानदार, दूरदर्शी व दमदार नेता की बना दी है। 

22 अक्टूबर 1964 को अमित शाह का जन्म मुंबई में हुआ। वे गुजरात के एक  व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। 1982 में  कॉलेज के दिनों में उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े । 1988 में सक्रिय राजनीति में कदम रखने के साथ शाह बहुत तेजी से व्यापार से राजनीति में कदम रखने वाले शाह की कामयाबी का मूलमंत्र है कि वे मेहनत करने और साहसिक फैसले लेने में कभी नहीं हिचकते।  पुलवामा हमले के बाद अमित शाह इतने आहत थे कि उन्होंने तीन दिनों तक किसी से मुलाकात नहीं की। पाकिस्तान को उसी की भाषा में सबक सिखाना उन्हीं की रणनीति मानी जाती है जिसने देशवासियों का दिल जीत लिया। लोकसभा चुनाव में कामयाबी मिली। 2019 चुनाव में बीजेपी को मिली भारी कामयाबी के बाद वे गृहमंत्री बनाये गये। कैबिनेट में आने साथ ही उन्होंने कई बड़े फैसले लिये जिनमें 70 साल से देश के लिए नासूर बनी धारा 370 को हटाना भी शामिल रहा। उन्होंने पड़ोसी देश में हिंदुओं की दयनीय दशा को देखते हुए नागरिकता  देने के लिए सीएए लागू करवाया और तमाम विरोधों के बावजूद अपने फैसले पर अडिग रहे।

बायोकेमिस्ट्री से बीएससी की पढ़ाई करने वाले अमित शाह की बीजेपी के साथ देश की राजनीतिक केमिस्ट्री पर भी खासी पकड़ मानी जाती है। वे बीजेपी की लगभग हर जीत के मुख्य रणनीतिकार बन गये हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में बीजेपी को अपना दल के साथ गठबंधन को 80 में से 73 सीटें दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, जिसके बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। पद संभालने के साथ ही वे मिशन  2019 में जुट गए । अध्यक्ष बनने के बाद शाह ने सबसे पहला लक्ष्य  बीजेपी  की सदस्यता को 10 करोड़ तक ले जाने को बनाया। लोकसभा चुनाव में  बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने देशभर में पार्टी के सीट बंटवारे, उम्मीदवारों के चयन और प्रचार तक की सारी जिम्मेदारियां निभायीं। अमित शाह  प्रधानमंत्री मोदी के बाद बीजेपी का दूसरा सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं।   

अमित शाह भले ही देश के गृहमंत्री है लेकिन उनकी पार्टी में खासी मजबूत पकड़ है। बीजेपी की कामयाबी का अंकगणित उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता।  ऐसे में बिहार व पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव और देश में कोरोना संकट दोनों में प्रधानमंत्री के लिए संकटमोचक तौर पर उनके सामने काफी चुनौतियां हैं, जिन्हें आने वाले दिनों में बखूबी  निभाना होगा।

अमित शाह जमीन से जुड़े चिंतनशील और मेहनती राजनेता हैं।  वे 24 घंटे और 365 दिन काम करने में विश्वास रखते हैं। जोखिम उठाने से कभी परहेज नहीं करते। विरोधियों की लहर का हवा निकालना उनकी सबसे बड़ी खासियत है। आज तक एक भी चुनाव में खुद नहीं हारने वाले अमित शाह पार्टी के लिए भी यही मंशा रखते हैं। 2026 में प्रधानमंत्री मोदी की उम्र 75 पार हो जायेगी। ऐसे में पार्टी में चाणक्य की भूमिका के लिए मशहूर अमित शाह तब अपनी क्षमता का लोहा मनवा कर स्वभाविक रूप से प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित हो सकते हैं। 96.5 फीसदी लोगों ने भारत के गृहमंत्री अमित शाह को  मजबूत निर्णय लेने के साथ ही उसे सफलता के साथ लागू कराने की क्षमता का धनी राजनेता बता कर उन्हें सर्वे में तीसरा स्थान दिया है।