कविताओं से लोगों के अंतर्मन को झकझोर देती हैं डॉ मानसी
कविताओं से लोगों के अंतर्मन को झकझोर देती हैं डॉ मानसी
कवि की कविता ही उसकी पहचान होती है , डॉ मानसी की कविताएं उनके जीवन के संघर्ष से सफलता तक को दर्शाती हैं । एक ओर वे कभी अपनी कविताओं से युवाओं को उत्साहित करती हैं तो कभी उनकी कविताएं नारी पीड़ा का अहसास कराती हैं। कहीं उनकी कविताएं संबल और उर्जा से भरी होती हैं तो कभी सर्वहारा पर आधारित होती है । डॉ मानसी द्विवेदी अयोध्या के मिल्कीपुर तहसील के छोटे से गांव से ताल्लुक़ रखती हैं। उनके पिता पण्डित खुशीराम दुबे एक रचनाकार के साथ ही अध्यापक थे । सीमित संसाधनों में भी उन्होंने अपने बच्चों को उच्च संस्कार और बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न बनाया । बचपन से ही मानसी को कविताएं लिखने का शौक था । उनका पहला काव्य संग्रह 2005 में प्रकाशित हुआ , जब वो बी एड की छात्रा थीं । तीन विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट मानसी ने एम एड और पीएचडी भी किया है । 2009 में श्रावस्ती जनपद में बेसिक शिक्षा विभाग में उनकी नियुक्ति हुई। मानसी ने दो शैक्षणिक पुस्तकें "शिक्षा मनोविज्ञान एवम सांख्यिकी" लिखी है । "मैंने देखा ही नहीं पांव के छालों की तरफ़.. और संघर्ष ने सौ बार सफ़लता दे दी " जैसी तमाम प्रेरक पंक्तियों को लिखने वाली डॉ मानसी द्विवेदी खेल, गायन, नृत्य , लेखन, अध्यापन, गृह कार्य जैसी कलाओं से भी निपुण हैं । उनका काव्यसंग्रह " दरकती दीवार " बेहद चर्चित रहा है । उन्हें उनकी रचना के लिए कई संस्था ने सम्मानित किया है जिनमें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा दिया गया "डॉ रांगेय राघव सम्मान" भी शामिल है । देश - विदेश के प्रतिष्ठित साहित्यिक कार्यक्रमों में डॉ मानसी द्विवेदी को काव्य पाठ के लिए बुलाया जाता है । वे कुशल मंच संचालिका और उदघोषिका भी हैं । महाकुम्भ -प्रयागराज और दीपोत्सव-अयोध्या जैसे अति विशाल मंच के संचालन के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया । जीवन के थपेड़ों से कभी नहीं घबराने वाली मानसी एक कुशल मां और कर्तव्यनिष्ठ बेटी का दायित्व भी सकुशलता से निभा रहीं हैं । इनकी गिनती देश की चोटी की वरेण्य कवयित्री के तौर पर होती है ।
फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 25 सशक्त महिलाएं 2020 की सूची में डॉ मानसी द्विवेदी "ऊर्जावान" कैटगरी में प्रमुख स्थान पर हैं ।