रन फॉर वाटर के प्रणेता ईशा फाउंडेशन के प्रमुख सद्गुरु जग्गी वासुदेव
ट्रेडिशनल गुरुओं से एकदम अलग सद्गुरु जग्गी वासुदेव गेरुआ वस्र के बदले सफेद या कलर्ड कुर्ता और पगड़ी में देखे जाते हैं और अमेरिकी अंदाज में इंग्लिश बोलते हैं। वे आध्यात्म की दुनिया में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। सद्गुरु के नाम से प्रसिद्ध वासुदेव का जन्म 1957 में कर्नाटक के मैसूर में हुआ। महज 11 साल की उम्र में योग गुरु श्री राघवेंद्र राव के सानिध्य में जग्गी वासुदेव ने योग का अभ्यास करना शुरू किया। जग्गी वासुदेव ने मैसूर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री हासिल की है।
सद्गुरु 25 साल की उम्र में मैसूर में चामुंडा पहाड़ी पर एक चट्टान पर बैठे थे। कहते हैं कि उन्हें अचानक विशेष अनुभूति हुई और जब वे होश में आए तब तक शाम हो गयी थी। कुछ दिन बाद फिर उन्हें ऐसी अनुभूति हई । इस घटना से सद्गुरु के जीवन में बदलाव आया। उन्होंने इन अनुभवों को आम लोगों को समर्पित करने का मन बनाया और आध्यात्म व योग के प्रसार में लग गये। 1983 में मैसूर में अपने सहयोगियों के साथ योग क्लास की शुरुआत की। इसके बाद कर्नाटक के दूसरे शहरों और हैदराबाद में योग क्लास् शुरू किया। बाद में उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की। सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन संस्थान की स्थापना का मकसद योग के जरिये लोगों की शारीरिक, मानसिक और आतंरिक बेहतरी पर विशेष जोर देना था। उन्होंने कोयंबटूर के पास पूंडी में वेल्लिंगिरी पहाडियों पर करीब 150 एकड़ में आश्रम बनाया, जिसके 13 फीट ऊंचे विशाल ध्यानलिंग और एक अत्यंत धार्मिक मंदिर भी है, जो 1999 में बनकर तैयार हुआ। सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने यूनाइटेड स्टेट में योग सेंटर के अलावा दुनिया भर में कुल 25 योग सेंटर स्थापित किये हैं। वे दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सदैव रचनात्मक कार्य करने और बदलाव को स्वीकार करने के लिए जाने जाते हैं। देशभक्ति को समर्पित जग्गी वासुदेव धार्मिक वैमनस्यता दूर करने के लिए इनर इंजीनियरिंग और आपसी बंधुत्व की प्रेरणा देते हैं। तकनीकी शब्दों का बेहिचक इस्तेमाल करके वे सिखाते हैं कि कैसे मॉडर्न जिंदगी के कामकाजी जीवन और आध्यात्मिकता में तालमेल बैठाया जा सकता है।
ईशा फाउंडेशन ने उनके नेतृत्व में ग्रीन हैंड्स परियोजना के तहत करीब 16 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें अब तक तमिलनाडु और पुडुच्चेरी में 21 लाख से अधिक लोगों ने करीब 85 लाख पौधे लगाये हैं जो गिनीज विश्व रिकॉर्ड में शामिल है। पर्यावरण में उत्कृष्ट कार्य के लिए सद्गुरु जग्गी वासुदेव को 2008 का इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार दिया गया था। सद्गुरु नदियों के संरक्षण के लिए ‘रैली फॉर रिवर’ अभियान चला रहे हैं। यह अभियान 2017 से चल रहा है जिसमें तीन नदियों में घटते पानी के प्रति लोगों को सजग करना है। इसके लिए उन्हें 2017 में पदम विभूषण से भी समानित किया गया।