भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा

जगत प्रकाश उर्फ जेपी नड्डा देश के एक कद्दावर नेता हैं और देश ही नहीं, दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल यानी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे एक बेजोड़ रणनीतिकार माने जाते हैं और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन पर भरोसा करते हैं। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति की शुरुआत कर दी थी और आज उनकी गिनती देश के बड़े नेता के तौर पर होती है। वे मोदी-1 की कैबिनेट में देश के काबिल मंत्रियों में शुमार रह चुके हैं।
जेपी नड्डा की कहानी किसी फिल्म से कम दिलचस्प नहीं है। हालांकि वे मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं लेकिन उनकी जन्मभूमि और शुरुआती कर्मभूमि बिहार है। दरअसरल उनके पिता डॉक्टर नारायण लाल नड्डा पटना विश्वविद्यालय में कुलपति थे। उनकी मां कृष्णा नड्डा गृहणी थीं। उनका जन्म 2 दिसंबर 1960 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। शुरुआती शिक्षा भी पटना के सेंट जेवियर्स से हुई। उसके बाद पटना कॉलेज और फिर पटना यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। जब देश में इंदिरा सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक जेपी आंदोलन चल रहा था, उस वक्त नड्डा की उम्र 16-17 साल की ही थी, लेकिन वे जेपी से काफी प्रभावित थे और आंदोलन की तरफ उनका रूझान बढ़ने लगा। भारतीय जनता पार्टी के छात्र विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले 1977 में पटना यूनिवर्सिटी में नड्डा ने छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जीत कर पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के सेक्रेटरी बन गये। तकरीबन 13 बरस तक वे एबीवीपी से जुड़े रहे। इस दौरान संगठन ने उनकी काबिलियत को देखते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। वर्ष 1982 में 22 बरस के नड्डा को उनके पैतृक राज्य हिमाचल प्रदेश विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेज दिया गया।
जेपी नड्डा एक तरफ संगठन को मजबूत करने में जुट गये तो दूसरी तरफ उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई भी शुरू कर दी। उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार छात्र संघ चुनाव हुआ और उसमें बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सभी सीटें हासिल हुई। 1983-1984 में जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश युनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद के पहले अध्यक्ष बने । इसके बाद 1986 से 1989 तक नड्डा विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे।
वर्ष 1989 में जेपी नड्डा ने एक बड़ा कदम उठाया। केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के भ्रटाचार के खिलाफ राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा का गठन किया। आंदोलन चलाया और नतीजा ये हुआ कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 45 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा। जेल जाते ही उनका नाम सुर्खियों में आ गया। युवाओं में लोकप्रिय हो चुके नड्डा को पार्टी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में युवा मोर्चा का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया। मेहनती नड्डा ने ज़मीनी स्तर पर खूब काम किया। वर्ष 1991 में 31 साल की उम्र में ही नड्डा को पार्टी ने भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्य्क्ष बना दिया। अपने कार्यकाल में नड्डा ने जमीनी स्तर पर लोगों को जोड़ा और वर्कशॉप के जरिये युवाओं के अंदर भाजपा की विचारधारा को फैलाया। यह उस समय अपने आप में एक नये तरह का प्रयोग था। जेपी नड्डा के कार्यकाल में बड़ी तादाद में युवा पार्टी से जुड़े।
वर्ष 1993 में जब हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का चुनाव हुआ तो जेपी नड्डा ने बिलासपुर सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। हालांकि बीजेपी की सरकार नहीं बनी लेकिन पार्टी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी और विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना। तेज-तर्रार और मुखर वक्ता के रूप में नड्डा ने कम विधायकों का साथ होने के बावजूद सरकार को 5 साल तक अलग-अलग मुद्दों पर ऐसे घेरा कि विपक्ष में होने के बावजूद उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया। बिलासपुर सीट से जेपी नड्डा ने 1998 में फिर जीत हासिल की और वे सूबे में स्वास्थ्य मंत्री बने। 2003 में चुनाव हारने के बाद वर्ष 2008 में फिर से विधायक चुने गये और वन एवं पर्यावरण तथा साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्रालय का भी जिम्मा संभाला। कुछ वर्षों तक राज्य की सेवा करने के बाद उनकी नज़र दिल्ली की तरफ हुई। लिहाजा राज्य का मंत्रालय छोड़कर नड्डा ने राष्ट्रीय टीम की तरफ रूख किया। बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया और राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता का जिम्मा दिया गया।
जेपी नड्डा की सटीक रणनीति की वजह से पार्टी को जबरदस्त फायदा हुआ। कई राज्यों में बीजेपी की सरकार बनाने में नड्डा की रणनीति काम आयी। खासकर जब छत्तीसगढ़ में तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनी तो वहां के प्रभारी जेपी नड्डा ही थे। केंद्रीय राजनीति में जेपी नड्डा का कद धीरे-धीरे बढ़ता गया। जिस तरह से पार्टी के लिए नड्डा ने काम किया, उसका इनाम भी मिला । 2012 में पार्टी ने जेपी नड्डा को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया। 2012 के बाद फिर 2018 में भी नड्डा संसद के ऊपरी सदन के सदस्य बने।
जेपी नड्डा की पत्नी मल्लिका नड्डा का नाता भी सियासत से रहा है। दरअसल जेपी नड्डा और मल्लिका की शादी 11 दिसंबर 1991 को हुई थी। दोनों की मुलाकात हिमाचल युनिवर्सिटी में ही हुई थी। मल्लिका नड्डा भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रही हैं। मल्लिका के पिता भी सांसद रह चुके हैं। फिलहाल वे हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर हैं। वे 'चेतना' नाम से एक स्वयंसेवी संगठन भी चलाती हैं। उनके के दो बेटे हैं जो उनका सहयोग करते हैं।
जेपी नड्डा स्कूल के दिनों में एक अच्छे स्पोर्ट्समैन भी रह चुके हैं। जब वे स्कूल में पढ़ रहे थे, तब दिल्ली में हुए जूनियर तैराकी चैंपियनशिप में बिहार का प्रतिनिधत्व भी किया था। हिमाचल लौटने के बाद भी खेल से उनका लगाव बना रहा। भले ही नड्डा सियासी खेल के खिलाड़ी बन गए लेकिन उनके दिल में हमेशा स्पोर्ट्स में ज़िंदा रहा। खेल प्रेम की वजह से ही 2008 से 2012 के दौरान नड्डा ओलांपिक एसोसिएशन ऑफ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष भी रहे। हिमाचल हैंडबॉल एसोसिएशन में भी वे रह चुके हैं।
जेपी नड्डा संघ के भी काफी करीबी माने जाते हैं। नड्डा, प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के भी नजदीकी हैं। असल में जब मोदी हिमाचल प्रदेश के प्रभारी हुआ करते थे, तभी से वो नड्डा की रणनीति से प्रभावित हैं। यही वजह है कि जब राजनाथ सिंह मोदी सरकार में गृहमंत्री बने अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे जेपी नड्डा ही थे। हालांकि पार्टी ने ये जिम्मेदारी 2014 जीत के चाणक्य अमित शाह को सौंपी। बड़ी बात ये है कि इससे नड्डा ने अपने मनोबल पर हावी नहीं होने दिया और तत्परता से कार्य में लगे रहे। अमित शाह की टीम में नड्डा को अहम पद मिला। नड्डा का कद दिन दुगुना, रात चौगुना बढ़ता गया। कई राज्यों का प्रभारी बनाया गया। एक के बाद एक राज्यों में जीत के बाद पर्यवेक्षक के तौर पर नड्डा ही विधायकों से बात कर मुख्यमंत्री का फैसला करने लगे।
इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने जेपी नड्डा को कैबिनेट की पहली फेरबदल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का अहम जिम्मा दिया। उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी “सभी के लिए स्वाथ्य” व 50 करोड़ लोगों के लिए 5 लाख तक का बीमा देने वाली “आयुष्मान भारत योजना” की रूप रेखा तैयार की, उसमें भी तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उनका अहम योगदान रहा। उनके स्वास्थ्य मंत्री रहते कई राज्यों में ऐम्स बनाने का ऐलान हुआ। विश्व तंबाकू नियंत्रण के लिए उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन से विशेष मान्यता पुरस्कार भी मिला है। 20 जनवरी 2020 को उन्हें भारतीय जनता पार्टी के 11वें अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया।