सुधारवादी कार्यो से बनायी है बड़ी पहचान जिलाधिकारी नैन्सी सहाय ने

सरल और कवि हृदय नैन्सी हैं भारतीय संस्कृति और संस्कारों के बेहद करीब

सुधारवादी कार्यो से बनायी है बड़ी पहचान जिलाधिकारी नैन्सी सहाय ने

चुनौतियों को आत्मविश्वास, प्रतिबद्धता से जीतने का हौसला रखने वाली रांची की नैन्सी सहाय का सपना तो इंजीनियर बनने का था, लेकिन कुछ समय तक कार्य करने के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवा में जाने का निर्णय लिया और आज एक सुधारवादी आईएएस अधिकारी के तौर पर देश में पहचान रखती हैं। नैन्सी वर्तमान में झारखंड के देवघर की जिला उपायुक्त हैं और जिले को विकास की राह पर तेजी से अग्रसर किया है। 

रांची के योगदा कॉलेज में राजनीति शास्र के प्रोफेसर प्रकाश सहाय और स्कूल टीचर  राज लक्ष्मी के घर 05 अप्रैल 1989 को नैन्सी सहाय का जन्म हुआ। माता-पिता दोनों शिक्षा से जुड़े थे, तो उन्होंने उनकी पढाई पर विशेष ध्यान दिया गया। रांची के प्रसिद्ध स्कूल लोरेटो कॉन्वेंट से 10वीं व डीएवी श्यामली से 12वीं करने के बाद नैन्सी सहाय ने बीआईटी, मेसरा से इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन में बीटेक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2011 में गुरुग्राम में कुछ महीनों के लिए बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर जॉब भी किया, परन्तु फिर उन्होंने माँ-पापा की प्रेरणा से यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में बैठने का निर्णय किया। हालांकि ये उनका सपना नहीं था, लेकिन नैन्सी ने इसे लक्ष्य बनाया और तैयारी में जुट गयीं। 2014 बैच में वे 36 वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं, उन्हें होम कैडर झारखंड मिला।  उनकी शादी 2014 बैच के ही आईएएस वरुण रंजन से हुई जो फिलहाल साहिबगंज में डीसी हैं।

नैन्सी की पहली पोस्टिंग झारखंड के मेदिनीपुर का एसडीओ के तौर पर हुई, जहाँ उन्होंने कम ही समय में अपनी प्रशासनिक प्रतिबद्धता की धाक जमा दी। उन्होंने परीक्षा में कदाचार के मामलों और प्रश्न पत्र लीक करनेवाले गैंग के खिलाफ जबरदस्त कारवाई की। उन्होंने मेदिनीपुरम में स्वच्छता अभियान को जनभागीदारी से एक मिशन बना दिया। जून 2017 में उन्हें साहिबगंज का डीडीसी बनाया गया। यहां उन्होंने वन क्षेत्र में पाये जाने वाले वनोत्पाद को संरक्षित करने,बांस, चिरैता और दूसरी जड़ी-बूटियों के अलावा मधु मक्खी पालन से भी लोगों की आय बढ़ाने और ज्ञानज्योति कार्यक्रम द्वारा जिले की शिक्षा व्यवस्था को दुरूस्त करवाने पर विशेष ध्यान दिया। 

अगस्त 2019 में नैन्सी सहाय को बाबा भोलेनाथ की नगरी देवघर का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया।  बैद्यनाथ धाम के नाम से मशहूर जिले देवघर की वे पहली महिला उपायुक्त बनायी गयी हैं। इस शहर के धार्मिक महत्व के अनुरूप उन्होंने जिले के विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर बतौर जिलाधिकारी अपनी लोकप्रिय छवि स्थापित की। कोरोना काल में भी उनके प्राशसनिक कार्य कौशल की सराहना हो रही है। जागरूकता, गाइडलाइंस का सख्ती से पालन  करवाने के साथ ही उन्होंने जिले में जरूरी सामानों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने की व्यवस्था और कालाबाजारी पर रोक लगाने में सफलता पायी। वे सही समय पर सही तरीके से काम करने को सफलता की कुंजी मानती हैं। 

कोमल हृदय नैन्सी गरीबों और पिछड़ों के दुख-दर्द को गहराई से महसूस करती हैं और अपनी भावनाओं को कविताओं में भी व्यक्त करती हैं। फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गये सर्वे में देवघर के जिला उपायुक्त नैन्सी सहाय  "सुधारवादी " श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।