ओडिशा के राजनीतिक शिखर पर गैर राजनीतिक मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक

ओडिशा के राजनीतिक शिखर पर गैर राजनीतिक मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक विनम्र राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं। वे प्रदेश के ऐसे अनोखे राजनेता हैं जिनका राजनीति से कोई वास्ता नहीं था। वे हमेशा देश से बाहर रहे, लेकिन ओडिशा की राजनीति की कमान संभालने के बाद उन्हें राज्य के लोगों का ऐसा प्यार मिला कि वे राज्य में सबसे लंबे समय तक कार्यरत मुख्यमंत्री बन गये हैं। नवीन पटनायक लोगों के लिए समर्पित भाव से काम करते हैं। अपने कार्यों की वजह से लगातार पांचवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 

75 साल के नवीन पटनायक,  पवन कुमार चामलिंग और ज्योति बसु के बाद ऐसे तीसरे मुख्यमंत्री है जो पांचवीं बार लगातार मुख्यमंत्री बने।  दरअसल उनका राजनीति में आना अस्वाभाविक था । उन्होंने दून स्कूल और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद नवीन पटनायक की दिलचस्पी किताब लिखने और संगीत में ज्यादा रही। 1997 में पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद नवीन पटनायक की राजनीति में एंट्री हई। बीजू पटनायक स्वतंत्रता सेनानी, राज्य के सीएम और केंद्र में मंत्री थे। जब वे पहली बार राज्य में मुख्यमंत्री  बने तो नहीं उड़िया बोल पाते थे। इसका उन्हें फायदा मिला क्योंकि ओडिशा की राजनीति बदनाम हो चुकी थी। लोगों ने उड़िया ना बोलने वाले को मौका दिया और वे लोगों के चहेते बने। इसके बाद तो उन्होंने ओडिशा की राजनीति में अंगद की तरह पैर जमा दिये।  

जनता दल टूटने के बाद दिसंबर  1997 में नवीन पटनायक ने पिता के नाम पर बीजू जनता दल  बनाया। पिता की विरासत को नवीन पटनायक ने आगे बढ़ाया और  तेजी से लोकप्रिय हुए। उन्होंने बीजेपी को अपना सहयोगी बनाया। 1999 के लोकसभा चुनाव में  वे अस्का सीट से सांसद बने, केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्री बने  लेकिन केंद्र की राजनीति में दिलचस्पी ना होने की वजह से ओडिशा लौटे आए । साल 2000 का विधानसभा चुनाव जीतकर वे सत्ता में आए और इसके बाद से ओडिशा में केवल नवीन पटनायक का ही युग चल रहा है। कंधमाल दंगों के बाद 2009 में बीजेपी से नाता तोड़ा और वे और  सशक्त होकर उभरे। 2014 में मोदी लहर के बावजूद राज्य में नवीन पटनायक ने सरकार बनायी और यही कहानी 2019 में भी दोहरायी गयी।

नवीन पटनायक कम बोलते हैं। ज्यादा चुप रहते हैं लेकिन उनका काम बोलता है । 2019  विधानसभा चुनाव में उन्होंने किसानों के लिए कालिया योजना लागू किया और हर किसान को पांच-पांच हजार रुपए की पहली किस्त दी, उसका बड़ा असर हुआ। फैनी तूफान के दौरान उनकी सक्रियता ने उड़ीसा के लोगों का भरोसा उन पर और बढ़ाया। ओडिशा पिछड़ा राज्य माना जाता है लेकिन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने  हर वर्ग के लिए जितनी योजनाएं बनायी हैं और उन्हें बखूबी लागू किया है। इससे राज्य में  पलायन रुका, बड़े उद्योगपति  आकर्षित हुए। औद्योगिक विकास और रोजगार बढ़ाने के साथ गरीबों के लिए एक रुपए किलो चावल दिया। हाल में अंफान तूफान और कोरोना में भी उनके कार्य की तारीफ हो रही है। 

नवीन पटनायक गंभीर और सादगी पूर्ण जीवन जीने वाले इंसान है । वे सिद्धांतों की राजनीति करने में विश्वास करते हैं। ना वे किसी से रिश्ते बिगाड़ते हैं, ना राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखते हैं। उन्होंने ओडिशा की तस्वीर बदली और वहां के लोगों को आत्म-सम्मान दिया। उनका अगला कदम राज्य के पिछड़े जिलों में विकास करना और साक्षरता बढ़ाने पर जोर देना होगा। साथ ही राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देना उनकी प्राथमिकता होगी।