दलगत राजनीति से ऊपर नीरज कुमार सिंह बबलू

दलगत राजनीति से ऊपर नीरज कुमार सिंह बबलू

सुपौल के छातापुर से विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू एक ऐसे राजनेता हैं जिनके साथ उनके समर्थक बिना किसी दलगत भावना के हमेशा खड़े रहे हैं। वे लगातार पांच बार विधायक बन चुके हैं और इस दौरान बिहार के दो प्रमुख दलों से टिकट पा चुके हैं, लेकिन उनकी जीत पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। उत्तर-पूर्वी बिहार के कोसी क्षेत्र की राजनीति की बात हो तो वह इनके बिना पूरी नहीं हो सकती है।

नीरज कुमार सिंह बबलू का जन्म 2 फरवरी 1969 को पूर्णिया के मलडीहा गांव में हुआ। उनके पिता रामकिशोर सिंह सरकारी कर्मचारी थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सुपौल में हुई। उन्होंने अप्लाइड साइंस में ग्रैजुएशन किया और वर्ष 1988 में ही राजनीति के मैदान में उतरे। उन्होंने सामाजिक आंदोलन में गहरा संघर्ष किया और जेल भी गये।

नीरज कुमार सिंह बबलू वर्ष 2005 में जनता दल युनाइटेड के टिकट पर राघोपुर (सुपौल) से विधायक चुने गये। लेकिन इस चुनाव में किसी की सरकार नहीं बन सकी, जिस कारण से विधायकों का शपथ ग्रहण भी नहीं हुआ। वर्ष 2005 के नवम्बर माह में ही हुए अगले चुनाव में उन्होंने जदयू प्रत्याशी के तौर पर भारी बहुमत से जीत दर्ज की। वर्ष 2010 में हुए डिलिमिटेशन में राघोपुर विधानसभा का अस्तित्व ही मिटा दिया गया। 2010 में नीरज कुमार सिंह बबलू को जदयू ने छातापुर से अपना उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भी नीरज बबलू ने जीत का परचम लहराया। वर्ष 2015 में चुनाव से कुछ महीने पहले उन्होंने कुछ अन्य विधायकों के साथ मिलकर नैतिकता के मुद्दे पर जदयू से बगावत कर दी। उस समय, पार्टी ने विधानसभा से इनकी सदस्यता खत्म करवा दी थी, लेकिन कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया। फिर वे बतौर भाजपा उम्मीदवार उसी सीट से विधायक बने। वर्ष 2020 के चुनाव में भी उन्होंने भाजपा के टिकट पर ही जीत हासिल की है। अपने राजनीतिक व निजी कैरियर में वे मॉरीशस, सिंगापुर, बैंकॉक, मकाऊ और टर्की जैसे देशों की यात्रा भी कर चुके हैं।

फेम इंडिया - एशिया पोस्ट "उम्दा विधायक सर्वे" में व्यक्तित्व, छवि, जनता से जुड़ाव, कार्यशैली, लोकप्रियता, विधानसभा में उपस्थिति और प्रश्न, बहस में हिस्सेदारी, विधायक निधि का उपयोग व सामाजिक सहभागिता आदि 10 मुख्य मापदंडों पर किये गये सर्वे में छातापुर के विधायक नीरज कुमार सिंह बबलू को जज्बा पूर्ण कैटगरी में प्रमुख स्थान पर पाया गया है।

सर्वे स्रोत - विभिन्न प्रश्नों पर विधानसभा क्षेत्रों की राय, विधायिका और मीडिया से जुड़े लोगों से स्टेक होल्ड सर्वे और विधानसभा से उपलब्ध डाटा के आधार पर।