विकास की परिभाषा गढ़ते जिलाधिकारी निशांत कुमार यादव

कठिन समय में अपनी कार्यकुशलता का परिचय दे कर देशभर में अलग पहचान पायी है

विकास की परिभाषा गढ़ते जिलाधिकारी निशांत कुमार यादव

निशांत यादव एक ऐसे रुतबेदार कलेक्टर हैं जिन्हें सामाजिक अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के प्रति सख्त, और आम जनता के प्रति नर्म रवैये के कारण पहचाना जाता है। दायित्वों को बेहतर तरीके से निभाने का जज्बा उनके हौसले की गवाही देता है। उनकी दूरदर्शी सोच और फैसलों को तुरत अंजाम देने की ललक उन्हें एक एक अलग पहचान देती है। कठिन समय में उन्होंने अपनी कार्यकुशलता का बेहतरीन परिचय दे कर देशभर में अपनी अलग पहचान पायी है | कोरोना की जंग में समाजिक सहभागिता से निशांत यादव द्वारा जिले में शुरू किए गए "एडाप्ट ए फैमिली" कार्यक्रम में लोगो ने 14000 दैनिक कार्य करने वाले परिवार को गोद लिया, जिसकी सराहना केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने भी की, और देश भर में इस कार्यक्रम को रोल मॉडल के तौर पर लिया गया |

निशांत यादव का जन्म 13 मई 1990 को राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ में हुआ। इनके माता-पिता दोनों सरकारी स्कूल में कार्यरत हैं। पिता प्रिंसिपल और मां टीचर हैं। शुरुआती पढ़ाई अलवर में हुई। वे पढ़ने में काफी तेज थे इसलिये आईआईटी दिल्ली में सेलेक्शन हो गया। 2006-10 के सेशन में उन्होंने केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। उन्होंने रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में एक साल बतौर बिजनेस एनालिस्ट भी काम किया, लेकिन उनके मन में माता-पिता की नसीहत हमेशा घूमती रहती थी, जिसमें समाज और देश के लिये कुछ करने की सीख थी। लिहाजा उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का मन बनाया और वर्ष 2013 में पहली बार में ही आईएएस बनने में सफल हो गये। उन्हें हरियाणा कैडर मिला। उस वक्त निशांत की उम्र महज 23 साल थी।

आईएएस निशांत यादव मृदुल स्वभाव के हैं। मसूरी में ट्रेनिंग के बाद पहली बार बतौर एसडीएम हरियाणा के सोनीपत में नियुक्ति हुई। फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सोनीपत में लॉ एंड ऑर्डर को सख्ती से लागू किया गया क्योंकि वही इसका केंद्र था। वहीं से इनके प्रशासनिक तेवरों को एक नयी पहचान मिली और वे अपनी निष्पक्ष व कड़क छवि के लिये मशहूर हो गये। वहाँ के बाद उन्हें करनाल का एडिशनल डिप्टी कमिश्नर बनाया गया। इस दौरान स्वच्छता मिशन पर उन्होंने लोगों को बेहतर तरीके से जागरूक किया जिसका नतीजा ये हुआ कि करनाल ग्रामीण स्वच्छता के मामले में पूरे देश में सातवें स्थान पर रहा। उन्होंने नारी सशक्तिकरण और सरकारी स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत बनाया जिसकी काफी सराहना हुई।

प्रशासनिक योग्यताओं  को देखते हुए निशांत यादव को हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन का सेक्रेटरी बनाया गया। 2018 में उनके रहते ही कमीशन के जरिये 166 प्रशासिनक ऑफिसर्स की बहाली हुई जिसे प्रदेश के इतिहास में सबसे साफ-सुथरा एक्जाम माना गया। इतना ही नहीं, एक साल के अंदर 3000 क्लास वन अधिकारियों की भी बहाली हुई । राज्य सरकार ने निष्पक्ष और पारदर्शिता पूर्ण प्रतियोगिता परीक्षा कराने के बाद उनकी प्रशासनिक क्षमता और प्रोग्रेसिव सोच के कारण निशांत यादव को  बड़ी जिम्मेदारी दी और उन्हे राज्य के मुख्यमंत्री के जिले का डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बनाया  गया।

करनाल के जिलाधिकारी का पद संभालने के बाद निशांत यादव ने  करनाल में स्मार्ट सिटी, फोर लेन और बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए ऑनलाइन बाल संगम पोर्टल की शुरुआत की । करनाल शुगर मिल के नवीनीकरण का काम शुरू किया औऱ किसानों के लिए चीनी मिल तक गन्ना लाने की व्यवस्था की । कोरोना संकट में लोगों को जागरूक करने के साथ करनाल में 600 बेड का आइसोलेशन बार्ड की व्यवस्था की गई । मास्क ना पहनने पर फाइन, प्रवासी मजदूरों के घर वापसी की व्यवस्था आदि से इनके प्रशासनिक उत्कृष्टता को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है। दरअसल जमीन से जुड़े लोगों के लिए काम करने की इच्छा शक्ति वाले जिलाधिकारी निशांत कुमार यादव ने अपने कार्य कौशल के बल पर आम-जन को प्रशासन से जोड़ने में अहम कामयाबी हासिल की है ।

फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा  शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में करनाल के जिलाधिकारी निशांत यादव को ‘प्रोग्रेसिव’  श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।