सेवा को पहली प्राथमिकता मानते हैं जिलाधिकारी पी बी नूह
सोशल मीडिया से लोगों को जोड़ने में माहिर हैं ये युवा अधिकारी
एक ऐसे अधिकारी जिन्होंने अपनी समझदारी और ठोस कदमों से हर मुश्किल को जीतने का आसान नुस्खा बना लिया। आपदा चाहे प्राकृतिक हो या मानव निर्मित, हर मुश्किल घड़ी को मिटा देने का हुनर जानने वाले इस ऑफिसर ने कम समय में ही वो लोकप्रियता हासिल की है जो कई फिल्मी सितारों और नेताओं को भी नहीं मिल पाती। केरल के छोटे से जिले पथानमथिट्टा के जिलाधिकारी पीबी नूह बावा को सुपरहीरो का दर्जा हासिल है।
पी बी नूह का जन्म केरल के पेरुम्बावूर में हुआ। उनके पिता नूह बावा एक छोटी सी राशन की दुकान चलाते थे और परिवार के 10 लोगों का खर्च उसी से चलता था, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर उचित ध्यान दिया। पी बी नूह की स्कूलिंग एर्नाकुलम से हुई। उन्होंने जूलॉजी पढ़ने के बाद एग्रीकल्चर साइंस यूनिवर्सिटी बैंगलोर से बीएससी एग्रीकल्चर और इसी विषय में पोस्ट ग्रैजुएशन की। शुरुआत में सभी बच्चों की तरह वे डॉक्टर बनना चाहते थे और बाद में कृषि वैज्ञानिक, लेकिन, बड़े भाई पी बी सलीम के आईएएस बनने के बाद उन्होंने भी प्रशासनिक सेवा में ही जाने का फैसला लिया। पहले प्रयास में आईएफएस मिला लेकिन 2012 में दूसरी बार सिविल सर्विसेज में देश भर में 48वीं पोजीशन मिली और बतौर आईएएस केरल कैडर मिला।
ट्रेनिंग के बाद पी बी नूह बावा की पहली पोस्टिंग ओट्टाप्पलम में बतौर सब डिविजिनल ऑफिसर हुई। इस दौरान उन्हें प्रशासनिक और भू-राजस्व का प्रभार मिला। यहां उन्हें प्रशासनिक जवाबदेही के बारे में जानने का अवसर मिला। इसके बाद उन्हें ट्राइबल वेल्फेयर और सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट में प्रोजेक्ट ऑफिसर बनाया गया। उन्हें वनवासियों के कल्याण से जुड़ी कई अहम जिम्मेदारियां दी गयीं जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया। सितंबर 2017 में उन्हें सोशल जस्टिस एंड इंपॉवरमेंट डिपार्टमेंट का डायरेक्टर बनाया गया।
पी बी नूह बावा को जून 2018 में पथानमथिट्टा जिले का जिलाधिकारी बनाया गया। उस दौरान उन्हें एक सर्जरी से गुजरना पड़ा था। डॉक्टरों ने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की हिदायत दी थी, लेकिन तभी भयंकर बाढ़ ने जन-जीवन अस्त व्यस्त कर दिया। बतौर जिलाधिकारी उन्होंने फौरन प्रशासन की कमान संभाली। सोशल मीडिया पर उन्होंने स्थानीय वॉलंटियर्स से मदद मांगी। हजारों की संख्या में लोगों को जमा किया और बाढ़ राहत व स्वास्थ्य सेवाओं को अच्छी तरह से लोगों तक पहुंचाया। सबरीमाला का प्रसिद्ध मंदिर उनके इलाके में ही पड़ता है और कोर्ट ने महिलाओं को दर्शन का आदेश दिया तो परस्थितियां विषम हो गयीं। उन्होंने आदेश को पालन करवाने में अहम भूमिका निभायी।
फरवरी महीने में कोरोना ने देश में पहली बार केरल में दस्तक दे दी तो पथानमथिट्टा में ही सबसे पहला मामला आया। इटली से वापस लौटे एक परिवार ने अपनी जानकारी छुपा कर लोगों के बीच इंफेक्शन फैला दिया। ऐसे में जिलाधिकारी की जवाबदेही सबसे ज्यादा थी। दरअसल पूरे जिले में यह बीमारी कम्युनिटी स्प्रेड के कगार पर थी। पीबी नूह बावा ने मरीजों की पहचान करने के लिये वैज्ञानिक तरीके से फ्लोचार्ट का विधि को अपनाया। कम से कम 1300 सौ लोगों की पहचान की गयी और सभी को क्वारंटाइन किया गया। क्वारंटाइन सेंटर से कोई शख्स ना भागे इसके लिए खास जिओफेंसिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया गया। अब ये एप्लीकेशन सभी जगह कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है।
लॉकडाउन के दौरान जब सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से ज्यादा लोगों को कार्यों में शामिल नहीं किया जा रहा था तब दूर-दराज के इलाकों में वे कई किलोमीटर खुद चल कर राशन पहुंचाने गये। पथानमथिट्टा के विधायक के सात पीठ पर राशन के बोरे को लादकर नदी पार करने वाली उनकी तस्वीर सोशल व मेनस्ट्रीम मीडिया पर खूब लोकप्रिय हुई।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में केरल के पथानमथिट्टा जिले के जिलाधिकारी पी बी नूह भावा 'ऊर्जावान' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।