हर परिस्थिति से निपटने वाले केरल के सफल मुख्यमंत्री पी विजयन
पिनारायी विजयन केरल के ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें वास्तविक अर्थों में जमीन से जुड़ा राजनेता माना जाता है। वे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (मकपा) पोलित ब्यूरो के मेंबर हैं और केरल में सबसे लंबी अवधि तक रहने वाले पार्टी सचिव हैं। वे स्वभाव से रूखे, लेकिन गरीबों और जरूरतमंदों के लिए बेहद संवेदनशील हैं और अपने कार्यों को लेकर बेहद अनुशासित हैं। उन्होंने 1998 में केरल प्रदेश माकपा के पार्टी सचिव का पदभार संभाला और करीब दो दशक तक इस पद पर बने रहे। इसके पूर्व यानी 1996 से 1998 तक वे केरल सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
पी विजयन का जन्म 21 मार्च 1944 को कन्नूर जिले के पिनरायी में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई पेरलास्सेरी स्कूल में हुई। उन्होंने गर्वनमेंट ब्रेनन कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएशन किया। वे 1964 में सीपीएम में शामिल हुए। उससे पहले उन्होंने कॉलेज लाइफ में एसएफआई ज्वाइन की और यहीं से उनके राजनीति सफर की नींव पड़ी। सबसे पहले वे कन्नूर जिले में केरल स्टूडेंट फेडरेशन के सचिव बने। बाद में वे केएसएफ के स्टेट सेक्रेटरी और प्रेसिडेंट बनाये गये। डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के स्टेट प्रेसिडेंट भी रहे। केरल में विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों में उन्हें करीब डेढ़ साल तक जेल में बंद रहना पड़ा। 1970 में वे पहली बार केरल विधानसभा के सदस्य चुने गये। इसके बाद विजयन 1977, 1991 और 1996 में विधानसभा के लिए चुने गये। 1996 से 1998 तक मुख्यमंत्री के नयनार की सरकार में वे बिजली और सहकारिता मंत्री रहे। पार्टी को मजबूती के शिखर पर ले जाने के लिए हमेशा बेहतरीन कार्य करने में विश्वास रखने वाले पी विजयन के लिए 2016 का साल अहम साबित हुए।
केरल में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट को भारी जीत मिली। पी विजयन ने 25 मई को राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। दरअसल उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की पटकथा विधानसभा चुनाव से पहले ही रच दी। विजयन ने विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और लोगों से मिलने के लिए 'नवा केरल मार्च' निकाला था जिसे लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला था। लोग बड़ी सख्या में विजयन के साथ जुड़े। केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा। बीजेपी की तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया और वह राज्य में अपना खाता तक नहीं खोल पायी। उनकी कोशिश का नतीजा हुआ कि वी.एस.अच्युतानंदन की तमाम दावेदारी के बावजूद विजयन केरल के मुख्यमंत्री बने।
पिनाराई विजयन कार्यों को समय पर पूरा करने में विश्वास रखते हैं। राज्य में विकास को बढ़ावा देने के साथ सरकारी की योजनाओं को बखूबी लागू करवाना उनकी प्राथमिकता रही है। वे सांप्रदायिकता के मुखर विरोधी हैं और अपने उसूलों के मुताबिक उन्होंने केंद्र सरकार के बहुचर्चित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाया है। कोरोना के खिलाफ जंग में भी वे बेहद सख्ती का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने साल भर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग पालन करने का कानून बनाया है। आगामी विधानसभा चुनाव पी विजयन के लिए चुनौती हैं क्योंकि अक्सर कहा जाता है कि केरल में हर पांच साल पर सरकारें बदल जाती हैं। लिहाजा उनके लिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव अग्निपरीक्षा साबित होंगे।
मुख्यमंत्री विजय सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले मार्क्सवादी नेता हैं। पार्टी को मजबूत करना और आम लोगों पार्टी से जोड़ना उनकी विशेषता रही है। उनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि अपने फैसलों को सख्ती से लागू करते हैं। विकास के लिए बदलाव करने से कभी परहेज नहीं करते।