प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव  पीके मिश्रा

प्रमोद कुमार मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव हैं। उनका पीएम मोदी के साथ काम करने का पुराना अनुभव है और वर्ष 2001 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे तो पीके मिश्रा ही उनके प्रमुख सचिव थे। वे  बेहद शालीन और मृदुभाषी  होने साथ अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं। 1977 बैच के गुजरात कैंडर के आईएएस अथिकारी पीके मिश्रा ओडिशा के संभलपुर के हैं। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन करने के बाद डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में एमए और ससेक्स से पीएचडी की है।

प्रमोद कुमार मिश्रा को पीएम का बेहद करीबी माना जाता है। नृपेंद्र मिश्रा के रिटायर होने के बाद पीएम मोदी को उन्हीं के सामान कुशल टास्क मास्टर और जवाबदेह अधिकारी की जरूरत थी। ऐसे में पीएम मोदी के साथ  2001 से जुड़े पीके मिश्रा से बेहतर कौन होता?  किस्सा मशहूर है कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने और पहली फाइल उनके सामने आयी तो उन्होंने पीके मिश्रा से पूछा, क्या करना है? इसे पढ़ने में तो वक्त लगेगा। इस पर मिश्रा ने कहा, यहां दस्तखत कर दीजिए लेकिन मोदी ऐसे ही कहां दस्तखत करने वाले थे? तब पीके मिश्रा ने उन्हें कुछ चुनिंदा हिस्से दिखाकर समझाया - फाइल के ये हिस्से सबसे अहम होते हैं, मुख्यमंत्री को पूरी फाइल पढ़ने की जगह ये पन्ने ही पढ़ने चाहिये। इस वाकये को  इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद बताया था। ऐसे में पीएम मोदी के सबसे बड़े प्रशासनिक सलाहकार पीके मिश्रा बने। 2001 में जब कच्छ भूकंप आया तो उन्होंने आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी को उत्कृष्ट तरीके से निभाया। लिहाजा दोनों में कार्यों के आधार पर विश्वास बढ़ता गया। बाद में उन्होंने इस भूकंप पर एक किताब भी लिखी।

वर्ष 2001 से 2019 तक अगर किसी एक अधिकारी पर मोदी लगातार भरोसा करते आये हैं तो वो हैं प्रमोद कुमार मिश्रा। वे अनुशासित तरीके से काम करने में विश्वास रखते हैं ।  गुजरात हो या दिल्ली, मोदी के काम करने का तरीका नहीं बदला  और पीके मिश्रा उनके इस तरीके से पूरी तरह वाकिफ हैं। गुजरात में 24 घंटे बिजली पहुंचाने का काम मुश्किल था लेकिन मोदी के कहने पर उन्होंने ऐसा करके दिखा दिया।
 
वर्ष 2013 में  नरेंद्र मोदी बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किये गये तब पीके मिश्रा उनके सलाहकार के तौर पर काम करने लगे। जब 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो गुजरात से दिल्ली बुलाये गये पहले ऑफिसर पीके ही थे। 2019 में जब नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तब भी पीएमओ में उन्हें रिसीव करने वाले ऑफिसर्स में भी पीके शामिल थे। नृपेंद्र मिश्रा के अवकाश प्राप्त करने के बाद पीएमओ का सबसे महत्वपूर्ण जिम्मा पीके को ही मिला है।

बतौर प्रशासनिक अधिकारी पीके मिश्रा को तय समय में काम को पूरी कुशलता से अंजाम देने के लिए जाना जाता है। वे कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो सीधे लहजे में। डेवलपमेंट मॉडल पर उन्होंने पूरी रिसर्च की है और घिसे-पिटे तरीकों से वे सरकार चलाने में यकीन नहीं रखते।  वे पुराने जमाने के ऑफिसर जरूर हैं, लेकिन उनके ख्यालात बिल्कुल आधुनिक हैं। आइडिया के अलावा उनकी एक और खासियत प्रधानमंत्री को बेहद पसंद है। मुसीबत के वक्त उनका दिमाग कंप्यूटर की तरह चलता है। आपदा प्रबंधन में उन्हें महारत हासिल है। उन्होंने राहत और पुनर्वास पर एक किताब लिखी है। पीके मिश्रा को राहत पुनर्वास और आपदा प्रबंधन  में उत्कृष्ट योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र की तरफ से सम्मानित किया जा चुका है।