जिम्मेदार और कर्तव्यपरायण हैं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी
प्रह्लाद जोशी को 17वीं लोकसभा में चुन कर आने के बाद मोदी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर वे सरकार और सांसदों के बीच की अहम कड़ी हैं। एक शांत और गंभीर बीजेपी नेता के रूप में पहान बनाने वाले जोशी इस कार्य को बखूबी निभा रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी उद्योगपति हैं। और संसदीय परंपरा के लिए आदर्श ख्याल रखते हैं। स्वभाव से मृदुल और पार्टी की नीतियों के प्रखर समर्थक होना उनकी शक्ति है। वे सबको साथ लेकर चलने के लिए जाने जाते हैं। उनपर संसदीय मंत्रालय के साथ कोयला एवं खदान मंत्रालय का भार है, जिसका वे मजबूती से निर्वहन कर रहे है ।
हालांकि पहली बार केंद्र में मंत्री बने हैं लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव दो दशक पुराना है। 11 सितंबर 1962 को कर्नाटक के विजयापुर में प्रह्लाद जोशी का जन्म हुआ। उनके पिता वेंकटेश जोशी रेलवे में कर्मचारी थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई रेलवे स्कूल में हुई और उन्होंने न्यू इंग्लिश स्कूल हुबली से हाईस्कूल और हुबली के ही श्री कडाईसिद्धेश्वर आर्ट्स कॉलेज से स्नातक तक की शिक्षा हासिल की। वे स्टूडेंट लाइफ में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े और बाद में प्रह्लाद जोशी बीजेपी में आये और सक्रिय कार्यकर्ता बन गये।
प्रह्लाद जोशी को संसद का लंबा अनुभव है। वे संसद की कार्यवाही की बारीकियों को काफी बेहतर तरीके से जानते और समझते हैं। 2006 से 2018 के बीच कई संसदीय समितियों में रह चुके हैं। पीएम मोदी के काम करने के मानदंडों पर वे बिल्कुल सही उतरते हैं। दायित्वों को लेकर सजग रहते हैं। माप-तोल कर बोलने की वजह से पार्टी और दूसरे दलों के सांसदों के बीच उनकी छवि अच्छी है। इतना ही नहीं वे 2014 से 2018 तक लोकसभा स्पीकर के पैनल में रह चुके हैं।
संघ से जुडे रहे प्रह्लाद जोशी को 1990 की शुरुआत में ‘कश्मीर बचाओ’ आंदोलन से तब खासी पहचान मिली जब उन्होंने हुबली के ईदगाह मैदान में तिरंगा फहराने को लेकर आंदोलन चलाया था। 1998 से 2003 तक वे धारवाड़ में बीजेपी के जिलाध्यक्ष रहे। 2004 में उन्होंने धारवाड़ उत्तर से लोकसभा चुनाव जीता और पहली बार बीजेपी से सांसद बने। इसके बाद इस सीट का परिसीमन हो गया और 2009 में इस सीट का नाम धारवाड़ कर दिया गया। वे दूसरी बार भी यहां से जीते। ये सिलसिला थमा नहीं 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीतने में सफल रहे। इसके साथ प्रह्लाद जोशी 2014 से 2016 तक कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
केंद्र सरकार की विधायी दायित्वों का लोकसभा में सही तरीके से निस्पादन हो ये प्रह्लाद जोशी का अगला कदम होगा । कोरोना काल में भी संसद की कार्यवाही सुचारु तरीके से चले इसके लिए उनकी जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है । क्योंकि इस दौरान सरकार के कई अहम बिल संसद से पारित होने हैं ।
प्रह्लाद जोशी संसदीय और मानवीय मामलों की उम्दा समझ रखते हैं। वे अहम पदों पर रहते हुए भी सामाजिक उत्थान के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने प्राइमरी स्कूल में बच्चों के लिए मिड-डे मील की योजना बनायी, जिसके तहत 86000 बच्चों को भोजन दिया जाता है। इसके साथ हजारों रोगियों के लिए मुफ्त हेल्थ सुविधा और नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा की व्यवस्था की है। वे गरीबों और सामाजिक रुप से वंचितों की सेवा में विशेष रुचि रखते हैं। उन्होंने कन्नड़ भाषा में ‘साधनेय संकल्प’ नाम की किताब लिखी है।