सादगी और सेवा की मिसाल हैं जिलाधिकारी राहुल कुमार
वे जहां भी रहे, वहां के लोगों के बीच खासे लोकप्रय रहे

भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस को भले ही देश की सबसे ग्लैमरस जॉब माना जाता है, लेकिन कई अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्हें लोग उनकी सादगी के लिये पहचानते हैं। पूर्णिया के जिलाधिकारी राहुल कुमार एक ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने लोगों के करीब जाकर और उनसे मेल-जोल बनाकर उनकी समस्याओं को जाना-समझा और सुलझाया है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां से भी उनका तबादला हुआ वहां के लोगों ने उनकी विदाई आंसुओं के साथ की।
पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन में 6 मार्च 1987 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे राहुल कुमार के पिता शंभू प्रसाद शिक्षक और माँ रागिनी देवी गृहणी हैं। राहुल ने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की, उन्होंने अमेरिका के जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से लीडरशिप प्रोग्राम की पढ़ाई भी की है। वैसे तो वे बचपन से ही आईएएस बनना चाहते थे, लेकिन जब उन्होंने अपने इलाके के लोगों की समस्याएं देखी तो समाज के लिये कुछ करने की भावना प्रबल हो उठी। वर्ष 2010 में यूपीएससी की परीक्षा में उनका चयन आईपीएस में हो गया, लेकिन उनका लक्ष्य आईएएस ही था। वे दोबारा परीक्षा में बैठे और वर्ष 2011 में आईएएस बनने में कामयाब हुए।
राहुल कुमार ट्रेनिंग के बाद पटना से सटे दानापुर के एसडीएम बनाये गये जहां उन्होंने प्रशासनिक बारीकियां सीखीं। इस दौरान वे अपनी निर्भीकता की वजह से चर्चा में रहे, उनका बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवल्पमेंट अथरिटी की जमीन को लेकर एडीजी से विवाद हो गया, और उनकी रिपोर्ट पर सरकार ने कड़ी कारवाई की । इसके बाद उन्हें हेल्थ डिपार्टमेंट में एसएचएस का एडिशनल एक्सक्यूटिव डायरेक्टर और साथ ही बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई। इस दौरान राहुल कुमार ने हेल्थ सर्विस में कई अहम सुधार किये। वहां से वे गोपालगंज के डीएम बनाए गये। 2015 दिसंबर में बतौर डीएम राहुल कुमार ने एक नजीर पेश की जिसकी चर्चा हर तरफ हुई। उन्होंने स्कूल में उस महिला के हाथों बना हुआ मिड डे मील खा कर स्थानीय दबंगों की बोलती बंद की जो उसे डायन बताने की कोशिश कर रहे थे। विधानसभा चुनाव में उन्होंने पोलिंग बूथ पर आम लोगों के साथ लाइन में खड़े होकर वोट डाला। डीएम राहुल कुमार ने आम लोगों के लिए गोपालगंज में कई प्रशासनिक सुधार किए जिससे लोगों के चहेते डीएम बन गये। उन्होंने जिले को खुले में शौच से मुक्त यानी ओडीएफ करने में अहम भूमिका निभायी जिससे लोग उन्हें ‘सैनिटेशन हीरो’कहकर पुकारने लगे। जब उनका ट्रांसफर बेगूसराय के जिलाधिकारी के तौर पर हुआ तो वहां महज 16 महीने में जिले को ओडीएफ का दर्जा दिलवा दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में देश की सर्वाधिक चर्चित सीटों में एक बेगुसराय में उन्होंने चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करावाया | बेगुसराय में उन्होंने अनुकंपा से जुड़े मामले, स्वैच्छिक सेवानिवृति, विभागीय कार्रवाई को बेहतरीन तरीके से अंजाम तक पहुंचाया। राहुल कुमार को नीति आयोग की ओर से बेगूसराय के समावेशी विकास के लिए ‘चैंपियन ऑफ चेंज’ अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
सितंबर 2019 में राहुल कुमार पूर्णिया के डीएम बनाये गये। उन्होंने वर्ष 2020 की शुरुआत में किताब दान अभियान चलाया। इसके तहत लोगों से किताबें और पाठ्य-पुस्तकें दान करने की अपील की गयी। वह इसलिए ताकि इन किताबों से उन विद्यालयों में पुस्तकालय बनवाए जा सकें, जहां इसकी उपलब्धता नहीं हैं। ये अभियान शुरुआती दौर में ही काफी सफल रहा है और कई पुस्तकालयों के लायक सामग्री इकट्ठा हो गयी है। कोरोना काल में उनके कई कार्यों की चर्चा देश भर में हो रही है। दूसरे राज्यों से अपने होम डिस्ट्रिक्ट लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वे स्किल सर्वे मैपिंग करवाने के बाद कामगारों को उन्हीं की दक्षता का कार्य देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में जुटे हैं। सरकारी योजनाओं, जैसे पीएम आवास योजना, बैकलॉग टॉयलेट आदि के जो काम बाकी रह गया है उसके जरिये भी रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।
आईएएस अघिकारी राहुल कुमार को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें वर्ष 2017, 2018 और 2019 में कदाचार मुक्त परीक्षा कराने के लिये और वर्ष 2018 में बेगूसराय में 100 फीसदी विद्युतीकरण के लिये सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें विशेष तौर पर सम्मानित किया, वे वर्ष 2018 में ही कौशल विकास के लिए राज्यपाल द्वारा भी सम्मानित किये गए।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किए गए सर्वे में पूर्णिया के डीएम राहुल कुमार ‘बेजोड़’ श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।