जज्बात के साथ फर्ज निभाने के लिए जाने जाते हैं राय महिमापत रे

आईएएस बनने से पहले पढ़ा चुके हैं विश्वविद्यालय में

जज्बात के साथ फर्ज निभाने के लिए जाने जाते हैं राय महिमापत रे

झारखंड की राजधानी रांची की प्रशासनिक व्यवस्था एक तरफ जहां राज्य सरकार की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहती है वहीं दूसरी तरफ यहां मौजूद तमाम महकमों और मुख्यालयों को सुविधाएं प्रदान करना भी जिला प्रशासन की अहम जिम्मेदारी होती है। ऐसे में वहां के जिला उपायुक्त की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है, जिसे वर्तमान में सुनियोजित तरीके से संभाल रहे हैं 2011 बैच के आईएएस राय महिमापत रे। उनकी कार्यक्षमता और सूझ-बूझ व टीमवर्क से सभी प्रभावित हैं।

राय महिमापत रे के पिता राय उमापत रे यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी थे, वे प्रदेश के डीजीपी भी रह चुके थे और उनकी मां विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थीं। राय महिमापत रे का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ और शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के ला मार्टिनियर में हुई।  उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक और 2005 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल स्टडीज में मास्टर्स करने के बाद वहीं से एम फिल भी किया। 

शुरुआती दिनों में राय महिमापत ने एक शिक्षक के रूप में देश के युवा को नई राह देने का निर्णय लिया, लिहाजा उन्होंने दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में दो साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। बाद में उन्होंने महसूस किया कि प्रशासनिक सेवा में जा कर समाज में तेजी से बदलाव लाया जा सकता है | और इस उद्देश्य से उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। 2011 में उन्हें सफलता मिली और झारखंड कैडर मिला।

ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग  खूंटी के सब डिविजन मजिस्ट्रेट के तौर पर हुई।  एक साल बाद राय महिमापत रे को हजारीबाग के जिला पंचायत का चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर और डिप्टी डेवल्पमेंट कमिश्नर बनाया गया।  जुलाई 2015 में उन्हें स्टाफ ऑफिसर टू चीफ सेक्रेटरी झारखंड बनाया गया। इस दौरान उन्होंने प्रगति पोर्टल पर कई अहम कार्य किया। 

राय महिमापत रे को लातेहार का डिप्टी कमिश्नर और फिर बोकारो का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया। बोकरो  में उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किया, जिसमें डिजिटल इकोनॉमी का प्रोमोशन, पूर्वी भारत में बोकारो को सबसे साफ-सुथरा शहर बनाना,  सबसे ज्यादा टॉयलेट बनवाना, डिजि-धन मेला का आयोजन और एन एच 23 और 32 को फोर लेन बनाने जैसे काम प्रमुख रहे | इन कार्यो के लिए उन्हें  सराहना के साथ ही कई सम्मान भी मिला | डिजिटल इकोनॉमी के प्रोमोशन के लिए प्रधानमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया, वहीं बोकारो को साफ-सुथरा शहर बनाने के लिए शहरी विकास मंत्रालय से अवॉर्ड मिला | राय महिमापत रे को सोशल डिसएबिलिट मिनिस्ट्री की ओर से प्रशस्ति-पत्र भी मिला |  सबसे अहम बात ये है कि बोकारो डीसी के रूप में महिमापत रे के कार्यों की नीति आयोग ने भी तारीफ की। खासकर, कुपोषण रोकने के लिए 'पोषण ऐप्प' शुरू करने पर नीति आयोग ने प्रजेंटेशन के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया। 

 फरवरी 2018 में राय महिमापत रे को रांची का डिप्टी कमिश्नर बनाया गया। जिले के सभी प्रखंडों में जल शक्ति अभियान युद्ध स्तर पर शुरू करवा कर राय महिमापत रे ने प्रशासनिक कौशल को स्थापित किया। इसकी सराहना खुद पीएम मोदी ने की है। इनके नेतृत्व में कोविड 19 के काल में संक्रमित मरीजों के रिकवरी रेट के मामले में रांची मॉडल बना। महिमापत रे  कोरोना की जंग में समाजिक सहयोग से टीम वर्क नीति पर काम कर रहे हैं।

फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में रांची के डिप्टी कमिश्नर डॉ राय महिमापत "जज्बा" श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।