एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया
देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के सबसे जानकार माने जाने वाले डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया एक बेहद सौम्य और साहसी चिक्त्सक हैं। कहा जा रहा है कि उनके नेतृत्त्व में पहली बार एम्स सही मायनों में एक अस्पताल होने के साथ-साथ शोध संस्थान भी बना है। उन्होंने कई दवाओं और विकृतियों पर विस्तृत शोध करवाया है जिनमें बहुचर्चित कोरोना वैक्सीन भी शामिल है।
5 अप्रैल 1959 को हिमाचल प्रदेश में जन्मे डॉ. रणदीप गुलेरिया ने शिमला के आईजीएमसी से मेडिसिन में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के पीजीआईएईआर से जेनरल मेडिसिन में एमडी और पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम की डिग्री हासिल की। डॉ. गुलेरिया ने 1992 में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन एम्स में ज्वाइन किया। इसके बाद उन्हें पल्मोनरी मेडिसिन एंड स्लीप डिसऑर्डर डिपार्टमेंट में प्रोफेसर और डिपार्टमेंट का हेड बना दिया गया ।
डॉ. गुलेरिया शुरुआत से ही विनम्र और मरीजों को लेकर बेहद संवेदशील रहे हैं। मेडिसिन पर उनकी गजब की पकड़ है। स्वांस संबंधित बीमारियों के इलाज में उनकी काबिलियत की कोई सानी नहीं है। रेस्पिरेट्री मसल फंक्शन, लंग्स कैंसर, अस्थमा, सीओपीडी में उन्होंने लंबे समय तक योगदान दिया है, और 400 से अधिक नेशनल और इंटरनेशनल पब्लिकेशंस में रिसर्च प्रकाशित हो चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी इलाज किया था। 1998 से अटल बिहारी वाजपेयी के पर्सनल फिजिशियन थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति ने उन्हें पांच साल के लिए एम्स का नया निदेशक नियुक्त किया है। इसके अलावा भारत में नयी बीमारियों का पता लगाने और नेशनल लेवल पर एंटीबायोटिक के रेसिस्टेंस को कंट्रोल करने वाली कमेटी के मेंबर भी हैं। कोरोना काल में उनकी जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है। सरकार को इस महामारी में वे लगातार सुझाव देते रहते हैं। उन्होंने एम्स में देश का पहला पल्मोनरी मेडिसिन और स्लीप डिसऑर्डर सेंटर की शुरुआत करने का श्रेय जाता है।
डॉ. रणदीप गुलेरिया कोरोना के रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को अहम सुझाव दे रहे हैं। उन्होंने कोरोना पर काबू के लिए सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दिया है और सोशल मीडिया पर भी काफी ऐक्टिव रहते हैं। उनका कहना है कि रेमेडिज वियर मेडिसिन के प्रोडक्शन को बढ़ाने की जरूरत है। जब भी देश में कोरोना या किसी अन्य मामले में लोगों के बीच चर्चाएं
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया अपने रिसर्च वर्क के लिए मशहूर है । उन्हें 298 रिसर्च और 36 किताबों के लिए उन्हें राज नंदा ट्रस्ट और रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन लंदन की ओर से फेलोशिप दी जा चुकी है। वे रेस्पिरेट्री और कार्डियोवैस्कुलर कंडिशन में संबंध तलाशने के अलावा एयर क्वावालिटी पर स्टडी कर रहे हैं। इसके अलावा वे इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी वियना में रेडिएशन प्रोटेक्शन पर बतौर कंसल्टेंट काम कर रहे हैं। डॉ. गुलेरिया के पिता जगदेव सिंह गुलेरिया एम्स के डीन रह चुके हैं। उन्हें 2014 में डॉ. बी सी राय नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने डॉ रणदीप गुलेरिया को पद्मश्री से नवाजा था। फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में वें स्थान पर हैं।