सामाजिक कुरीतियों को दूर करना ही ऋचा वर्मा के आईएएस बनने का उद्देश्य
शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर चुकी हैं कुल्लू की युवा जिलाधिकारी

महिला सशक्तिकरण और बाल विकास के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों से अपनी प्रशासनिक क्षमता सिद्ध कर चुकी डॉ ऋचा वर्मा ने समाज में विकास कार्य के उद्देश्य से आईएएस बनने का निर्णय लिया।
डॉक्टर ऋचा वर्मा ने पीजीआईएमएस रोहतक से बीडीएस यानी बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की डिग्री ली है। उनके पिता नरेंद्र कुमार वर्मा सरकारी सेवा में रहे और मां किरण देवी गृहिणी हैं। ऋचा वर्मा का जन्म 10 सितंबर 1986 को हरियाणा के यमुनानगर में हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई अबांला के पीकेआर जैन पब्लिक स्कूल और बारहवीं चमनलाल डीएवी पब्लिक स्कूल,पंचकुला से हुई। डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने सिविल सेवा में जाने का निर्णय किया और यूपीएससी की परीक्षा में 2012 बैच में उन्हें आईएएस बनने में कामयाबी मिली। इनके पति नीरज कुमार आईएफएस अधिकारी हैं।
डॉ. ऋचा की पहली पोस्टिंग सोल़न के असिस्टेंट कमीशनर के पद पर हुई। वे ऊना के असिस्टेंट कमीशनर और बीडीओ के पद पर भी रहीं हैं। वे डलहौजी और नहन की एसडीएम रही हैं, जहाँ उन्होंने राजस्व और भूमि संबंधी कई सुधार किये। डॉ. ऋ़चा वर्मा एडिशनल डीसी कांगड़ा भी रही हैं।
अप्रैल 2018 में डॉ ऋचा वर्मा को हमीरपुर जिले का डिप्टी कमीशनर बनाया गया। उन्होंने हमीरपुर जिले में महिला कल्याण के लिए बेहतरीन काम किया । महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में उनके नेतृत्व में हमीरपुर को
पोषण के क्षेत्र में पहले स्थान पर पाया और सर्वश्रेष्ठ जिले के अवार्ड से सम्मानित किया । नीति आयोग ने डॉ. रिचा वर्मा को हमीरपुर में लिंगानुपात को बढ़ाने के लिए छठवें जेआरडी टाटा मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने हमीरपुर में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पर उत्कृष्ट काम किया , स्कूलों में बच्चियों की नि:शुल्क कैरियर काउंसलिंग करवाई , परिणामतः लड़कियों की शिक्षा में भी हमीरपुर देश का अव्वल जिला बना । नशीले पदार्थ के सेवन और तस्करी को भी खत्म करने के लिए उन्होंने सकारात्मक कोशिश की, जिसमें डॉ ऋचा काफी कामयाबी भी रही।
डॉक्टर ऋचा वर्मा की पोस्टिंग कुल्लू जिले में बतौर डिप्टी कमिशनर की गयी। जून 2019 में पद भार संभालने के साथ ही उन्होंने कुल्लू जिले में कचरा प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, पर्यटन, बाल विकास जैसे क्षेत्रों में कार्यों को बखूबी बढ़ावा दिया। उन्होंने कुल्लू-मनाली में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई जरूरी और प्रभावी योजनाओं को सही तरीके से क्रियान्वित किया। ‘संवेदना’ नाम से महिलाओं के हाइजीन के लिए प्रोग्राम शुरू किया है। डॉ. ऋचा ने समाजिक सहभागिता से “बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के लिए आंगनवाड़ी गोद लेने का कार्यक्रम” को सफलता से आगे बढाया। इस प्रोग्राम की सफलता को देखते हुए स्कॉच ऑर्डर ऑफ मेरिट में कुल्लू जिले को शॉर्टलिस्ट किया गया। कोरोना संकट में कुल्लू जिले में हो रहे कार्य के लिए भी इनकी तारीफ हो रही है।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में कुल्लू की जिलाधिकारी डॉ ऋचा वर्मा "उद्देश्यपूर्ण " श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।