कर्तव्य को जिम्मेदारी के साथ निभा कर बड़ी पहचान कायम की है जिलाधिकारी शैलेश नवल ने
सैकड़ों गांवों में ग्रामीण बैंकों को पहुंचाया और गांव की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया

कहते हैं किसी भी जिले के जिलाधिकारी के पास असीमित अधिकार होते हैं और इन अधिकारों के साथ ही होते हैं कर्तव्य भी जिन्हें अक्सर लोग भूल जाते हैं। कुछ अधिकारी इन कर्तव्यों को भी बेहद जिम्मेदारी से निभाते हैं और एक मिसाल बन जाते हैं। कर्त्तव्य पथ पर अग्रसर ऐसे ही ऑफिसर हैं अमरावती महाराष्ट्र के जिलाधिकारी शैलेश नवल जिन्हें विकासशील और सुधारवादी कलेक्टर के तौर पर जाना जाता है।
राजस्थान में अजमेर के बिजनेसमैन सुभाष नवल औऱ कुशल गृहणी रामा देवी के पुत्र हैं शैलेश नवल। शैलेश सकारात्मक बदलाव में विश्वास रखते है। इनकी शुरुआती पढ़ाई अजमेर के सेंट आन्सेल्म स्कूल से हुई और दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने स्नातक किया । उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमए की डिग्री हासिल की।
शैलेश नवल 2010 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस हैं। ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर सतारा में हुई। दो साल बाद वर्ष 2012 में दहानू में असिस्टेंट कलेक्टर बनाये गये। 2014 में उन्हें अहमदनगर जिला परिषद का चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बनाया गया । उन्होंने अहमदनगर में अपने दो साल के कार्यकाल में सरकारी योजनाओं को ऑनलाइन करके आम लोगों से जोड़ा। उन्होंने वहाँ शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी सुधार किया । जिसकी वजह से उन्हें "यशवंत राव चौहान एकेडमी डेवल्पमेंट अवार्ड 2014" से सम्मानित किया गया। अहमदनगर में पंचायती परिषद को मजूबती देने के लिए उन्हें 2015 में "दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण अवार्ड" से भी सम्मानित किया गया।
शैलेश नवल के प्रशासनिक अनुभव बढ़ने के साथ अप्रैल 2016 में उन्हें वर्धा का कलेक्टर बनाया गया। इस दौरान शैलेश ने वर्धा जिले में नागरिक सेवा को ऑनलाइन करने पर जोर दिया और कई ई-सेवा शुरू करवायी।
क्लेक्टरेट को पेपरलेस करने के साथ ही नागरिकों को सभी योजनाओं की जानकारी देने के मकसद से शैलेश नवल ने 'आपल्या योजना' मोबाइल एप तैयार करवाया, जिससे जिले के वार्षिक योजनाओं पर किये खर्च में पारदर्शिता आयी। वर्धा में बतौर जिलाधिकारी उन्होंने कॉटन टू क्लॉथ के माध्यम से चार गांवों में कपड़ा निर्माण शुरू करवाया। उन्होंने माइक्रो एटीएम, आपने आधार आपली बैंक प्रकल्प द्वारा सैकड़ों गांवों में बैंक पहुंचाने और गांव की महिला को रोजगार उपलब्ध करवाने का कार्य किया। इस दौरान उन्हें कई सम्मान से सम्मानित किया गया। जलयुक्ति शिविर अभियान, ई-गवर्नेंस और किसानों के वेलफेयर पर काम करने के लिए 2017-18 में शैलेश नवल को 'बेस्ट कलेक्टर' चुना गया, साथ ही वर्धा को जल संचय के लिए 'बेस्ट डिस्ट्रिक्ट' का अवार्ड भी मिला।
बेहतरीन कार्य कौशल को देखते हुए शैलेश नवल को फरवरी 2019 में अमरावती जिले का जिलाधिकारी बनाया गया । शैलेश नवल ने वहाँ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को निष्पक्ष संपन्न करवाया | जिले में मनरेगा को सही तरीके से लागू करवाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की तऱफ से उन्हें अवार्ड भी दिया गया है । कोविड 19 के कठीन काल में बेहाल महाराष्ट्र में शैलेश नवल ने अमरावती जिला में अपने उत्कृष्ट कार्यक्षमता से सबको प्रभावित किया है ।
फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गए सर्वे में अमरावती के जिलाधिकारी शैलेश नवल 'जिम्मेदार' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।