हर मोड़ पर संघर्ष का माद्दा रखते सुदेश महतो
झारखंड की राजनीति में युवा नेतृत्व, हर मोड़ पर संघर्ष का माद्दा रखने वाले और विजनरी चेहरे के तौर पर एक प्रमुख नाम है आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो का।
सुदेश महतो का जन्म 21 जून 1974 को सिल्ली में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता एस एस महतो मूरी स्थित कारखाने में काम करते थे। छात्र जीवन में ही सुदेश झारखंड ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के साथ आंदोलन से जुड़ चुके थे। राजनीति शास्त्र में एमए सुदेश 25 साल की उम्र में वर्ष 2000 में सिल्ली विधानसभा क्षेत्र से पहली दफा विधायक बने। एकीकृत बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनका समर्थन लेने की पेशकश की, साथ ही मंत्री बनाने का ऑफर भी दिया, लेकिन अलग झारखंड के सवाल पर बात नहीं बनी। कुछ ही महीनों बाद 15 नवंबर को अलग राज्य का गठन हुआ और भाजपा की सरकार में वे मंत्री बने। उन्हें पथ निर्माण मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी। बाबूलाल मरांडी की अगुवाई में बनी सरकार में सुदेश सबसे कम उम्र (26) के कैबिनेट मंत्री बने और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य में सड़कों की नेटवर्किंग बेहतर करने, पिछड़े विधानसभा क्षेत्र सिल्ली को विकसित करने और आजसू को राजनीति की अगली कतार में लाने की उन्होंने कोशिशें तेज की। वर्ष 2000 के बाद 2005 और 2009 में भी वे लगातार तीन बार चुनाव जीते और मंत्री बने. इस दौरान दो बार सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे।
सुदेश महतो ने गृह के अलावे भवन निर्माण, खेलकूद कला संस्कृति पर्यटन, पंचायती राज, जल संसाधन, ग्रामीण विकास और वन पर्यावरण मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी संभाली. महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने के चलते शासन-प्रशासन के कार्यों को उन्होंने बारीकी से समझा और राज्य की तरक्की के लिहाज से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं तथा कार्यक्रमों को धरातल पर उतारा। पंचायती राज मंत्री रहते सुदेश कुमार महतो ने झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने की सार्थक पहल की और महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया। 32 वर्षों के बाद 2010 में झारखंड में पंचायत चुनाव हुए और आधी आबादी का मान-सम्मान बढ़ा और गांव की सरकार में उनकी शानदार भागीदारी हुई।
राजनीति में लगभग तीन दशक से जमे सुदेश ने गांव की जड़ें कभी नहीं छोड़ी और लोक कला, झारखंडी संस्कृति, पंरपरा, भाषा, अस्मिता, विषय, सवाल को जिंदा रखने और आवाज देने तथा माटी के वीर सपूतों और शहीदों को सम्मान देने व याद रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते रहे हैं। वर्ष 2018 में उन्होंने स्वराज स्वाभिमान यात्रा के तहत लगभग पांच हजार गांवों में चौपाल लगाई और गांव के लोगों की आवाज को मुखर किया। वर्ष 2019 में वे फिर चुनाव जीते. वे कोरोना काल में दूसरे राज्यों से अपने क्षेत्र और झारखंड लौटने वालों की मदद को सदैव आगे रहे। हालांकि उन्हें भी कोरोना ने अपनी चपेट में लिया. लेकिन वे घबराए नहीं. उन्होंने लोगों की मदद का अभियान जारी रखा।
इन 20 सालों में उनके संबंध एनडीए से मजबूत हुए, पर 2019 के चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर भाजपा से बात नहीं बनी। दोनों दल अलग चुनाव लड़े. इसका खामियाजा भी दोनों दलों को भुगतना पड़ा। अब नए सिरे से झारखंड में भाजपा-आजसू एक साथ मजबूत विपक्ष की भूमिका अदा करने में जुटी है।
सुदेश महतो एक उम्दा स्पोर्ट्समैन रहे हैं और उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल का बढ़िया खिलाड़ी माना जाता है। खेल को बढ़ावा देने के लिए वे लगातार कई आयोजन करते- कराते रहे हैं। 2010 में झारखंड में नेशनल गेम्स के आयोजन में भी उन्होंने अहम भूमिका निभायी। युवाओं के बीच हमेशा नई ऊर्जा के साथ जुड़े रहने और काम करने के लिए हिन्दुस्तान टाइम्स ने देश के सफल 50 युवाओं में सुदेश कुमार महतो का भी नाम भी शामिल किया था। झारखंड के सुदूर इलाके के तीरंदाजों की प्रतिभा निखारने और शीर्ष प्रतियोगिता के लिए तैयार करने के मकसद से उन्होंने सिल्ली और जोन्हा में दो तीरंदाजी प्रशिक्षण सेंटर की स्थापना की है। उनकी पत्नी नेहा महतो सिल्ली स्थित बिरसा मुंडा तीरंदाजी सेंटर की अध्यक्ष हैं और उन्हें तीरंदाजी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रपति ने सम्मान से नवाजा है।
फेम इंडिया - एशिया पोस्ट "उम्दा विधायक सर्वे" में व्यक्तित्व , छवि, जनता से जुड़ाव, कार्यशैली, लोकप्रियता, विधानसभा में उपस्थिति और प्रश्न, बहस में हिस्सा, विधायक निधि का उपयोग व सामाजिक सहभागिता आदि 10 मुख्य मापदंडों पर किये गये सर्वे में सुदेश महतो, विशिष्ट कैटगरी में प्रमुख स्थान पर हैं।
सर्वे स्रोत - विभिन्न प्रश्नों पर विधानसभा क्षेत्रों की राय, विधायिका और मीडिया से जुड़े लोगों से स्टेक होल्ड सर्वे और विधानसभा से उपलब्ध डाटा के आधार पर।