असरदार तरीके से प्रशासनिक दायित्वों को निभा रहे हैं तरुण राठी

वे केदारनाथ त्रासदी के पीडितों की सेवा करने उत्तराखंड भी जा चुके हैं।

असरदार तरीके से प्रशासनिक दायित्वों को निभा रहे हैं तरुण राठी

भावुकता के साथ कर्तव्य के प्रति समर्पित तरुण राठी जिस असरदार तरीके से अपने कार्यों का निष्पादन करते हैं उसे देख कर उनके वरिष्ठ अधिकारी और राजनेता भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते। मध्य प्रदेश के दमोह जिले को अपनी इस विशिष्ट कार्यशैली से उन्होंने जिस विकास पथ पर दौड़ाया है, उससे उन्हें लोकप्रियता की नयी उँचाइयां हासिल हुई हैं। 

04 मार्च 1985 को बुलंदशहर के डिबाई में जन्मे तरुण राठी ने आरंभिक पढ़ाई क़स्बे में ही की, उनकी स्कूलिंग कुबेर इंटर कॉलेज डिबाई से हुई। उन्होंने श्री वार्ष्णेय कॉलेज, अलीगढ़ से स्नातक करने के बाद इंदिरा गांधी नैशनल ओपन युनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया। शुरुआत से ही प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा रखने वाले तरुण राठी का यूपीएससी 2009 बैच में आईआरएस के लिए चयन हुआ, लेकिन वे अगली बार ज्यादा तैयारी के साथ परीक्षा में बैठे। वर्ष 2010 बैच में उन्होंने सिविल सर्विस में शानदार कामयाबी हासिल की और उन्हें 19वीं रैंक मिली। लक्ष्य के प्रति एकनिष्ठ तरुण राठी को बतौर आईएएस,मध्य प्रदेश कैडर मिला। 

तरुण राठी को जून 2010 में मध्य प्रदेश के राजगढ़ का असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया। करीब एक साल से कुछ ज्यादा वक्त तक राजगढ़ में रहने के बाद उनका ट्रांसफर होशंगाबाद जिला के पिपरिया में एसडीएम बनाकर किया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भू-राजस्व और लैंड रिकॉर्डों को दुरुस्त करने के साथ ही सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व क्षेत्र के वन ग्रामों के विस्थापन को तीव्रता से कराने के लिए इन ग्रामों में जाकर लोगों की सहमति बनायी और विस्थापन में उत्कृष्ट कार्य किया। इसी दौरान वे केदारनाथ त्रासदी के समय मध्यप्रदेश की राहत टीम के सदस्य के रूप में उत्तराखंड भी गये। 

जुलाई  2013 में तरुण राठी को नक्सल प्रभावित ज़िला बालाघाट में जिला पंचायत का सीईओ बनाया गया। इस दौरान उन्होंने जिला पंचायत में विकास के कई योजनाओं को मुस्तैदी के साथ लागू करवाया और उनके क्रियान्वयन से गांवों में विकास की नयी शुरुआत हुई। मई 2015 में उन्हें खनिज संसाधन विभाग में नियुक्ति दी गयी, जहाँ वे खनिज और कार्यपालक संचालक मध्य प्रदेश स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के उपसचिव बनाये गये। उन्होंने उस दौरान परिवर्तन से गुजरते हुए खनिज विभाग में नवीन नियमों के निर्माण और नीति के क्रियान्वयन, प्रदेश में ई-टीपी प्रणाली लागू करने और रेत खदानों को पर्यावरण स्वीकृति दिलाने में उल्लेखनीय कार्य किया, जिससे उनकी प्रशासनिक कार्यक्षमता की खासी तारीफ हुई।

जून 2017 में तरुण राठी शिवपुरी जिले के कलेक्टर बनाये गये जहां उन्होंने ग्रामीण आवास निर्माण में काफ़ी बढ़िया कार्य किया और लगभग डेढ लाख ग्रामीण परिवारों को आबादी के पट्टे प्रदान किये। उसके बाद उन्हें लोक निर्माण विभाग में उपसचिव और मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन का एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बनाया गया। जून 2019 में तरुण राठी दमोह के कलेक्टर बने। बतौर कलेक्टर उन्होंने जिले में स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता सहित विकास के अन्य कार्यों में तेजी लाने के साथ लोगों के लिए मूलभूत सुविधा को सुनिश्चित किया। समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने और इंसानियत को तरजीह देने वाले तरुण राठी ने दमोह में अपने काम से हर किसी का दिल जीतने की कोशिश की है। पिछले वर्ष तरुण राठी एक वृद्धाश्रम पहुंचे उन्होंने बुजुर्गों का हाल जाना। इस दौरान एक बुजुर्ग ने अपने परिवार से मिलने की इच्छा जतायी, तो वे खुद अपने साथ बुजुर्ग को लेकर उनके घर पहुंच गए। परिवारवालों से मिलाया और बच्चों को समझाकर बुजुर्ग को उनके घर पर छोड़ा। इस समाचार का असर कई लोगों पर पड़ा और वे अपने परिवार के बुजुर्गों का बेहतर ध्यान रखने लगे। 

कोरोना काल में भी दमोह जिले में तरुण राठी ने असरदार तरीके से सोशल डिस्टेंसिंग और गाइडलाइंस को लागू करवाया। प्रवासी मजदूरों का विशेष ध्यान रखा गया और उनके भोजन, पेयजल व आवागमन की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करायी गयी। प्रवासी मजदूरों ने तरूण राठी की काफी सराहना की। दमोह जिले के मुण्डी पहाड़ी पर जन सहभागिता से  तरूण राठी ने  वृक्षारोपण के सकंल्प को दो घण्टे में पूरा कर लिया। उन्होंने जिले मे जन-जल अभियान के तहत प्राचीनतम तालाबों का जन-सहभागिता से जीर्णेाद्धार करवाने में सफलता प्राप्त की।

फेम इंडिया और एशिया पोस्ट द्वारा शानदार गवर्नेंस, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, गंभीरता और व्यवहार कुशलता आदि दस मानदंडों पर किये गये सर्वे में मध्यप्रदेश के दमोह के जिला कलेक्टर तरुण राठी 'असरदार' श्रेणी में प्रमुख स्थान पर हैं।