डिजिटल पेमेंट के शहंशाह विजय शेखर शर्मा
देश में बैंकिंग और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में तहलका मचा देने वाला पेटीएम कम से कम शहरों में तो एटीएम का पर्याय बन चुका है। सब्जी वाले, रिक्शा वाले और फुटपाथ पर पान-गुटखा बेचने वाले से लेकर बड़े-बड़े माल्स और शोरुम तक पेटीएम से पैसे का ट्रांजैक्शन करने में गर्व का अनुभव करते हैं। बिजली-पानी के बिल, टेलीफोन के बिल, डीटीएच रिचार्ज से लेकर गाड़ी में पेट्रोल डलवाने तक इसने अपनी पैठ बना ली है। दुनिया की सबसे मशहूर ई कॉमर्स कंपनियों ने पेटीएम में भारी पूंजी निवेश किया है और आज ये देश की सबसे बड़ी ई कॉमर्स कंपनी के तौर पर स्थापित हो रही है। पेटीएम को इस मुकाम तक पहुंचाने में सबसे प्रमुख भूमिका रही है कंपनी के संस्थापक चेयरमैन विजय शेखर शर्मा की। वर्ष 2001 में महज 2 लाख रुपए लगाकर कंपनी की शुरुआत करने से लेकर करोड़ों के मालिक बनने तक के सफर की कहानी बेहद दिलचस्प है।
8 जुलाई 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्मे विजय शेखर शर्मा की शुरुआती शिक्षा हिंदी मीडियम स्कूल में ही हुई। उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री हासिल की और इसके बाद उन्होंने वन 97 कम्युनिकेशन की बुनियाद रखी जो कि आगे चलकर पेटीएम की पेरेंट कंपनी बनी। उनकी इच्छा बीटेक करने के बाद हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने की थी। वे वहां नहीं पढ़ पाये लेकिन उनकी सफलता की कहानी आज हॉर्वर्ड बिजनेस स्कूल में केस स्टडी़ज बन गयी है। मेहनत से कामयाबी के शिखर पर पहुंचे विजय शेखर शर्मा के पास एक समय खाने तक के पैसे नही थे। उन तमाम दिक्कतों के बीच उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दिन-रात मेहनत करके एक लाख करोड़ की कंपनी खोल दी। वे फोर्ब्स की लिस्ट में शामिल सबसे युवा अरबपति रह चुके हैं। उनकी नेट वर्थ 8840 करोड़ रुपए यानी एक 1.36 अरब डॉलर की है। उनकी पेटीएम पेमेंट में 51 फीसदी की हिस्सेदारी हैं। इतना ही नहीं पेटीएम की कामयाबी को देखते हुए रतन टाटा सहित कई ग्लोबल निवेशकों ने इसमें निवेश किए हैं । विजय शेखर की पेटीएम को नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट मोड का भी फायदा हुआ। पेटीएम अपने ग्राहकों को डिपॉजिट पर 4 फीसदी ब्याज के साथ कैशबैक भी दे रहा है। इसका मुख्यालय नोएडा में है और मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूरोप में भी इसके दफ्तर हैं।
पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने राजधानी दिल्ली के 'पॉवर सर्किल' कहे जाने वाले लुटियन्स जोन में करोड़ों रुपए के बंगले का सौदा किया है। विजय शेखर शर्मा की कंपनी पेटीएम में एशिया के सबसे बड़ी ई कॉमर्स कंपनी अलीबाबा और एएनटी फाइनेंशियल्स का पैसा लगा हुआ है। वर्ष 2015 में उन्होंने कहा था, "मेरे पास जैक मा" है। लेकिन हाल ही में चीन के साथ एलएसी विवाद के बाद भारत सरकार ने जब चीनी ऐप्स को बैन किया तो देश हित में विजय ने सरकार के कदम को साहसिक बताया। ताजा हालात को देखते हुए विजय शंकर को अपनी कंपनी पेटीएम को और मजबूत करना होगा क्योंकि चीन के साथ संबंध दिन प्रति दिन बिगड़ रहे हैं। ऐसे में उन्हें अमेरिका या युरोप के देशों में भी अपने साझीदार ढूंढने होंगे।
विजय शंकर की सोच बेहतरीन है। मेहनत और लगन की वजह से उन्होंने 15 साल की उम्र में इंडियासाइट डॉट नेट बनाया जिससे महज दो साल में एक लाख डॉलर मिल गये। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी पहली कंपनी एक्सएस कोर को एक दोस्त के साथ मिलकर शुरू की थी। इसका दफ्तर हॉस्टल का कमरा था और फोन नंबर कॉलेज के बाहर एक दुकानदार का था। मतलब साफ है कि अपनी सोच की वजह से उन्होंने साधनों की कमी को कभी बाधा नहीं बनने दिया। उनकी कामयाबी को देखते हुए यूपी सरकार ने उन्हें यश भारती अवार्ड से सम्मानित किया है। फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में वें स्थान पर हैं।