शालीनता के साथ कर्मठता की मिसाल संजय बेनीवाल

शालीनता के साथ कर्मठता की मिसाल संजय बेनीवाल

शालीनता के साथ कर्मठता की मिसाल संजय बेनीवाल

देश के गिने-चुने आईपीएस ऑफिसर ही ऐसे हैं, जिन्हें नौकरी के दौरान भारत के किसी भी कोने में रखा गया हो, उनकी सेवा भावना और लोकप्रियता दोनों बरकरार रही। ऐसे ही एक कर्मठ अधिकारी हैं चंडीगढ़ के डीजीपी संजय बेनीवाल। उन्हें उनकी शानदार पुलिसिंग व शोध क्षमता को सरकार ने हमेशा सर आँखों पर रखा। माना जाता है कि उनके सुझावों पर अमल करने का भी नतीजा है कि राजधानी दिल्ली, चंडीगढ़ और कई केंद्र शासित प्रदेशों में पुलिस  बेहतर कार्य कर रही है। 29 अप्रैल 1964 को दिल्ली के एक सुशिक्षित परिवार में जन्मे संजय के पिता तारीफ सिंह बेनीवाल  सरकारी नौकरी में थे और माता अध्यापिका थीं। पढ़ाई-लिखाई में मेधावी संजय का इंटरमीडियट के बाद रुड़की के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के लिये चयन हो गया। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी-टेक की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने आईआईटी दिल्ली से एमटेक भी किया। वर्ष 1985 में उनका चयन इंडियन फारेस्ट सर्विस में हो गया। वर्ष 1989 में आईपीएस में चयन हुआ और होम कैडर दिल्ली मिला जिसे बाद में एजीयूएमटी कहा जाने लगा गया। बतौर आईपीएस अधिकारी संजय बेनीवाल को पहली पोस्टिंग मिली दिल्ली के गांधी नगर में एएसपी की। यहां उनकी पहचान एक जोशीले,  मिलनसार किन्तु सख्त ऑफिसर की बनी। कुछ ही वर्षों बाद वर्ष 1995 में  उनकी पोस्टिंग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर हो गयी। वहां करीब साढ़े तीन साल एसपी के पद पर रहने के बाद वे वापस दिल्ली आये बतौर एडिशनल डीसीपी। फिर डीसीपी ट्रैफिक बने और फिर डीसीपी नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट। इसके बाद मिजोरम में बतौर डीआईजी पदस्थापित रहे। फिर दोबारा वर्ष 2009 में अंडमान-निकोबार गये , जहां वर्ष 2012 तक साढ़े तीन साल बतौर आई जी रहे। वे वर्ष 2013 में अरुणाचल प्रदेश के आईजी बने। पुलिसिंग में उनके व्यापक अनुभव और जानकारी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने उनकी नियुक्ति गृह मंत्रालय के ब्युरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट में की । उनके सुझावों पर अमल करते हुए सरकार ने  दिल्ली, चंडीगढ़, पुद्दुचेरी और कई केंद्र शासित क्षेत्रों में अर्बन पुलिसिंग के लिये मैनपॉवर नॉर्म्स लागू किया है। दिल्ली में वे साउथ इस्टर्न रेंज व साउथ रेंज के ज्वाइंट कमिश्नर रहे फिर स्पेशल कमिश्नर ऑपरेशंस भी रहे। बतौर स्पेशल कमिश्नर संजय बेनीवाल को दिल्ली में वूमेन सेफ्टी, एयरपोर्ट व मॉडर्नाइजेशन तीनों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। उन्होंने लड़कियों के लिये मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग कैंप लगवाये जिसकी काफी प्रशंसा हुई। वर्ष 2017 में उन्होंने पुरानी दिल्ली के मुस्लिम स्कूल ड्रॉपआउट्स बच्चों के लिये स्किल डेवलपमेंट का कोर्स पुलिस के माध्यम से चलवाया और उन्हें रोजगार भी दिलवाया। इसकी तारीफ तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी की। इसी प्रकार चंडीगढ़ पुलिस ने उनके नेतृत्त्व में देश की पहली अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड इमरजेंसी सेवा 112 और ई बीट बुक प्रणाली प्रारंभ कर वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह से भी तारीफ बटोरी। 27 जून 2018 से संजय बेनीवाल को चंडीगढ़ के डीजीपी का महत्त्वपूर्ण पद सौंपा गया है। गौरतलब है कि चंडीगढ़ देश का इकलौता ऐसा केंद्र शासित प्रदेश है जहां एक साथ दो राज्यों- पंजाब और हरियाणा की राजधानियां भी हैं और सुरक्षा के लिहाज से इसे बेहद संवेदनशील माना जाता है। सिटी ब्युटीफुल कहे जाने वाले चंडीगढ़ के लोग उनकी लोकप्रिय कार्यशैली से बेहद प्रभावित हैं और अपराध का ग्राफ काफी नीचे रहा है। संजय बेनीवाल ने सेवा के दौरान इंदिरा गांधी ओपन युनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री भी हासिल की है। उनकी पत्नी मोविज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर हैं । 

 फेम इंडिया मैगजीन - एशिया पोस्ट सर्वे के 12 मापदंडों पर किये गये "25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020" के वार्षिक सर्वे में चंडीगढ़ के डीजीपी संजय बेनीवाल को कर्मठ श्रेणी में प्रमुख स्थान पर पाया गया है।