भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत 

भारत के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत 

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने इसी साल एक जनवरी को पद भार ग्रहण किया। वे 31 दिसंबर 2019 को थल सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए थे। 30 दिसंबर 2019 को ही देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के लिए सेना के नियमों में संशोधन किया गया।  

उत्तराखंड के पौड़ी में जन्मे बिपिन रावत को सेना का संस्कार विरासत में मिला है। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी लेफ्टिनेंट जनरल थे। बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला में हुई। इसके बाद नैशनल डिफेंस अकादमी, खड़कवासला से ग्रैजुएशन कर इंडियन मिलिट्री अकादमी, देहरादून में ट्रेनिंग ली। इस दौरान उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए उन्हें स्वोर्ड ऑफ ऑनर से भी सम्मानित किया गया। 16 दिसंबर 1978 को वे 11वीं गोरखा राइफल्स की  5वीं बटालियन में शामिल किए गए। यहीं से शुरू हुआ उनका आर्मी का सफर ।
 
गोरखा राइफल्स में रहते हुए वे जीओसी- सी, सदर्न कमांड, आईएमए देहरादून  और लॉजिस्टिक स्टाफ ऑफिसर के पद पर रहे। सेना में सर्विस के दौरान उन्होंने चेन्नई के वेलिंगटन कॉलेज से भी एडवांस कोर्स में ग्रेजुएशन किया और अमेरिका के सर्विस स्टाफ से हाई कमांड कोर्स भी किया। इतना ही नहीं उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं भी दी हैं। वे कांगों में यूएन मिशन के तहत सेवा दे चुके हैं। बिपिन रावत ने इस मिशन में करीब 7000 हजार लोगों की जान बचायी।  सेना में रहते हुए उन्होंने अपने युद्ध कौशल का कई बार परिचय दिया है, जिससे उन्हें  उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अतिविशिष्ट सेना मेडल  और युद्ध सेना मेडल से सम्मानित भी किया गया है। 31 दिसंबर 2016 को वे आर्मी चीफ बने।
 
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनने से पहले बिपिन रावत का आर्मी में पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव रहा है। 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वे इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख थे। उनके नेतृत्व में  भारतीय सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त किया। इसके अलावा म्यांमार और पाकिस्तान दोनों ही देशों में हुए सर्जिकल स्ट्राइक्स में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी जिनमें कई आतंकियों को मार गिराया गया था।
 
बतौर सीडीएस उनका सबसे अहम प्रयास है कि तीनों सेना के बीच बेहतरीन तालमेल में स्थापित रहे। साथ ही टीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रुप मे उन्हें सशस्र सेनाओं के ऑपरेशन्स में आपसी समन्वय और वित्त प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। यूं कहें तो वे रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकारों में शामिल हैं। वे तीनों सेना को निर्देश देंगे।
 
जनरल बिपिन रावत  37 साल तक आर्मी में रहने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  बने  हैं। वे 65 साल तक इस पद पर रहते हुए देश की सेवा करेंगे और उनके अनुभवों से देश को कई कठिन हालात में  दुश्मनों के दांत खट्टे करने में मदद मिल रही है। जनरल बिपिन रावत  की सबसे बड़ी खासियत ये है कि वे टीम वर्क को अहमियत देते हैं। वे भारतीय समाज को बहुत करीब से समझते हैं। वे पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं और एक अच्छे लेखक भी  हैं। उनके बेबाक लेख पत्र-पत्रिकाओं में पब्लिश होते रहते हैं जिनमें वे भारतीय राजनीति पर भी कटाक्ष करने में संकोच नहीं करते। वे फेम इंडिया मैगजीन-एशिया पोस्ट सर्वे के 50 प्रभावशाली व्यक्ति 2020 की सूची में 32वें स्थान पर हैं।