साधारण परिवार की असाधारण बेटी हैं चित्रा त्रिपाठी
खबरिया चैनलों की भीड़ में कोई चेहरा अपनी धार,रफ्तार,तेवर,खबरों की बारीक़ समझ और सटीक आंकड़ों-उदाहरणों से आपको रोकता है तो समझिए वो चित्रा त्रिपाठी हैं। वे आज एबीपी न्यूज चैनल की एंकर हैं और टीवी न्यूज इंडस्ट्री का जाना-पहचाना चेहरा हैं। ग्राउंड रिपोर्टिंग से लेकर बड़े-बड़े न्यूज इवेंट, आउटडोर शोज, स्टूडियो डिबेट और एंकरिंग तक – चित्रा हर मोर्चे पर पूरी तैयारी और दमखम के साथ दिखती हैं। खबरों की दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित सम्मान “रामनाथ गोयनका पुरस्कार” उनकी प्रतिभा का प्रमाण है। 2014 में कश्मीर में आई भयानक बाढ के दौरान शानदार रिपोर्टिंग के लिये उन्हें यह पुरस्कार मिला था. आज चित्रा के नाम खबरों की दुनिया के बड़े-छोटे करीब तीस पुरस्कार हैं। चित्रा कहती हैं – सपनों को सच करने के लिये एक लड़की में तीन चीजें बहुत ज़रुरी हैं- साहस, संयम और संघर्ष. पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है बेटी होना और सपनों को सच करना – एक बेटे से चार गुना ज्यादा ताकत की मांग करता है। संयोग देखिए कि जिस न्यूज इंडस्ट्री में चित्रा आज एक मिसाल हैं उसी इंडस्ट्री में एंट्री के लिए वे 2005 में दिल्ली आई थीं। जागरण पत्रकारिता कोर्स में दाखिला चाहती थीं लेकिन फीस ज्यादा थी, इसलिए गोरखपुर लौट गईं और एमए में एडमिशन ले लिया। सब्जेक्ट चुना डिफेंस स्टडीज और गोल्ड मेडल हासिल किया। इससे पहले 2001 में वे रिपब्लिक डे परेड में गार्ड ऑफ ऑनर कमांड करने के लिए भी गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी थीं। उसी समय वे बतौर एनसीसी कैडेट प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिली थीं। 15 यूपी गर्ल्स बटालियन से एनसीसी में चित्रा को सी सर्टिफिकेट हासिल है।11 मई 1985 को गोरखपुर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मीं चित्रा ने करियर की शुरुआत गोरखपुर दूरदर्शन औऱ एक स्थानीय चैनल सत्या टीवी से की । इसके बाद वे ईटीवी और न्यूज 24 होते हुए सहारा समय को एंकर कम प्रोड्यूसर ज्वायन किया। सहारा में 2012 में लंदन ओलंपिक जैसा बड़ा स्पोर्ट्स इवेंट कवर किया। इंडिया न्यूज चित्रा का अगला पड़ाव था जहां उन्होंने एंकर और एसोसिएट एडिटर की हैसियत से काम किया। यहां वे “बेटियां” नाम से एक साप्ताहिक शो का संचालन भी करती थीं जो काफी समर्थ औऱ सार्थक कार्यक्रम था। “बेटियां” तमाम अवरोधों-विरोधों के बावजूद सफलता हासिल करनेवाली बेटियों की संघर्ष-गाथा था। इस कार्यक्रम ने चित्रा की भीड़ से अलग पहचान बनाई। यूपी के दूरदराज़ गांव की महिला भानूमति को पहचान औऱ राष्ट्रपति पुरस्कार दिलाने में “बेटियां” का ही योगदान रहा। सितंबर 2016 से वे एबीपी न्यूज के साथ हैं। चित्रा राजनीति और रक्षा की खबरों पर जितनी तेवरदार दिखती हैं, अधिकार औऱ सरोकार के सवालों पर उतनी ही संवेदनशील। यूपी के अंधेरे गांवों का दर्द हो या फिर तीन तलाक के मामले पर बीवियों की तकलीफ – चित्रा की आवाज़ अंधेरे को चीरती रोशनी-सी महसूस होती है। दुनिया के सबसे ऊंचे बैटल फील्ड सियाचिन से रिपोर्टिंग के लिए एबीपी न्यूज ने उन्हें बेस्ट रिपोर्टर का अवॉर्ड दिया। हिन्दुस्तान का मिशन “जय हिन्द” की स्टोरी के लिए भारतीय सेना की ओर से प्रशंसा पत्र भी मिल चुका है। चित्रा उन चुनिंदा टीवी जर्नलिस्ट में हैं जो सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं और जिनकी फैन फॉलोविंग ज़बरदस्त है। उन्हें जो भी ज़रुरी औऱ नया लगता है, उसे फेसबुक लाइव या पोस्ट या फिर ट्विटर के जरिए रखती है। उनके वीडियो पोस्ट के व्यूज देखते ही देखते लाख की तरफ भागने लगते हैं और हजारों लोग शेयर करते हैं।
यूथ आइकॉन " युवा" 2019 के इस सर्वे में फेम इंडिया मैगजीन – एशिया पोस्ट ने नॉमिनेशन में आये 300 नामों को विभिन्न मानदंडों पर कसा , जिसमें सर्वे में सामाजिक स्थिति, प्रतिष्ठा, देश की आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था पर प्रभाव, छवि, उद्देश्य और प्रयास जैसे दस मानदंडों को आधार बना कर किये गये स्टेकहोल्ड सर्वे में चित्रा त्रिपाठी प्रमुख स्थान पर हैं |