देश ही नहीं, विदेशों तक मशहूर हैं स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन

देश ही नहीं, विदेशों तक मशहूर हैं स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन

देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर  हर्षवर्धन का जैसा नाम ठीक वैसा ही सरल और सुलझा व्यक्तित्व है। उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा है कि उनसे मिलकर एक साधारण व्यक्ति भी उतना ही प्रसन्न हो जाता है जितना कोई विशेषज्ञ। साफ-सुथरी छवि के हर्षवर्धन में  दिखावा बिल्कुल नहीं हैं। वे समाज कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और राजनीति में भी ईमानदारी और शुद्ध विचार से काम करने के लिए जाने जाते हैं। दिल्ली हो या केंद्र सरकार, उन्हें जब जो भी दायित्व मिला, उसे बेहतरीन तरीके से निभाया। यही वजह है कि देश के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के 34 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड के चेयरमैन भी बनाये गये हैं।

डॉ. हर्षवर्धन का जन्म 13 दिसंबर 1953 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने एंग्लो संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शिक्षा हासिल की। इसके बाद उन्होंने कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस और एमएस की डिग्री हासिल की। उन्होंने इस क्षेत्र में शल्य चिकित्सा में दक्षता हासिल की। आंख, नाक और गला के डॉक्टर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन आरंभिक जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और यहीं से उनमें समाज कल्याण की भावना जागृत हुई।

डॉक्टर हर्षवर्धन 1993 से चुनावी राजनीति में आये और इसके बाद से लगातार कृष्णानगर सीट से जीतते रहे  हैं। वे ‘डॉक्टर साहब’ के नाम से मशहूर हैं। उन्हें  दिल्ली में पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने के लिए भी जाना जाता है।  पोलियो उन्मूलन पर उनके कार्यों की  पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तारीफ की थी। उन्होंने कहा था, ‘वे अपने चिकित्सा ज्ञान का इस्तेमाल करने और आम आदमी की सेवा करने का अनुभव लेने के लिए राजनीति में आए हैं।’ वे दिल्ली में बीजेपी के नेतृत्व में बनी पहली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। उनके पूर्व के अनुभव को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने हेल्थ मिनिस्टर बनाने का फैसला किया ।

1993 में राजनीति में कदम रखने के बाद वे कृष्णानगर से चुनाव जीते।  उन्होंने कृष्णानगर सीट पर  1998, 2003 में भी जीत हासिल की। इसके बाद 2003 में उन्हें दिल्ली बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने दिल्ली में बीजेपी को एकजुट किया और इसके बदौलत 2007 में बीजेपी ने दिल्ली नगरनिगम पर कब्जा किया। वे 2008 और 2013 में कृष्णानगर से विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते  लेकिन पार्टी को सत्ता दिलाने से चुक गए । वे अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। 2014 में वे दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से कपिल सिब्बल को हराकर संसद में पहुंचे। पीएम मोदी ने उन्हें हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्टर बनाया। 2019 में वे दोबारा चांदनी चौक से सांसद चुने गए। इस बार पुन: उन्हें हेल्थ मिनिस्ट्री का पदभार मिला है। वे अपने कार्य को उत्कृष्ट तरीके से कर रहे हैं।

वे सुलझे हुए इंसान हैं। लोगों की सेवा को वे कर्तव्य मानते हैं। पार्टी लाइन के तहत काम करने के लिए जाने जाते हैं। मिलनसार व्यक्तित्व की वजह से उन्हें समाज के हर तबके का समर्थन हासिल है।  वे अपने चिकित्सा पेशे के अनुभव से भी देश को लाभान्वित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।

कोरोना काल में उनका अगला कदम देश को इस जानलेवा महामारी से बचाना है। इसके लिए वे दिन रात एक करके चिकित्सा विशेषज्ञों के संपर्क में रहते हैं। साथ ही अपने अनुभव को साझा करके इस बीमारी की रोकथाम में जुटे हुए हैं। हेल्थ मिनिस्टर डॉक्टर हर्षवर्धन का मानना है समाज उनका परिवार है , पूरा विश्व उनका कुटुंब है। वे हर महंगी चिकित्सा के मुखर विरोधी हैं। उन्हें हेल्थ के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 1994 में आईएमए प्रेसिडेंट स्पेशल अवार्ड ऑफ इंस्पिरेशनल को प्राप्त किया। उन्हें तंबाकू मुक्त भारत के लिए डब्ल्यूएचओ के डीजी कमेंडेशन मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। रोटरी इंटरनेशनल का पोलियो इरेडिकेशन चैंपियन अवार्ड अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें प्रदान किया था। चिकित्सा के क्षेत्र में भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए उन्होंने जय-विज्ञान, जय-अनुसंधान का नारा दिया।