प्रशंसापात्र - असंभव को भी संभव करने का मद्दा है गंभीर ब्यूरोक्रेट सुनील कुमार बर्णवाल में

प्रशंसापात्र - असंभव को भी संभव करने का मद्दा है गंभीर ब्यूरोक्रेट सुनील कुमार बर्णवाल में

प्रशंसापात्र - असंभव को भी संभव करने का मद्दा है गंभीर ब्यूरोक्रेट सुनील कुमार बर्णवाल में

झारखण्ड में शानदार ई गवर्नेंस का उदाहरण पेश करने वाले आईएएस ऑफिसर सुनील कुमार बर्णवाल 1997 बैच के टॉपर रहे हैं ।  फिलहाल वे झारखण्ड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैं। उनकी गिनती सख्त,कर्मठ और अनुशासनप्रिय अधिकारियों में की जाती है। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी जनोपयोगी योजनाओं का लाभ समाज की अंतिम पंक्ति में बैठे आदमी तक कैसे पहुंचे। बिहार के भागलपुर में पले-बढ़े सुनील कुमार बर्णवाल बचपन से ही काफी मेधावी रहे हैं। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से इंटरमीडियेट की परीक्षा पास कर ली लेकिन उम्र कम होने के कारण आईआईटी एंट्रेंस नहीं दे पाये। प्रतिष्ठित आईएसएम धनबाद से तीन गोल्ड मेडल्स के साथ पेट्रोलियम इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने गैस ऑथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में नौकरी ज्वाइन कर ली। उन्होंने मात्र 19 साल की उम्र में इंजीनियरिंग कर ली थी इसलिए दो साल तक आईएएस की परीक्षा में बैठ नहीं सके। नौकरी करते-करते उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी और टॉपर बन कर अपना सपना पूरा किया। उन्होंने आईएसएम से ही पीएचडी की। वर्ष 2013 में उन्होंने रांची विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और वर्ष 2014 में नैशनल युनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर व हॉर्वर्ड युनिवर्सिटी के संयुक्त कार्यक्रम में पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री हासिल किया। उन्हें आईएसएम धनबाद ने विशिष्ट एलुमनस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया है।रांची के एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तक का सफ़र सुनील कुमार बर्णवाल के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा।  उन्होंने झारखण्ड सरकार के विभिन्न कार्यक्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया। उनकी योग्यता और क्षमता को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक साथ चार विभागों का प्रमुख तक बनाया गया। सुनील कुमार बर्णवाल ने झारखण्ड सरकार के उल्लेखनीय कार्यक्रम 'मोमेंटम झारखंड' और ऐसी परियोजनाओं में काम करके खासी प्रशंसा हासिल की। ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिये उन्हें भारत सरकार से नैशनल ई-गवर्नेंस अवॉर्ड भी मिल चुका है। इसके अलावे उन्हें राष्ट्रपति के हाथों जनगणना का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। बतौर महानिदेशक उन्होंने राज्य की जेलों में अभूतपूर्व सुधार किये। राज्य में औद्योगिक सुधार और निवेश लाने के लिये उन्होंने लगभग हर क्षेत्र में झारखंड सरकार की स्पष्ट नीतियां बनवायीं। टेक्सटाइल नीति, आईटी नीति, ईडीएसएम नीति, बीपीओ नीति, स्टार्टअप नीति, बीपीओ नीति जैसी कई पॉलिसियों को उन्होंने खुद तैयार कर लागू करवाया। इसके अच्छे परिणाम भी दिखने लगे हैं।